बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब इसे और व्यापक किया जाएगा। चुनाव आयोग ने सोमवार को एलान किया है कि देश 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया 28 नवंबर से शुरू की जाएगी। 7 फरवरी तक यह प्रक्रिया जारी रहेगी। इसे SIR का फेज 2 कहा जा रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'अगर आपका नाम 2003, कुछ राज्यों में 2002 या 2004 की पुरानी मतदाता सूची में है तो आपको अपनी नागरिकता या पहचान साबित करने के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। सिर्फ एक एन्यूमरेशन फॉर्म भरना काफी होगा। लेकिन अगर आपका नाम इन पुरानी सूचियों में नहीं है, तो आपको अपनी पहचान और निवास साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे।'
चुनाव आयोग का कहना है कि अगर माता-पिता के नाम पुरानी सूची में हों और आप उनके साथ अपना रिश्ता साबित कर सकें तो आपका नाम वोटर लिस्ट से बाहर नहीं होगा। अगर यह भी संभव नहीं है तो आपको पहचान और निवास के लिए अन्य दस्तावेज देने होंगे।
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किन 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR होगा?
- अंडमान और निकोबार
- छत्तीसगढ़
- गोवा
- गुजरात
- केरल
- लक्षद्वीप
- मध्य प्रदेश
- पुडुचेरी
- राजस्थान
- तमिलनाडु
- उत्तर प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
साल 2003 की क्यों टाइम लाइन है?
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि 2003 की मतदाता सूची को SIR के लिए आधार बनाया गया है। इसके दो कारण हैं। साल 2003 में आखिरी बार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR हुई थी। उसके बाद की जांच में लोगों को नए सिरे से दस्तावेज देने की जरूरत नहीं पड़ी थी। 2003 की मतदाता सूची में जो लोग 18 साल के थे, उनका जन्म, 1987 से पहले हुआ होगा। 21 साल से SIR की प्रक्रिया नहीं हुई इसलिए अब यह अनिवार्य है।
अगर आपका नाम 2003 की सूची में है, तो क्या करें?
अगर आपका नाम 2002/03/04 की मतदाता सूची में है तो आपको सिर्फ एक 'एन्यूमरेशन फॉर्म' भरना होगा। कोई अतिरिक्त दस्तावेज देने की जरूरत नहीं।
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अगर नाम सूची में नहीं है तो क्या करें?
- आप अपने माता-पिता का नाम पुरानी सूची में दिखा सकते हैं
- उनके साथ रिश्ते का सबूत, ID दस्तावेज दे सकते हैं
- अगर यह भी संभव नहीं, तो आपको अपनी पहचान और निवास साबित करने के लिए दस्तावेज देने होंगे
- चुनाव आयोग ने स्वीकार्य दस्तावेजों की एक सूची जारी की है
- जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है
नाम कैसे चेक करें?
आप अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर जाकर पुरानी मतदाता सूची में अपना नाम देख सकते हैं।
क्यों हो रहा है विवाद?
शुरुआत में आधार और राशन कार्ड जैसे सामान्य दस्तावेजों को स्वीकार न करने की वजह से हंगामा शुरू हो गया था। बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक कहा गया कि सरकार और चुनाव आयोग बिहार के लोगों का वोट चुरा रहे हैं। राहुल गांधी ने बिहार भर में वोटर अधिकार यात्रा निकाली। तेजस्वी ने भी यात्रा निकाली। विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रक्रिया लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की कोशिश है। वहीं, बीजेपी ने इसे पूरे देश में लागू करने का समर्थन किया है।
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क्यों SIR जरूरी है?
चुनाव आयोग का कहना है कि SIR का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची में सभी योग्य नागरिकों के नाम हों और कोई अयोग्य व्यक्ति शामिल न हो।