बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि भगवान राम के 5 पिता थे। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हो रहा है। लोग उनके शास्त्रीय ज्ञान पर सवाल उठा रहे हैं और आलोचना कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी बागेश्वर धाम के इस बयान को लेकर उन पर सवाल उठाए हैं।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भगवान राम के 5 पिताओं के नाम भी गिनाए हैं। उन्होंने पिता की परिभाषा बताई है और यह भी कहा है कि क्यों 5 लोग राम के पिता कहे जाते हैं। वह खुद कहते हैं कि इसका कोई शास्त्रीय प्रमाण नहीं है लेकिन खुद 5 पिताओं के नाम गिना देते हैं। पिता में एक नाम जटायु का है।
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धीरेंद्र शास्त्री ने कहा क्या है?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री:-
रामजी के 5 बाप थे। राम के 5 पिता हैं। स्वीकार करना बड़ा मुश्किल है। पहले पिता, अग्नि, दूसरे पिता दशरथ, तीसरे पिता जटायू, चौथे पिता विश्वामित्र और पांचवे पिता जनक।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'राम जी के 5 पिता हैं, यह यह तुम्हें किसी लेख में नहीं मिलेगा। हमारी तो छोटी उमर है, मति है नहीं फिर भी बता रहे हैं। राम के पहले पिता हैं अग्नि। अग्निदेव से ही खीर प्रकट हुई। दूसरे पिता दशरथ जी। दशरथ ने पालन पोषण किया। तीसरे पिता जटायु है। देवासुर संग्राम में दशरथ जी मूर्छित होकर गिर पड़े, जटायू ने अपनी पंखों से दशरथ की मूर्छा खोली। दशरथ ने कहा कि आपको क्या चाहिए। जटायू ने कहा कुछ नहीं। जटायू ज्योतिषी थे, उन्होंने कहा आपकी हाथ की रेखाएं बता रही हैं कि 4 पुत्र होंगे आपके। बड़े पुत्र पर हमारा ही अधिकार हो, ऐसा वरदान दीजिए।'
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'दशरथ ने कहा कि एक भी संतान नहीं है, इन्हीं के भरोसे हो जाए तो देने में क्या हर्ज है। हमने वचन दिया। तीसरे पिता हैं जटायू हैं, इसे प्रताड़ित कर रहे हैं। दशरथ की अंत्येष्टि राम ने नहीं की, जटायू को पिता मानकर राम ने दाह दिया। राम के चौथे पिता हैं विश्वामित्र। जब जाने लगे तो दशरथ ने विश्वामित्र को यह अधिकार दिया, उन्हें सौंप दिया, आज से आपके पिता हैं, ये आपके बेटे हैं। 5वें पिता हैं जनक। पत्नी के पिता भी पिता के समान हैं। यह नई बताए हैं। यह अनुभव के आधार कह रहे हैं।'
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लोगों ने क्या कहा है?
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है, 'ये महाशय प्रभु श्री राम का घोर अपमान भी कर रहे हैं और कह रहे हैं पूछना मत कहां लिखा है?' वसुदेव नाम के एक शख्स ने लिखा, 'भगवान स्वयं अग्नि हैं जबकि ये उन्हें अग्नि पुत्र बता रहा है। ABC नहीं पता सनातन ग्रंथों की।' एक यूजर ने लिखा कि यह भगवान राम का अपमान है।
धीरेंद्र कृष्ण के समर्थन में क्या लिख रहे हैं लोग?
आयुष त्यागी नाम के एक शख्स ने X पर लिखा, 'रामायण का इतना सुंदर दर्शन सिर्फ एक आपिये को ही अपमान लग सकता है। इन सबको पिता का दर्जा देना बताता है की राजा दशरथ और प्रभु राम अपना साथ देने वालो का कितना सम्मान करते थे। यही उनकी महानता है कि उन्होंने इन सबको पिता तुल्य समझा। तुम लोग केजरीवाल को अपना बाप बनाकर घूम रहे हो, तुम्हें पिता तुल्य शब्द अपमान ही नजर आयेगा।' कई और लोगों ने धीरेंद्र कृष्ण के बयान को सही बताया है। लोगों का कहना है कि अग्नि, जीवन का तत्व है, पिता के मित्र पिता तुल्य होते हैं, गुरु और पत्नी के पिता भी पिता तुल्य ही होते है। उन्हें पिता कहना गलत नहीं है।