महाराष्ट्र के पुणे में सरकारी जमीन की सौदेबाजी में डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार फंस गए हैं। हालांकि, इस मामले में दर्ज FIR में पार्थ पवार का नाम नहीं है। पर जिस कंपनी ने यह जमीन खरीदी थी, उसमें पार्थ पवार भी पार्टनर थी। आरोप है कि सरकारी जमीन 300 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी और इसकी स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी। मामला सामने आने के बाद अजित पवार ने कहा कि यह डील रद्द कर दी गई है। हालांकि, अब इसमें नया पेंच सामने आ गया है।
दरअसल, अजित पवार ने शुक्रवार को कहा था कि उनके बेटे को नहीं पता था कि यह सरकारी जमीन है और उन्होंने इस डील को रद्द करने का एलान किया था। अब अधिकारियों का कहना है कि इसे रद्द करने के लिए दोगुनी स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी, जो 42 करोड़ रुपये के बराबर है।
यह पूरी डील जिस जमीन को लेकर हुई थी, वह पुणे के पॉश इलाके मुंधवा में है। यह 40 एकड़ में फैली है। सामने आया है कि यह सरकारी जमीन थी लेकिन इसे 300 करोड़ रुपये में अमाडिया एंटरप्राइजेज को बेच दिया गया। अमाडिया एंटरप्राइजेज में पार्थ पवार पार्टनर हैं। दावा किया जा रहा है कि इस जमीन की मार्केट वैल्यू 1,800 करोड़ रुपये है। इस मामले की जांच के लिए फडणवीस सरकार ने जांच कमेटी बनाई है, जिसे महीनेभर के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। FIR भी दर्ज की गई है, जिसमें अमाडिया एंटरप्राइजेज के पार्टनर दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और रवींद्र तारू को आरोपी बनाया गया है।
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क्यों देने होंगे 42 करोड़ रुपये?
अब यह डील रद्द हो गई है लेकिन इसके लिए 42 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि दिग्विजय पाटिल को बोल दिया है कि उनकी कंपनी को पहले से लागू 7% की स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना होगा, क्योंकि उन्होंने जमीन पर डेटा सेंटर बनाने का दावा करके छूट मांगी थी।
उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी को सेल डीड रद्द करने के लिए 7% स्टांप ड्यूटी और देना होगा। यानी, कुल मिलाकर दोगुनी स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी, तब जाकर सेल डीड रद्द होगी।
अधिकारी ने बताया कि कंपनी की सेल डीड के समय यह कहकर स्टांप ड्यूटी में छूट मांगी गई थी कि जमीन पर एक डेटा सेंटर बनाया जाएगा। हालांकि, कैंसिलेशन डीड से पता चलता है कि यह योजना अब रद्द कर दी गई है।
स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन के जॉइंट आईजी राजेंद्र मूथे ने PTI को बताया कि अमाडिया ने डेटा सेंटर बनाने का दावा करके स्टांप ड्यूटी में छूट मांगी थी। उन्होंने कहा, 'हालांकि, स्क्रूटनी में पता चला है कि इस तरह के प्रस्ताव पर छूट नहीं दी जा सकती, इसलिए कंपनी को 7% के साथ-साथ एक्स्ट्रा 7% स्टांप ड्यूटी का भी भुगतान करना होगा।'
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कितनी थी स्टांप ड्यूटी?
राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं का दावा है कि जिस जमीन का सौदा किया गया था, उसकी मार्केट वैल्यू 1,800 करोड़ रुपये थी।
अमाडिया एंटरप्राइजेज ने पुणे में फैली इस 40 एकड़ जमीन को 300 करोड़ रुपये में खरीदा था। इस पर 7% के हिसाब से 21 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी होती है। अब चूंकि 7+7=14% स्टांप ड्यूटी भरनी है, इसलिए 42 करोड़ रुपये देना होगा।
जॉइंट सब-रजिस्ट्रार की ओर से भेजे गए पत्र में साफ लिखा गया है कि सेल डीड तभी रद्द की जाएगी, जब स्टांप ड्यूटी का भुगतना किया जाएगा।
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क्या है पूरा मामला?
अमाडिया एंटरप्राइजेज ने कथित तौर पर डेटा सेंटर और आईटी पार्क बनाने के लिए पुणे में इस जमीन को खरीदा था। अडानी एंटरप्राइजेज में पार्थ पवार और उनके कजिन दिग्विजय पाटिल पार्टनर हैं।
यह जमीन शीतल तेजवानी के जरिए अमाडिया को 300 करोड़ में बेची गई थी। इस जमीन पर कुल 272 लोगों के नाम हैं और शीतल तेजवानी इसके पॉवर ऑफ अटॉर्नी थीं। जिस जमीन की डील हुई, वह सरकारी है।
इस मामले में पुणे के पिंपरी-चिंचवाड़ में FIR दर्ज की गई है। इसमें दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और रवींद्र तारू को आरोपी बनाया गया है। रवींद्र तारू सब-रजिस्ट्रार थे, जिन्हें अब सस्पेंड कर दिया गया है।
इस मामले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि कानून के मुताबिक काम किया जा रहा है और किसी को बचाने का सवाल नहीं उठता। FIR में पार्थ पवार का नाम न होने पर फडणवीस ने कहा कि जिन्होंने दस्वातेज पर साइन किए और जिन्होंने जमीन बेची, उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, 'जब FIR दर्ज होती है तो वह संबंधित पक्षों के खिलाफ दर्ज की जाती है। इस मामले में कंपनी और उसके सिग्नेटरिज के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।'