बिहार में चुनाव हैं। हर बार की तरह ही इस बार भी पलायन ही सबसे बड़ा मुद्दा है। हर पार्टी वादा कर रही है कि सत्ता में आई तो पलायन खत्म करवा देगी। महागठबंधन ने वादा किया है कि सरकार बनने पर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देंगे, ताकि नौकरी के लिए किसी को बाहर न जाना पड़े। वहीं, विपक्ष आरोप लगाता है एनडीए की सरकार ने बिहार के युवाओं के लिए कुछ नहीं किया।
पहली बार चुनावी राजनीति में उतरे प्रशांत किशोर ने भी वादा किया है कि अगर जन सुराज पार्टी सत्ता में आती है तो किसी को रोजी-रोटी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बिहार कांग्रेस ने कुछ दिन पहले एक पोस्ट की थी, जिसमें एनडीए पर 'बिहार को मजदूर फैक्ट्री' बनाने का आरोप लगाया गया था।
हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में दावा किया था कि उनकी सरकार में 50 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गई है। उन्होंने वादा किया कि सत्ता में आने पर अगले 5 साल में 1 करोड़ नौकरियां दी जाएंगी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि एनडीए की सरकार में बिहार को स्टार्टअप हब के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि यहां का युवा यहीं रहकर काम कर सके और उसे बाहर न जाना पड़े।
बिहार में पलायन कितनी बड़ी समस्या?
आबादी के लिहाज से देश के दो बड़े राज्य हैं। पहला- उत्तर प्रदेश और दूसरा- बिहार। इन दोनों ही राज्यों में पलायन और बेरोजगारी बड़ी समस्या है।
देश में सबसे नौकरी के लिए सबसे ज्यादा पलायन इन्हीं दोनों राज्यों में होता है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 45 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे थे जो पलायन करके अपने घर से दूसरी जगह रह रहे थे। इनमें 1.23 करोड़ प्रवासी उत्तर प्रदेश के थे। बिहार के रहने वाले 74.54 लाख प्रवासी थे। जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार के रहने वाले 13.36 लाख प्रवासी झारखंड में रह रहे थे। दिल्ली में 11.07 लाख, पश्चिम बंगाल 11.04 लाख, उत्तर प्रदेश में 10.73 लाख और महाराष्ट्र में 5.69 लाख बिहारी प्रवासी रह रहे थे।
आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के 74.54 लाख प्रवासियों में से 22.65 लाख यानी 30% लोगों ने सिर्फ रोजगार के लिए पलायन किया था।
वहीं, 2024 में आई इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की रिपोर्ट बताती है कि बिहार के लगभग 39 फीसदी प्रवासी काम के लिए अपना घर छोड़कर दूसरी राज्यों का रुख करते हैं।
बिहार में पलायन की एक बड़ी वजह रोजगार ही है। हालांकि, आंकड़े यह भी बताते हैं कि बिहार में बेरोजगारी दर कम भी हुई है। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के मुताबिक, 2018-19 में बिहार में बेरोजगारी दर 31 फीसदी से ज्यादा थी, जो 2023-24 में घटकर लगभग 10 फीसदी हो गई।
अब बात बिहार के स्टार्टअप इकोसिस्टम की
दूसरे देशों की तुलना में स्टार्टअप के मामले में भारत अब भी बहुत पीछे है। हालांकि, कुछ सालों में भारत में स्टार्टअप की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मोदी सरकार आने के बाद जनवरी 2016 में 'स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव' शुरू किया था। इसके बाद से स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकार का दावा है कि अब हर दिन औसतन 80 स्टार्टअप खुल रहे हैं।
भारत में स्टार्टअप को डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) की तरफ से मान्यता मिलती है। जनवरी 2016 से अब तक DPIIT ने 1.57 लाख से ज्यादा स्टार्टअप्स को मान्यता दी है। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि बिहार में भी हर साल नए-नए स्टार्टअप्स खुल रहे हैं।
संसद में सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ो के मुताबिक, 2016 से 2024 तक बिहार में 3,185 स्टार्टअप्स खुले हैं। इनमें से लगभग 90 फीसदी स्टार्टअप 5 साल में खुले हैं। 2020 से 2024 के बीच बिहार में 2,835 नए स्टार्टअप्स खुले हैं।

पंजाब-झारखंड से ज्यादा स्टार्टअप बिहार में
इसी साल मार्च में सरकार ने स्टार्टअप को लेकर आंकड़ा दिया था। इसमें बताया गया था कि जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2025 तक किस राज्य में कितने स्टार्टअप खुले हैं?
इसमें सरकार ने बताया था कि सबसे ज्यादा महाराष्ट्र और कर्नाटक में खुले हैं। महाराष्ट्र में 28,511 तो कर्नाटक में 16,954 स्टार्टअप खुले हैं। राजधानी दिल्ली में 16,356 स्टार्टअप खुले हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में 15,360 और गुजरात में 13,400 स्टार्टअप शुरू हुए हैं।
जनवरी 2016 से लेकर 31 जनवरी 2025 तक बिहार में कुल 3,286 स्टार्टअप खुले हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में बिहार कई राज्यों से आगे है। आंध्र प्रदेश, पंजाब और झारखंड जैसे राज्यों से भी ज्यादा स्टार्टअप बिहार में हैं। आंध्र प्रदेश में 2,639 तो पंजाब में 1,775 और झारखंड में 1,515 स्टार्टअप खुले हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान छत्तीसगढ़ में 1,776 और असम में 1,514 स्टार्टअप ही शुरू हुए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा स्टार्टअप के मामले में बिहार 13वें नंबर पर है। बिहार इस मामले में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, गोवा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, मणिपुर, पुडुचेरी, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और सिक्किम से भी आगे है।
स्टार्टअप से कितनी नौकरियां?
बिहार में 650 से ज्यादा स्टार्टअप अकेले राजधानी पटना में है। मुजफ्फरपुर में 69 और पूर्वी चंपारण में 64 स्टार्टअप हैं।
बिहार में स्टार्टअप साल-दर-साल बढ़ रहे हैं। हालांकि, अभी बहुत से स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनका सालाना रेवेन्यू 1 लाख रुपये से भी कम है। स्टार्टअप बिहार की वेबसाइट के मुताबिक, बिहार में 667 स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनका सालाना रेवेन्यू 50 हजार से 1 लाख रुपये के बीच है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बिहार में हर एक स्टार्टअप ने औसतन एक हजार लोगों को रोजगार दिया है। 31 जनवरी 2025 तक बिहार में स्टार्टअप्स में 30,610 लोग नौकरी कर रहे थे। इनमें से 87 फीसदी से ज्यादा लोग तो पिछले 5 साल में ही बढ़े हैं।
बिहार भले ही अभी स्टार्टअप्स के मामले में बाकी राज्यों से पीछे हो लेकिन यहां धीरे-धीरे एंटरप्रेन्योरशिप बढ़ रही है। धीरे-धीरे ही सही लेकिन बिहार में अब स्टार्टअप भी बढ़ रहे हैं और इनमें काम करने वालों की संख्या भी। बिहार की नीतीश सरकार ने नए कारोबार को बढ़ावा देने के मकसद से 2022 में नई स्टार्टअप पॉलिसी लागू की थी।
