मुंह से ना-ना कर रहे डीके शिवकुमार, फिर क्यों बागी हो रहे विधायक?
कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की अनबन अब दिल्ली तक आ पहुंची है। डीके शिवकुमार के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की है।

कांग्रेस नेताओं के साथ डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया। (Photo Credit: DK Shiv Kumar)
कर्नाटक कांग्रेस में एक बार फिर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर गुटबंदी शुरू हो गई है। डीके शिवकुमार के समर्थक चाहते हैं कि अब मुख्यमंत्री उन्हें बनाया जाए। कुछ विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात भी की थी। कर्नाटक में शोर मचना तब शुरू हुआ, जब मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने वाले एक विधायक इकबाल हुसैन ने कहा कि अध्यक्ष ने भरोसा दिया है कि सब ठीक होगा।
डीके शिवकुमार के समर्थक विधायकों का कहना है कि कर्नाटक में जब सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तभी यह तय हो गया था कि राज्य में 2.5 साल तक दोनों का कार्यकाल होगा। मतलब ढाई साल सिद्धारमैया और ढाई साल डीके शिवकुमार सीएम होंगे। सिद्धारमैया ने हालांकि कई बार कहा है कि वह सीएम पद से इस्तीफा देने के मूड में नहीं हैं।
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ऐसी अटकलें क्यों लगीं?
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 20 नवंबर को अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे कर लिए हैं। साल 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के जीतने के बाद भी, जब कई दिन तक सीएम के नाम पर फैसला नहीं हो पाया तो आलाकमान ने डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में समझौता कराया। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने दबी जुबान में कहा कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में समझौता हुआ है कि 5 साल में ढाई-ढाई साल का कार्यकाल दोनों नेताओं के बीच में बटेंगे। पहला मौका सिद्धारमैया को ही मिला। कांग्रेस के भीतर खेमे में इसे 'पावर शेयरिंग समझौता' कहा गया। डीके शिवकुमार के समर्थक अब चाहते हैं कि ढाई साल बीत गए हैं, अब सत्ता की कमान डीके शिवकुमार को मिलना चाहिए, यही वादा उनसे किया गया है। उनके समर्थक कांग्रेसी नेता इसे नवंबर क्रांति बता रहे हैं।
कर्नाटक में क्या हो रहा है?
डीके शिवकुमार के समर्थक चाहते हैं कि सिद्धारमैया अब इस्तीफा दे दें, ढाई साल के फॉर्मूले पर निर्णायक फैसला लेने का वक्त आ गया है। गुरुवार को डीके शिवकुमार के 6 से 10 करीबी विधायक दिल्ली पहुंचे और मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले। उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा कि डीके शिवकुमार को ही मुख्यमंत्री घोषित किया जाए। कर्नाटक कांग्रेस में यह मांग अब जोर पकड़ रही है।
सिद्धारमैया से CM पद छीनने पर क्या कहते हैं डीके शिवकुमार?
डीके शिवकुमार ने महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की खबरों को एक सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा है कि कर्नाटक कांग्रेस के सभी 140 विधायक, उनके हैं। वे गुटबाजी में भरोसा नहीं करते हैं। हर कोई मत्री बनना चाहता है, इसलिए कुछ विधायकों ने आलाकमान से मिलने के लिए दिल्ली का रुख किया है। यह उनका अधिकार है, उन्हें रोका नहीं जा सकता है।
डीके शिवकुमार ने यह भी कहा है कि सिद्धारमैया 5 साल तक सीएम पद पर बने रहना चाहते हैं, इसलिए वही 5 साल सीएम रहेंगे। डीके शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस हाई कमान का जो भी निर्देश होगा, उसे कर्नाटक के सीएम और डिप्टी सीएम मानेंगे। उन्होंने सिद्धारमैया के साथ मिलकर काम चलाने की बात दोहराई है।
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बीजेपी क्या कह रही है?
बीजेपी इसे सियासी मौके के तौर पर भुनाना चाहती है। राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कुर्सी को लेकर जंग छिड़ी थी, विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इसका नतीजा भुगतना पड़ा। पंजाब में भी नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी की कलह का नतीजा बुरा हुआ था। बीजेपी इसे भी सियासी मौके की तरह लपक रही है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आरोप लगाया कि डीके शिवकुमार जेल में बंद विनय कुलकर्णी और वीरेंद्र पप्पी से मिले हैं। दोनों कांग्रेस विधायक हैं। डीके शिवकुमार ने शुक्रवार को बेंगलुरु सेंट्रल का दौरा किया था। इस मुलाकात को भी सियासी दौरा बताया जा रहा है, हालांकि खुद डिप्टी सीएम का कहना है कि वह सेंट्रल जेल के औचक निरीक्षण पर गए थे।
कांग्रेस आलाकमान इस जंग पर क्या सोच रहा है?
राहुल गांधी हों या मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी के किसी सीनियर नेता ने कर्नाटक में मचे सियासी कलह पर कुछ कहने से चुप्पी बरती है। मल्लिकार्जुन खड़गे बेंगलुरु में सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों से मिल चुके हैं। राहुल गांधी से मुलाकात बाकी है।
मल्लिकार्जुन खड़गे का रुख क्या है?
मल्लिकार्जुन खड़गे ने डीके शिवकुमार के समर्थक विधायकों को यह संदेश दिया है कि दिल्ली बार-बार आने से मीडिया में अफवाहें फैलती हैं। अब देखने वाली बात यह है कि क्या कर्नाटक में सत्ता बदलती है या यही गुटबंदी अभी जारी रह सकती है।
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डीके का इंकार, फिर क्यों आ रहे विधायक?
डीके शिवकुमार भले ही कह रहे हों कि वह अपने खेमे के विधायकों को नहीं भेज रहे हैं, उनके बारे में खूब खबरें छप रहीं हैं कि कर्नाटक कांग्रेस में बदलाव होने वाला है। डीके शिवकुमार इन अटकलों को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने विधायकों के दिल्ली पहुंचने की वजह, मंत्रिमंडल में होने वाले संभावित फेरबल से जोड़ा है। उनका कहना है कि विधायक, अपने लिए मंत्रिपद मांगने दिल्ली पहुंचे थे, सिद्धारमैया को हटाने के लिए वहां नहीं गए थे।
सिर्फ डीके-सिद्धारमैया में नहीं है सत्ता की जंग
कर्नाटक में डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच ही सत्ता की जंग नहीं है। एक तीसरा दावेदार भी सियासी मैदान में है। कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर भी खुद को सीएम रेस में शामिल बताते हैं। रविवार को उन्होंने यह तक कह दिया कि वह हमेशा से ही सीएम रेस में हैं। जी परेश्वर का तर्क है कि वह राज्य में दलितों के प्रतिनिधि चेहरे हैं। दलित सीएम की राज्य में अरसे से मांग हो रही है। अब यह मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी तय करेंगे कि इस मांग का होगा क्या। अभी हाईकमान की तरफ से कोई बात नहीं हुई है।
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