याद होगा जब 2020 के जून में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हुई थी, तो देश में 'बायकॉट चाइना' का नारा तेज हो गया था। जगह-जगह चीन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे और चीन से आने वाले सामान का 'बहिष्कार' करने की अपील की जा रही थी लेकिन आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि भारत और चीन के साथ होने वाला कारोबार और बढ़ गया है। अब सरकार ने बताया है कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 99 अरब डॉलर से ज्यादा है। भारत अपनी जरूरत का सबसे ज्यादा सामान चीन से ही खरीदता है। भारतीय करंसी में यह रकम लगभ 8.5 लाख करोड़ रुपये होती है।
भारत और चीन में कारोबार
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से हाल ही में कारोबार के आंकड़े जारी किए गए हैं। इसके मुताबिक, 2024-25 यानी अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच भारत ने 820.93 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट (निर्यात) किया था। 2023-24 की तुलना में यह 5.5% ज्यादा है। 2023-24 में भारत ने कुल 778.13 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था।
वहीं, 2023-24 की तुलना में 2024-25 में भारत का इम्पोर्ट (आयात) भी 6.85% बढ़ गया है। 2023-24 में भारत का इम्पोर्ट 856.52 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में बढ़कर 915.19 अरब डॉलर हो गया। इस तरह भारत का कुल व्यापार घाटा 94.26 अरब डॉलर रहा।
व्यापार घाटा तब होता है, जब किसी देश का एक्सपोर्ट कम हो और इम्पोर्ट ज्यादा। चूंकि यहां भारत का एक्सपोर्ट 820.93 अरब डॉलर था और इम्पोर्ट 915.19 अरब डॉलर, इसलिए व्यापार घाटा 94.26 अरब डॉलर हुआ।

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चीन के साथ कितना कारोबार?
चीन और भारत के बीच कारोबारी रिश्ते सालों पुराने हैं। सदियों पहले दोनों के बीच सिल्क रूट के जरिए कारोबार होता था। अंग्रेज आए तो उन्होंने भारत की अफीम को चीन में बेचना शुरू कर दिया। 1949 में जब चीन बना तो भारत पहला गैर-कम्युनिस्ट देश था, जिसने वहां अपना दूतावास शुरू किया था। आज के समय में चीन ही है, जो भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है।
एक समय तक भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार चीन ही हुआ करता था। हालांकि, कुछ साल ऐसे भी रहे जब अमेरिका ने उसकी जगह ले ली। हालांकि, अब फिर चीन सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार बन गया है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2024-25 के बीच भारत और चीन के बीच 127 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार हुआ है। 2024-25 में भारत ने चीन से 113.45 अरब डॉलर का सामान खरीदा लेकिन एक्सपोर्ट सिर्फ 14.25 अरब डॉलर रहा। इस तरह से भारत को चीन के साथ कारोबार करने में 99.2 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।

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चीन पर कितना निर्भर भारत?
इसकी वजह यह है कि भारत की चीन पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। इसे कम करने के लिए 'आत्मनिर्भर भारत' शुरू किया गया था लेकिन अब भी चीन पर निर्भरता कहीं ज्यादा है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का 15% इम्पोर्ट चीन से होता है।
चीन पर भारत की सबसे ज्यादा निर्भरता हेवी मशीनरी और उससे जुड़े उपकरणों पर है। 2024-25 में भारत ने लगभग 32 अरब डॉलर की मशीनरी और उससे जुड़े उपकरण चीन से इम्पोर्ट किए हैं। इसके अलावा, न्यूक्लियर रिएक्टर्स और उससे जुड़े पार्ट्स का इम्पोर्ट 22 अरब डॉलर का रहा। वहीं, करीब 10 अरब डॉलर के ऑर्गनिक केमिकल और 5 अरब डॉलर के प्लास्टिक और उससे जुड़ा सामान खरीदा है।
इतना ही नहीं, भारत में 70% से ज्यादा मोबाइल फोन और उससे जुड़े कंपोनेंट्स चीन से ही आते हैं। भारत में दवा बनाने के लिए 60 से 70% कच्चा माल भी चीन से ही आता है। सोलर पैनल बनाने के लिए भी 70% कच्चा माल और उसके पार्ट्स चीन से ही खरीदा जाता है।

मगर चीन पर इतनी निर्भरता क्यों?
मैनुफैक्चरिंग के दम पर चीन आज 'दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री' बन गया है। इसने चीन को सबसे बड़ा एक्सपोर्टर (निर्यातक) बना दिया है।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में चीन ने करीब 6 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार किया था। इसमें से 3.58 ट्रिलियन डॉलर का तो सिर्फ एक्सपोर्ट था। इस हिसाब से ग्लोबल एक्सपोर्ट में चीन की हिस्सेदारी 15 फीसदी के आसपास थी। इसका मतलब यह हुआ कि दुनियाभर में निर्यात होने वाला हर 100 में से 15 सामान चीन का होता है।
चीन की GDP में मैनुफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 38% से ज्यादा है। इसकी तुलना में भारत की GDP में मैनुफैक्चरिंग का योगदान 17% के आसपास है। भारत में मैनुफैक्चरिंग बढ़ी जरूर है, मगर चीन से आने वाला सामान सस्ता होने के कारण खूब बिकता है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया चीन पर निर्भर है। इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर फर्नीचर और खिलौने से लेकर दवाइयों तक, हर चीज में चीन ने अपनी निर्भरता दूसरों पर बढ़ा दी है।
अगर आंकड़े देखें तो पता चलता है कि चीन के साथ भारत का न सिर्फ व्यापार बढ़ रहा है, बल्कि इसके साथ-साथ व्यापार घाटा भी बढ़ रहा है। 2019-20 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 48.64 अरब डॉलर का था, जो 2024-25 में बढ़कर करीब 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह दिखाता है कि चीन पर भारत की निर्भरता लगातार बढ़ रही है।
