1,800 करोड़ की जमीन 300 करोड़ में बिकी! 'लैंड डील' में कैसे फंसी पवार फैमिली?
महाराष्ट्र की एक लैंड डील में अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम सामने आया है। इसके बाद सियासत गरमा गई है। क्या है पूरा मामला? सरकार क्या कर रही है? सबकुछ समझिए।

अजीत पवार और पार्थ पवार। (AI Generated Image)
महाराष्ट्र में एक 'लैंड डील' को लेकर नया सियासी बवाल खड़ा हो गया है। इस डील में डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम सामने आ रहा है। जिस जमीन को लेकर सौदा किया गया था, वह असल में सरकारी थी। अब इस पूरे मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक कमेटी बना दी है।
यह सारा बवाल जिस जमीन को लेकर हो रहा है, वह पुणे के पॉश इलाके मुंधवा में है। आरटीआई एक्टिविस्ट विजय कुंभार ने दावा किया है कि यह लैंड डील सिर्फ 300 करोड़ में हो गई, जबकि इसकी मार्केट वैल्यू कहीं ज्यादा है। यह जमीन पार्थ पवार की कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज को बेची गई थी। ऐसा भी दावा है कि इस डील के लिए 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी।
मामला सामने आने के बाद कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस लैंड डील को 'जमीन चोरी' कहा है। वहीं, सफाई देते हुए अजित पवार ने कहा कि उनके बेटे पार्थ को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुणे में उनकी कंपनी ने जो जमीन खरीदी है, वह सरकारी है।
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क्या है पूरी लैंड डील की कहानी?
जिस जमीन का सौदा हुआ, वह पुणे के पॉश इलाके मुंधवा में है। न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह जमीन 40 एकड़ में है और यह सरकारी है।
अधिकारियों ने बताया कि यह जमीन 300 करोड़ रुपये में अमाडिया एंटरप्राइजेज को बेची गई। यह जमीन शीतल तेजवानी नाम के व्यक्ति के जरिए बेची गई। इस जमीन पर कुल 272 लोगों के नाम हैं और शीतल तेजवानी इसके पॉवर ऑफ अटॉर्नी थे। उन्होंने बताया कि सरकारी जमीन होने के कारण इसे किसी निजी कंपनी को नहीं बेचा जा सकता।
जॉइंट डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने की शिकायत पर पुणे के पिंपरी-चिंचवाड़ में FIR दर्ज की गई है। इसमें दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और रवींद्र तारू को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि आरोपियों ने मिलीभगत करके जमीन की सेल डीड तैयार की, जबकि उन्हें पता था कि यह जमीन सरकारी है।
संतोष हिंगाने के ऑफिस ने 9 मई को एक लिखित सूचना में बताया था कि 5.89 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी बाकी है। स्टांप ड्यूटी वसूले बिना ही सेल डीड तैयार कर दी गई।
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पार्थ पवार का नाम कैसे आ गया?
यह जमीन जिस अमाडिया एंटरप्राइजेज को बेची गई है, उसमें पार्थ पवार भी पार्टनर हैं। पार्थ के अलावा दिग्विजय पाटिल इसमें पार्टनर हैं। कंपनी का एड्रेस पुणे के यशवंत घाडगे नगर स्थित पवार परिवार के एक बंगले पर रजिस्टर्ड है।
आईजी रजिस्ट्रार ऑफिस के मुताबिक, सब-रजिस्ट्रार रवींद्र तारू को कंपीटेंट अथॉरिटी से NOC मिलने के बाद ही डॉक्यूमेंट रजिस्टर्ड करने चाहिए थे। पर इस मामले में दस्तावेज बिना किसी NOC के ही रजिस्टर किए गए।
इतना ही नहीं, दस्तावेजों को केवल 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी लेकर रजिस्टर्ड किया गया था। यह छूट दी जा सकती थी लेकिन 2% की एक अलग ड्यूटी थी, जिसे माफ नहीं किया जा सकता था। इससे सरकारी खजाने को कुल 6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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क्या 1,800 करोड़ की थी जमीन?
दावा किया जा रहा है कि पार्थ पवार की कंपनी को जो जमीन बेची गई, उसकी मार्केट वैल्यू 1,800 करोड़ रुपये थी।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि 'महाराष्ट्र में 1,800 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन जो दलितों के लिए थी, उसे सिर्फ 300 करोड़ में मंत्री जी के बेटे को बेच दिया गया।' उन्होंने कहा, 'यह जमीन चोरी उस सरकार की है, जो खुद वोट चोरी से बनी है।'

शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने दावा किया कि उस जमीन की कीमत 1,800 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि 'कंपनी ने 22 अप्रैल को एक आईटी पार्क बनाने का प्रस्ताव पास किया था और एक लाख रुपये की कैपिटल होने के बावजूद सरकार को वह प्रस्ताव सौंपा।' उन्होंने दावा किया कि सारा काम 27 दिन में पूरा हो गया और स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई गई।
कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि इस डील की फाइल 'रॉकेट स्पीड' से आगे बढ़ी। उन्होंने दावा करते हुए कहा, 'कुछ ही घंटों में डायरेक्टोरेट ऑफ इंडस्ट्रीज ने न केवल कंपनी को आईटी पार्क और डेटा सेंटर के लिए जमीन के ट्रांसफर को मंजूरी दे दी, बल्कि 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी।'
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अजित पवार का क्या है कहना?
इस मामले पर अब तक पार्थ पवार की कोई प्रतिक्रिया नहीं है। हालांकि, उनके पिता और फडणवीस सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार का कहना है कि उनके बेटे को नहीं पता था कि यह सरकारी जमीन है।
अजित पवार ने कहा, 'सरकारी जमीन को बेचा नहीं जा सकता। पार्थ और उनके पार्टनर दिग्विजय पाटिल को इसकी जानकारी नहीं थी। इसकी बिक्री का रजिस्ट्रेशन कैसे हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, यह सब जांच में सामने आ जाएगा।'
पवार ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी अधिकारियों पर पार्थ की कंपनी को जमीन ट्रांसफर करने का दबाव नहीं डाला। उन्होंने कहा, 'FIR में तीन लोगों का नाम है लेकिन मेरे बेटे का नहीं, क्योंकि ये तीनों लोग दस्तावेज पर दस्तखत करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस गए थे।'
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उन्होंने आगे कहा, 'न तो मैंने और न ही मेरे दफ्तर से कोई फोन गया, न कोई मदद की और न ही किसी भी स्तर पर इस लेन-देन में हमारी कोई भूमिका थी या हमें इसकी कोई जानकारी थी। यह सिर्फ एक लैंड डील थी और पार्थ, उनकी कंपनी अमाडिया या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने कोई भुगतान नहीं किया था और जमीन का कब्जा भी नहीं लिया गया।'
अजित पवार ने बताया कि लैंड डील रद्द की जा रही है। उन्होंने कहा, 'पार्थ का कहना है कि प्रस्तावित डील कानून के दायरे में और पूरी तरह से निष्पक्ष थी। चूंकि गड़बड़ी के आरोप लगे हैं, इसलिए वह डील रद्द करने पर राजी हो गए हैं। सेल डीड रद्द करने के लिए जरूरी दस्तावेज रजिस्ट्रार ऑफिस में पहले ही जमा कर दिए गए हैं।'
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अब इस मामले में आगे क्या?
इस पूरे मामले की जांच के लिए फडणवीस सरकार ने एक हाई लेवल कमेटी बनाई है, जिसे एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'मामला गंभीर है। मैंने संबंधित विभागों से जानकारी मांगी है। जांच के आदेश दे दिए गए हैं।'
वहीं, मामला सामने आने के बाद अधिकारियों पर भी गाज गिरनी शुरू हो गई है। सब-रजिस्ट्रार रवींद्र तारू को डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन में अनियमितता करने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोपों में सस्पेंड कर दिया गया है।
जिला कलेक्ट्रेट के एक सीनियर अफसर ने बताया कि तहसीलदार रैंक के अफसर सूर्यकांत येवाले को भी एक दूसरे मामले में सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि, येवाले इस लैंड डील के मामले में भी रडार पर थे।
आईजी रजिस्ट्रेशन रवींद्र बिनवाड़े ने कहा कि 'जांच कमेटी यह पता लगाएगी कि सरकारी जमीन एक निजी कंपनी को कैसे बेची गई? यह भी पता लगाएगी कि क्या नियमों के मुताबिक छूट दी गई थी?' उन्होंने कहा, 'अगर यह सरकारी जमीन है तो इसकी बिक्री का रजिस्ट्रेशन नहीं होना चाहिए था।'
फिलहाल, इस पूरी लैंड डील के मामले में महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक सियासत गरमा गई है। महाराष्ट्र सरकार ने जांच के लिए कमेटी बना दी है। अजित पवार सफाई दे रहे हैं कि उनके बेटे को सरकारी जमीन होने की जानकारी नहीं थी।
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर किसी मंत्री के बच्चे गलत काम में संलिप्त हैं तो इसके लिए मंत्री को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
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