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सूरत से मुंबई और कपड़े-जूते तक; ट्रंप के 50% टैरिफ से कितना नुकसान?

अमेरिका जाने वाले भारतीय सामानों पर अब एक्स्ट्रा 50% टैरिफ लगेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर पहले ही 25% टैरिफ बढ़ा दिया था और अब 25% टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो गया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर लगाया गया एक्स्ट्रा 25% टैरिफ आज से लागू हो गया है। ट्रंप ने जो पहले 25% टैरिफ लगाया था, वह 7 अगस्त से लागू हो चुका है। अब अमेरिका जाने वाले भारतीय सामान पर कुल 50% टैरिफ ज्यादा लगेगा। इसे ऐसे समझिए कि अगर पहले किसी भारतीय सामान पर 10% टैरिफ लगता था तो अब यह बढ़कर 60% हो जाएगा।

 

ट्रंप ने यह टैरिफ रूस से तेल खरीदने का हवाला देते हुए लगाया है। ट्रंप का कहना है कि भारत, रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है, जिससे उसे यूक्रेन में जंग लड़ने में मदद मिल रही है। अमेरिका का यह भी कहना है कि भारत जो रूस से तेल खरीदता है, उसे ओपन मार्केट में भी बेच रहा है और मुनाफा कमा रहा है। 

 

अमेरिका से टैरिफ पर टेंशन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार स्वदेशी अपनाने की बात कह रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने एक बार फिर कहा कि 'स्वदेशी हर किसी का जीवन मंत्र होना चाहिए।'

 

ट्रंप के इस टैरिफ का असर मंगलवार को शेयर मार्केट पर भी दिखा। BSE के Sensex में मंगलवार को 849.37  पॉइंट्स की गिरावट आई और यह 80,786.54 पर बंद हुआ। मार्केट में गिरावट के कारण BSE पर लिस्टेड कंपनियों की मार्केट कैप 5.41 लाख करोड़ रुपये कम हो गई। 

ट्रंप के 50% टैरिफ की 4 बड़ी बातें

  1. असर कितना?: ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, अमेरिका को होने वाले 66% भारतीय एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा। 27 अगस्त से 60.2 अरब डॉलर के भारतीय एक्सपोर्ट पर 50% ज्यादा टैरिफ लगेगा। 
  2. अमेरिकी एक्सपोर्ट कितना घटेगा?: भारत की कॉमर्स मिनिस्ट्री ने बताया कि अमेरिका को एक्सपोर्ट किए जाने वाले करीब 48.2 अरब डॉलर के सामान पर एक्स्ट्रा टैरिफ का असर पड़ेगा।
  3. किन पर टैरिफ नहीं?: करीब 30% एक्सपोर्ट पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। अमेरिका को होने वाले 27.6 अरब डॉलर के फार्मा, API और इलेक्ट्रॉनिक सामानों को टैरिफ से छूट मिली है। इनमें 56% हिस्सा तो दवाइयों का ही है।
  4. अर्थव्यवस्था पर क्या असर?: 2025-26 में भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट 43% घटकर 49.6 अरब डॉलर होने का अनुमान है। GDP ग्रोथ रेट भी 6.5% से कम होकर 5.6% हो सकती है। 

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सबसे ज्यादा असर कहां होगा?

  • झींगा: भारत सालाना 2.4 अरब डॉलर का झींगा निर्यात अमेरिका को करता है। अमेरिका के झींगा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 32.4% है। अब इस पर 60% टैरिफ लगेगा। इससे विशाखापट्टनम और पश्चिमी गोदावरी के फार्म्स पर खतरा है। वहीं, इक्वाडोर, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड को भारत पर टैरिफ का फायदा मिलेगा।
  • डायमंड, गोल्ड और ज्वैलरी: 10 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट है। अमेरिका के इम्पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40% है। अब इस पर 52.1% टैरिफ लगेगा। मुंबई में 50 हजार और जयपुर में 35 हजार नौकरियों पर खतरा है। सूरत में 12 लाख लोग इससे जुड़े हैं। अमेरिकी खरीदार इजरायल, बेल्जियम, चीन और मेक्सिको का रुख कर सकते हैं।
  • टेक्सटाइल: भारत का एक्सपोर्ट 10.8 अरब डॉलर है और अमेरिकी इम्पोर्ट में हिस्सेदारी 35% है। अब इस पर 63.9% टैरिफ लगेगा। इससे तिरुप्पुर, नोएडा, गुरुग्राम, बेंगलुरु, लुधियाना और जयपुर पर असर पड़ सकता है। वहीं बांग्लादेश, वियतनाम और मेक्सिको को फायदा मिल सकता है।
  • कालीन: भारत से सालाना 1.2 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट अमेरिका को होता है। भारत की हिस्सेदारी 58.6% है। अब कालीन पर 52.9% टैरिफ लगेगा। इससे भदोही, मिर्जापुर और श्रीनगर की कालीन इंडस्ट्री पर असर पड़ने की संभावना है। तुर्की, नेपाल, पाकिस्तान और चीन को इससे फायदा होगा।
  • हैंडीक्राफ्ट: अमेरिकी इम्पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 40% है। भारत सालाना 1.6 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट करता है। फर्नीचर के एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 44.8% है। ट्रंप के टैरिफ से जोधपुर, जयपुर, मुरादाबाद और सहारनपुर की फैक्ट्रियों पर असर पड़ेगा। वियतनाम, चीन, तुर्की और मेक्सिको को इससे फायदा होने की उम्मीद है।
  • चमड़ा और जूते: भारत से 1.2 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट होता है। अमेरिका के इम्पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 20% है। इससे आगरा, कानपुर और तमिलनाडु के अंबुर-रानीपेट के कारखानों पर असर पड़ सकता है। भारत पर टैरिफ बढ़ने से वियतनाम, चीन, इंडोनेशिया और मेक्सिको को फायदा हो सकता है।
  • एग्रीकल्चर और प्रोसेस्ड फूड: भारत से अमेरिका को इसका 6 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट होता है। अब बासमती चावल, मसाले और चाय जैसे सामानों पर टैरिफ बढ़ जाएगा। ऐसे में अमेरिका अपनी जरूरत के लिए पाकिस्तान, थाईलैंड, वियतनाम, केन्या और श्रीलंका से अपना इम्पोर्ट बढ़ा सकता है।

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इन चीजों पर नहीं लगेगा टैरिफ

आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। हालांकि, अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार, यह 91.2 अरब डॉलर था।

अमेरिका जाने वाले 66% सामानों पर ट्रंप के टैरिफ का असर पड़ेगा। हालांकि, फार्मा, API और इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर टैरिफ नहीं बढ़ाया गया है। 

 

भारत से अमेरिका को कम कीमत पर फार्मा और API मिल जाता है। भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 12.7 अरब डॉलर का फार्मा एक्सपोर्ट किया था, जिनमें कैंसर, कार्डियोवस्कुलर, डायबिटीज और पेनकिलर जैसी दवाइयां थीं। वहीं, दवाएं बनाने के जरूरी कच्चा माल यानी API का एक्सपोर्ट 2.72 अरब डॉलर रहा था। 

 

इनके अलावा स्मार्टफोन, स्विच, इंटीग्रेटेड सर्किट, चिप और स्टोरेज डिवाइस जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान पर भी बढ़ा हुआ टैरिफ लागू नहीं होगा। भारत ने 2024-25 में 8.18 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट अमेरिका को किया था। 

 

वहीं, भारत ने 2024 में अमेरिका को 6.6 अरब डॉलर के ऑटो पार्ट्स बेचे थे। इनमें से कार और छोटे ट्रकों में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स पर 25% टैरिफ ही लगेगा।

 

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भारत को क्या करना होगा?

भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ ज्यादा लगने से एक्सपोर्ट पर बड़ा असर पड़ेगा। अकेले भारत का अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट 43% कम हो सकता है।

 

एक ओर भारत पर बहुत ज्यादा टैरिफ है तो दूसरी ओर भारत के पड़ोसियों पर कम टैरिफ है। मसलन, ट्रंप ने म्यांमार पर 40%, थाईलैंड और कंबोडिया पर 36%, बांग्लादेश पर 35%, इंडोनेशिया पर32%, चीन और श्रीलंका पर 30%, मलेशिया पर 25% और फिलीपींस और वियतनाम पर 20% टैरिफ लगाया है।

 

अमेरिकी टैरिफ से भारत में नौकरियों पर भी बड़ा खतरा पैदा हो गया। चमड़ा और जूता इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इससे कर्मचारियों की संख्या कम करने और उत्पादन घटाने पर मजबूर होना पड़ेगा। वहीं, डायमंड और गोल्ड ज्वैलरी पर टैरिफ बढ़ने से सूरत, मुंबई और जयपुर में हजारों नौकरियां खतरे में आ गई हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि इससे नौकरियां बिल्कुल जाएंगी, क्योंकि अमेरिका हमारे लिए सबसे बड़ा बाजार है।

 

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष एफसी रल्हान ने बताया कि तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने उत्पादन बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए तत्काल सरकारी मदद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को बिना ब्याज के लोन और एक्सपोर्ट क्रेडिट सपोर्ट देना चाहिए।

 

एक एक्सपोर्टर ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि हमें इस हाई टैरिफ से निपटने के लिए एक लॉन्ग टर्म स्ट्रैटजी बनाने की जरूरत है। ब्याज में छूट, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, GST की बकाया रकम की समय पर वापसी और स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) से जुड़े कानूनों में सुधार करने की जरूरत है।

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