नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के बीच एक नया बवाल चल रहा है। इस बवाल को लगभग दो साल हो गए हैं। यह सारा बवाल फ्यूचर एंड ऑप्शनल यानी F&O में ट्रेडिंग के 'एक्सपायरी डे' से जुड़ा है। F&O में ट्रेडर्स कॉन्ट्रैक्ट्स खरीदते-बेचते हैं और इसकी एक एक्सपायरी डेट होती है। एक्सपायरी डेट यानी उस दिन वह कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाता है। 


दोनों बड़े स्टॉक एक्सचेंज BSE और NSE के बीच चल रही 'एक्सपायरी डेट' की इस लड़ाई में स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की एंट्री भी हो गई है। SEBI ने कई बार दोनों को समझाया और अब अल्टीमेटम दे दिया है कि BSE और NSE, दोनों 15 जून से पहले-पहले अपनी एक्सपायरी डेट चुन लें।

बवाल कैसे शुरू हुआ?

यह सब तब शुरू हुआ जब दो साल पहले BSE भी F&O ट्रेडिंग में दोबारा कूदा। जून 2023 में BSE भी F&O में आया और उसने Sensesx की एक्सपायरी डे गुरुवार की जगह शुक्रवार रखी और Bankex की एक्सपायरी गुरुवार की जगह मंगलवार कर दी। तब NSE में एक्सपायरी डे गुरुवार हुआ करता था। 


BSE के आने से NSE के कारोबार पर असर पड़ा। जून 2023 से पहले तक F&O में NSE का मार्केट शेयर 100% था लेकिन BSE के आने से यह घट गया। अब F&O में का NSE का मार्केट शेयर 63.5% और BSE का 36.5% है। 

 

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इस बवाल में कब-कब क्या हुआ?

  • जून 2023: F&O सेगमेंट में NSE का एकछत्र राज था। BSE ने दोबारा इसमें एंट्री की। BSE ने अपने F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी मंगलवार को रखी।
  • मार्च 2025: NSE ने ऐलान किया कि वह अपने सारे F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी गुरुवार की जगह सोमवार कर देगा। नई एक्सपायरी 4 अप्रैल से लागू होनी थी।
  • मार्च 2025: 27 मार्च को SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर में कहा कि F&O की एक्सपायरी मंगलवार या गुरुवार होनी चाहिए। अगले दिन यानी 28 मार्च को NSE ने एक्सपायरी डे बदलने का फैसला टाल दिया।
  • मई 2025: 22 मई को NSE ने SEBI से मांग की कि वह उसके F&O की वीकली एक्सपायरी मंगलवार को कर दे। NSE ने मंगलवार का दिन इसलिए चुना, क्योंकि BSE की एक्सपायरी भी इसी दिन होती है।
  • मई 2025: 26 मई को SEBI ने एक सर्कुलर जारी किया कि F&O की एक्सपायरी सिर्फ मंगलवार या गुरुवार को ही होगी। SEBI ने NSE और BSE को 15 जून तक एक्सपायरी डे चुनने का वक्त दिया है।

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एक्सपायरी डे का खेल क्या है?

शेयर मार्केट में कई तरह की ट्रेडिंग होती है। एक इंट्राडे होती है, जिसमें एक ही दिन में शेयर को खरीदा और बेचा जाता है। एक होल्डिंग होती है, जिसमें लंबे समय के लिए किसी कंपनी के स्टॉक को खरीदकर रख सकते हैं। 


एक F&O में ट्रेडिंग होती है। इसमें निवेशक कम पैसा लगाकर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं। यह एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होते हैं, जो एक तय समय सीमा यानी एक्सपायरी के साथ आते हैं। इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की कीमत के हिसाब से उतार-चढ़ाव होता है। हर शेयर का F&O एक लॉट साइज में आता है।


F&O के कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली और मंथली एक्सपायरी होती है। NSE के F&O कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी गुरुवार और मंथली एक्सपायरी महीने के आखिरी गुरुवार को होती है। अगर किसी निवेशन ने किसी शेयर के F&O में निवेश किया है तो उसे उस एक्सपायरी से पहले पैसा निकालना होता है। अगर निवेशक पैसा नहीं निकलता है तो गुरुवार को बाजार बंद होने के साथ ही उसका जो भी मुनाफा या घाटा होता है, वह उसे मिल जाता है। उसने जो F&O लिया था, वह एक्सपायर हो जाता है। यानी, वह उसके बाद उसे न तो बेच सकता है और न ही खरीद सकता है।

 

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NSE और BSE में लड़ाई क्यों? 

कुछ सालों में रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। पहले ज्यादातर रिटेल इन्वेस्टर्स स्टॉक में ही ट्रेडिंग करते थे लेकिन कुछ सालों में इन्होंने F&O में भी खूब पैसा लगाया है। यही कारण है कि BSE को भी F&O में कमबैक करना पड़ा। 


F&O में BSE की हिस्सेदारी बढ़ने का असर NSE की कमाई पर पड़ा है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-25 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2025 में NSE का कुल कमाई पिछले साल से 13% कम होकर 4,397 करोड़ रुपये पर आ गई। वहीं, पूरे वित्त वर्ष यानी अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच NSE का मुनाफा सिर्फ 7% बढ़कर 2,650 करोड़ रुपये रहा। 

 

दूसरी तरफ, BSE को जबरदस्त फायदा हुआ है। 2024-25 की आखिरी तिमाही में BSE को 494 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। यह 2023-24 की आखिरी तिमाही में हुए 106 करोड़ रुपये के मुनाफे से 365% से भी ज्यादा है। इसी तरह पूरे वित्त वर्ष में BSE का मुनाफा भी तीन गुना बढ़ा। 2023-24 में BSE का नेट प्रॉफिट 404 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 1,322 करोड़ रुपये पर आ गया।

 

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अब आगे क्या होगा?

अब यहां लड़ाई एक्सपायरी डे की है। NSE की एक्सपायरी गुरुवार को होती थी, इसलिए BSE ने अपनी एक्सपायरी मंगलवार रखी। पहले एक्सपायरी होने से BSE पर F&O में ट्रेडिंग बढ़ी। एक्सपायरी के दिन ट्रेडिंग बहुत ज्यादा होती है, जिससे स्टॉक एक्सचेंज को मुनाफा होता है।


इससे एक्सचेंज और बड़े निवेशकों को तो मुनाफा होता है लेकिन रिटेल इन्वेस्टर्स को घाटा होता है। जुलाई 2024 में SEBI ने अपनी जांच में बताया था कि 2023-24 में रिटेल इन्वेस्टर्स को F&O में करीब 52 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इस हिसाब से हर 100 में से 15 रिटेल इन्वेस्टर्स को F&O में ट्रेडिंग से नुकसान उठाना पड़ा था। 


अब SEBI ने साफ बोल दिया है कि 15 जून तक दोनों स्टॉक एक्सचेंज एक्सपायरी डे के लिए मंगलवार या गुरुवार में से कोई एक दिन चुन लें। BSE का एक्सपायरी डे अभी मंगलवार है। NSE भी मंगलवार ही चाह रहा है। अगर NSE का एक्सपायरी डे भी मंगलवार रहा तो निवेशक उसकी तरफ जा सकते हैं। वह इसलिए क्योंकि BSE की तुलना में NSE ज्यादा बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।