logo

ट्रेंडिंग:

'सेना सेक्युलर है', SC को ईसाई अधिकारी से ऐसा क्यों कहना पड़ा?

सुप्रीम कोर्ट ने सैमुअल कमलेसन बनाम भारत संघ के फैसले में कहा है कि सेना धर्मनिरपेक्ष होती है, सैनिकों का रवैया, सेक्युलर होना चाहिए।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। Photo Credit: PTI

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

सुप्रीम कोर्ट ने सैमुअल कमलेसन बनाम भारत संघ के मामले में कहा है कि सेना में अनुशासन सबसे ऊपर है और अफसर को अपने सैनिकों का मनोबल बनाए रखने के लिए उनके साथ पूरी तरह शामिल होना पड़ता है। ईसाई अधिकारी को धार्मिक परेड से जुड़े निलंबन के मामले में बड़ा झटका लगा है। 

अधिकारी ने रेजिमेंट की हर हफ्ते होने वाली धार्मिक परेड में हिस्सा लेने से मना किया था। सेना ने उसे निलंबित कर दिया था। CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस ऑर्डर को बरकरार रखा है, जिसमें निलंबन को जायज ठहराया गया था।

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए अदालतें नहीं तय सकतीं टाइमलाइन: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट:-
भारतीय सेना अपनी सेक्युलर पहचान के लिए जानी जाती है। यहां अफसर को अपने सैनिकों के साथ एकजुट होकर चलना पड़ता है। सिर्फ एक बार नहीं, बार-बार चेतावनी के बाद भी न मानना बहुत गंभीर बात है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है और सजा में कोई रियायत नहीं दी जा सकती। यह फैसला गलत मैसेज नहीं, बल्कि बहुत सही और मजबूत मैसेज देगा।'

सैमुअल कमलेशन केस क्या है?

सैमुअल कमलेशन नाम के एक क्रिश्चियन लेफ्टिनेंट भारतीय सेना की 3 कैवलरी रेजिमेंट में तैनात थे। उनकी रेजिमेंट में सिख, जाट और राजपूत सैनिक थे। हर हफ्ते रेजिमेंट में धार्मिक परेड होती थी जिसमें सभी अफसरों को मंदिर और गुरुद्वारे में जाना पड़ता था। सैमुअल मंदिर के बाहर तक तो जाते थे, लेकिन सबसे अंदर वाले गर्भगृह में जाने से मना कर देते थे।

सैमुअल का तर्क था कि वह क्रिश्चियन हैं और उन्हें लगा कि ऐसा करना उनकी आस्था के खिलाफ है। उनके कमांडिंग अफसर ने कई बार समझाया, काउंसलिंग की, लेकिन सैमुअल नहीं माने। आखिरकार सेना ने उन्हें अनुशासनहीनता के लिए नौकरी से निकाल दिया।

यह भी पढ़ें: तलाक-ए-हसन क्या है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई है नाराजगी?

दिल्ली हाई कोर्ट ने सेना के फैसले को सही ठहराया

सैमुअल ने दिल्ली हाई कोर्ट में केस किया, लेकिन हाई कोर्ट ने भी सेना के फैसले को सही ठहराया। हाई कोर्ट ने कहा कि सेना में अनुशासन सबसे ऊपर है और अफसर को अपने सैनिकों का मनोबल बनाए रखने के लिए उनके साथ पूरी तरह शामिल होना पड़ता है, फिर सैमुअल सुप्रीम कोर्ट गए। 

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर क्या कहा?

चीफ जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस बागची की बेंच ने मंगलवार को उनकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि सेना में इस तरह का व्यवहार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आप 100 चीजों में अच्छे हो सकते हो, लेकिन अगर सैनिकों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं करते और कमांड का पालन नहीं करते तो यह गंभीर अनुशासनहीनता है।

'मंदिर या गुरुद्वारे में जाना पाप नहीं है'

कोर्ट ने यह भी कहा कि क्रिश्चियन धर्म में मंदिर या गुरुद्वारे में सिर्फ जाना कोई पाप नहीं है। एक स्थानीय पादरी ने भी यह राय दी थी। सिर्फ अपनी व्यक्तिगत भावना के कारण आप अपने सैनिकों का अपमान नहीं कर सकते। 

Related Topic:#supreme court

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap