जीएसटी काउंसिल की मीटिंग शुरू हो गई है। यह मीटिंग दो दिन तक चलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह मीटिंग हो रही है। जीएसटी काउंसिल की यह 56वीं मीटिंग है। इस बार इस मीटिंग पर फोकस इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि इसी में जीएसटी में बदलाव को मंजूरी दी जाएगी। जीएसटी में बदलाव का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से किया था। 


पीएम मोदी ने 15 अगस्त को ऐलान किया था कि सरकार जल्द ही जीएसटी में बहुत बड़ा बदलाव करने जा रही है। उन्होंने कहा, 'दीवाली में आपकी डबल दीवाली का काम मैं करने वाला हूं। इस दीवाली में आपको बहुत बड़ा तोहफा मिलने वाला है। पिछले 8 साल से हमने GST में बहुत बड़ा रिफॉर्म किया। पूरे देश में टैक्स के बोझ को कम किया। 8 साल के बाद समय की मांग है कि हम एक बार उसको रिव्यू करें। हमने एक हाई पावर कमेटी को बैठाकर उसको रिव्यू किया, राज्यों से भी विचार किया। हम नेक्स्ट जनरेशन GST रिफॉर्म लेकर आ रहे हैं।'


उन्होंने कहा था कि दीवाली पर बहुत बड़ा तोहफा मिलने वाला है। रोजमर्रा की चीजें बहुत सस्ती हो जाएंगी। इससे इकॉनमी को भी बहुत फायदा होगा।

 

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मीटिंग से पहले वित्त मंत्री ने क्या बताया था?

जीएसटी काउंसिल की मीटिंग नई दिल्ली में हो रही है। जीएसटी काउंसिल की अध्यक्ष वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं। इस काउंसिल में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं।


इस मीटिंग से पहले चेन्नई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने कहा था कि नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी में प्रक्रियाओं को और सरल बनाएंगे और टैक्स का बोझ कम करेंगे।

 


उन्होंने कहा था, 'दो दिन की बैठक में नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी सुधारों को लागू करने की योजना है।' उन्होंने आगे कहा था कि आने वाले महीनों में टैक्स के बोझ में और कमी आएगी, जिससे छोटे कारोबारियों के काम करना आसान हो जाएगा।

 

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मीटिंग से क्या उम्मीदें?

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि दीवाली पर 'बड़ा तोहफा' मिलेगा। जीएसटी काउंसिल में जीएसटी में बदलाव को मंजूरी दी जाएगी। बताया जा रहा है कि सरकार जीएसटी की मौजूदा 4 स्लैब को घटाकर 2 कर देगी।


जीएसटी में अभी 4 स्लैब- 5%, 12%, 18% और 40% हैं। अभी खाने-पीने की जरूरी चीजों पर कोई टैक्स नहीं लगता है। रोजमर्रा की चीजें 5% टैक्स के दायरे में आती हैं। वहीं, स्टैंडर्ड चीजों पर 12% टैक्स लगाया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विसेस पर 18% जीएसटी लगता है। जबकि, लग्जरी आइटम्स पर 28% टैक्स लगता है। इनके अलावा, कुछ चीजों पर 40% जीएसटी लगाया जाता है।


न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, सरकार GST की 4 स्लैब को कम कर 2 ही कर देगी। इसके बाद 12% और 28% की स्लैब खत्म हो जाएगी। बताया जा रहा है कि 12% के दायरे में आने वाले बटर, फ्रूट जूस और ड्राई फ्रूट्स जैसी 90% चीजों को 5% स्लैब में डाला जाएगा। इसी तरह AC, TV, फ्रिज और वॉशिंग मशीन के साथ सीमेंट जैसी 90% चीजें जिनपर अभी 28% GST लगता है, उन्हें 18% के दायरे में लाया जा सकता है।
 

PTI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि बदलाव के बाद पान-मसाला, तंबाकू, गुटखा और ऑनलाइन गेमिंग को 40% GST के दायरे में लाया जा सकता है।

 

क्या-क्या सस्ता हो सकता है?

PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मंत्रियों के समूह यानी GoM ने 40 लाख रुपये तक की कीमत वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों को 18% जीएसटी के दायरे में रखने का समर्थन किया है। हालांकि, केंद्र सरकार इसे 5% के दायरे में लाना चाहती है और जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भी यही रुख अपनाया जाएगा।


घी, मेवा, पीने का पानी (20 लीटर), बिना गैस वाले पेय पदार्थ, नमकीन, जूते-चप्पल, दवाइयां और मेडिकल इक्विपमेंट जैसे ज्यादातर आम इस्तेमाल की चीजें 12% से 5% की टैक्स स्लैब में आ सकती हैं। पेंसिल, साइकिल, छाते और हेयर पिन जैसी चीजें भी 5% की स्लैब में डाली जा सकती हैं।


टीवी, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर जैसी कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है क्योंकि इन पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% करने की बात कही जा रही है।


ऑटोमोबाइल जैसी सामानों पर अभी 28% जीएसटी लगता है। साथ ही साथ कंपनसेशन सेस भी लगता है। बताया जा रहा है कि कुछ कारों पर 18% जीएटसी लगाया जा सकता है। जबकि, एसयूवी और लग्जरी कारों पर 40% जीएसटी लगाया जा सकता है। इसके अलावा, तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसी चीजों क भी 40% टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है।

 

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राज्यों की मांग- मुआवजा दे केंद्र

जीएसटी में अगर स्लैब घटा दी गई तो इससे राज्यों को बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जीएसटी में बड़ा हिस्सा राज्यों को मिलता है। राज्यों की मांग है कि इस नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार उन्हें मुआवजा दे। पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का कहना है कि 40% स्लैब वाली चीजों से होने वाले रेवेन्यू को राज्यों के साथ साझा किया जाए।


जीएसटी काउंसिल की मीटिंग से पहले विपक्षी पार्टियों की सरकार वाले 8 राज्य- हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्रियों ने बैठक की थी। 


इन राज्यों का तर्क है कि टैक्स रेट में फेरबदल और स्लैब को खत्म करने से रेवेन्यू में कमी आएगी। हालांकि, केंद्र का मानना ​​है कि चीजें सस्ती होने से खपत बढ़ेगी और आने वाले समय में नुकसान की भरपाई हो जाएगी। 


झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि नया जीएसटी लागू होता है तो इससे उनके राज्य को 2 हजार करोड़ का घाटा होगा। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार हमें नुकसान की भरपाई करने पर राजी होती है तो हमें इस बदलाव को मंजूरी देने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे में राज्यों को रेवेन्यू में होने वाले नुकसान की भरपाई करने की जिम्मेदारी केंद्र की है।