logo

ट्रेंडिंग:

'वसीयत बनाएं हिंदू महिलाएं,' विधवा और बेऔलाद महिलाओं से SC ने ऐसा क्यों कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने विधवा और बिना संतान वाली महिलाओं से अपील की है कि वे अपनी वसीयत बनवा लें। अगर ऐसा हुआ तो मौत के बाद विरासत संबंधी कानूनी मुकदमे रुकेंगे।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट। Photo Credit: PTI

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं से अपील की है कि वे अपने विरासत संबंधी दस्तावेज पहले ही तैयार करा लें, जिनके निधन के बाद विरासत को लेकर उनकी ससुराल और मायके में कानूनी लड़ाई छिड़ सकती हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह खास अपील, हिंदू महिलाओं से की है। सुप्रीम कोर्ट का तर्क है कि वे महिलाएं, जिनके बच्चे नहीं हैं और विधवा हैं, वे ही यह तय करें कि उनकी संपत्ति ससुरालवालों को दी जाएगी या मायके वालों को। 

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन ने बेंच ने हिंदू सक्सेशन ऐक्ट 1956 की धारा 15 (1) (बी) को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। याचिका में धारा 15 (1) (बी) को अवैध ठहराने की अपील की गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अदालत हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 की धारा 15 (1) के तहत आने वाली उन सभी महिलाओं से, खासकर हिंदू महिलाओं से अपील करती है, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो, वे अपने विरासत संबंधी दस्तावेज बना लें। यह धारा 30 के हिसाब होनी चाहिए। हम यह महिलाओं के हित के लिए करना चाहते हैं, जिससे भविष्य में कोई मुकदमेबाजी न हो।'

यह भी पढ़ें: हसीन जहां ने शमी से क्यों मांगा 10 लाख महीना, सुप्रीम कोर्ट में क्या तर्क दिया?

धारा 15 (बी) क्या है, जिसे चुनौती दी गई?

दिल्ली हाई कोर्ट की वकील स्निग्धा त्रिपाठी ने कहा, 'हिंदू सक्सेशन ऐक्ट की धारा  15 (बी) कहती है कि अगर किसी हिन्दू महिला को अपने पति या ससुर से विरासत में मिली कोई संपत्ति, मृतक के किसी पुत्र या पुत्री के न रहने पर पति के उत्तराधिकारियों को मिलेगी।'

इसी अधिनियम की धारा 15 (1) (सी) कहती है कि अगर पति का कोई वारिस नहीं है, तो महिला की संपत्ति पर, पिता विरासत का दावा पेश कर सकते हैं। 

यह भी पढ़ें: निठारी कांड: सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी, तुरंत रिहा करने का आदेश

केस क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने स्निधा मेहरा बनाम केंद्र सरकार केस में यह टिप्पणी दी है। अदालत में याचिका एक वकील ने दायर की थी, जिसे कोर्ट ने सही पक्षकार न मानते हुए खारिज कर दिया। सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मुद्दे पर भविष्य में विचार किया जा सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1956 में संसद ने शायद यह कल्पना नहीं की थी कि हिंदू महिला के पास स्व-अर्जित संपत्ति होगी। आज शिक्षा-रोजगार से महिलाएं स्वतंत्र संपत्ति अर्जित कर रही हैं, इसलिए मायके वालों को ससुराल के दूर के वारिसों को संपत्ति देना, ठीक नहीं लगता होगा। 

यह भी पढ़ें: 800 का पॉपकॉर्न, 400 की कोल्डड्रिंक; महंगा सामान बेचने के पीछे की वजह जानिए

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं से क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं से अपनी कमाई गई संपत्ति के लिए वसीयत बनाने की अपील की और निर्देश दिया कि माता-पिता या उनके वारिस जब सेक्शन 15(1)(C),(D),(E) के तहत दावा करें तो मुकदमा दायर करने से पहले अनिवार्य रूप से मुकदमे से पहले मामले को 'मध्यस्थता' के लिए ले जाएं। मीडिएशन में हुआ समझौता कोर्ट के डिक्री के समान मान्य होगा।

Related Topic:#supreme court

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap