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कपड़े, टीवी, किचन; आपकी जिंदगी में कितना घुस गया है चीन?

एक बार फिर चीन के बायकॉट की अपील की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों-इशारों में कह दिया कि विकसित भारत बनाना है तो विदेशी चीजों का इस्तेमाल करना बंद करना होगा।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशी चीजों का बहिष्कार करने की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए और अर्थव्यवस्था को चौथे से तीसरे नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि देश को बचाना है तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ सेना पर नहीं है, 140 करोड़ देशवासियों पर भी है।


गांधीनगर में एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, 'हम गांव-गांव जाकर व्यापारियों को शपथ दिलवाएं। व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों न हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। दुर्भाग्य देखिए कि गणेशजी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली का रंग छिड़कना है, वह भी विदेशी। आप घर जाकर एक लिस्ट बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। हेयरपिन भी विदेशी उपयोग करते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली पिन भी विदेशी होती है, हमें मालूम तक नहीं।'


उन्होंने कहा, 'देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है तो ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैनिकों के जिम्मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ लोगों के जिम्मे है।' उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से नहीं, बल्कि जन बल से जीतना है। 

 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब यह अपील की तो उन्होंने किसी देश का नाम तक नहीं लिया। हालांकि, उनका इशारा चीन की तरफ था, क्योंकि चीनी प्रोडक्ट्स भारत में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा, 'जो आपके पास है, उसे फेंकना नहीं है लेकिन अब नया सामान नहीं खरीदेंगे।' 


यह पहली बार नहीं है जब चीन के सामान के बहिष्कार की बातें हो रही हों। कई सालों से चीन के बहिष्कार की अपील की जा रही है। जून 2020 में जब गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, तब भी 'बायकॉट चाइना' की मुहिम शुरू हुई थी। हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि इस 'बायकॉट की अपील' का कुछ खास असर देखने को मिला नहीं है। उल्टा चीन के साथ तो कारोबार बढ़ता ही जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि बायकॉट की मुहीम के बीच चीन से होने वाले इम्पोर्ट लगातार बढ़ रहा है। चीन से हम जितना खरीद लेते हैं, उसका आधा भी हम उसे बेच नहीं पाते।

 

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भारत और चीन में कितना कारोबार?

चीन का मुकाबला करने के लिए भारत ने 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान शुरू किया था। हालांकि, आत्मनिर्भर होने के बजाय चीन पर निर्भरता बढ़ती ही रही। कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का 15% इम्पोर्ट यानी आयात चीन से ही होता है। इसका मतलब हुआ कि भारत अगर 100 रुपये का सामान विदेश से खरीद रहा है, तो उसमें से 15 रुपये का सामान चीन से आ रहा है।


आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 में भारत और चीन के बीच 10.80 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इससे पहले 2023-24 में दोनों ने 9.80 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया था। इस हिसाब से सालभर में भारत और चीन के बीच 10 फीसदी से ज्यादा कारोबार बढ़ गया था। 

 


अब इसमें भी हैरान करने वाली बात यह है कि 2024-25 में भारत ने चीन को सिर्फ 1.20 लाख करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट किया था। जबकि, चीन से 9.59 लाख करोड़ रुपये का इम्पोर्ट हुआ था। इस कारण भारत और चीन के बीच 8.39 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार घाटा रहा। चीन ही एक ऐसा देश है, जिसके साथ व्यापार घाटा सबसे ज्यादा है।

 

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कहां-कहां तक घुस गया है चीन?

  • सुबह होते ही आप सबसे पहले स्मार्टफोन चेक करते हैं। यह स्मार्टफोन या तो चीन के होते हैं या फिर चीन में बने होते हैं। इसके बाद आप जिम या मॉर्निंग वॉक के लिए जाते हैं तो फिटनेस बैंड पहनकर अपनी एक्टिविटी ट्रैक करते हैं। इन स्मार्ट फिटनेस बैंड और वियरेबल्स में भी चीन का दबदबा है।
  • क्या कहते हैं आंकड़े?: काउंटरप्वॉइंट रिसर्च के मुताबिक, इस साल की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच चीनी स्मार्टफोन का मार्केट शेयर 60% से ज्यादा रहा। भारत में वीवो का 22%, ओप्पो का 15%, श्याओमी का 13% और रियलमी का 11% मार्केट शेयर है।

 

  • जिम या मॉर्निंग वॉक करने के बाद जब आप कीचन में जाकर अपने लिए चाय-नाश्ता और खाना बनाते हैं, तो वहां भी चीनी सामान भरे हुए हैं। आजकल घरों में खाना पकाने के लिए कई इलेक्ट्रिक बर्तनों का इस्तेमाल होता है, जो चीन से आते हैं।
  • क्या कहते हैं आंकड़े?: ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट बताती है कि 2020 से 2022 के बीच भारत ने किचन और घर में इस्तेमाल होने वाली छोटी-छोटी चीजों का 45 अरब डॉलर से ज्यादा आयात चीन से किया था। यह भारत के कुल आयात का 76% था।

  • आप जो कपड़े या जूते पहनते हैं या फिर जो बैग लेकर स्कूल-कॉलेज या दफ्तर जाते हैं, उसमें भी चीन का हिस्सा है। यहां तक कि घरों या दफ्तरों में जो चटाई बिछाई जाती है, वह भी चीन से ही आती है।
  • क्या कहते हैं आंकड़े?: GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारत ने टेक्सटाइल सेक्टर में 10.67 अरब डॉलर का इम्पोर्ट किया था। इसमें से सबसे ज्यादा 38 फीसदी इम्पोर्ट अकेले चीन से हुआ था। 2022 में सिर्फ 50 करोड़ डॉलर के कपड़े ही चीन से इम्पोर्ट हुए थे।

 

  • घर में लगी टीवी, फ्रीज, LED लाइट्स, एसी और कई सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स भी चीन से आते हैं। आप जो लैपटॉप यूज करते हैं, उसमें भी चीन की बड़ी हिस्सेदारी है।
  • क्या कहते हैं आंकड़े?: GTRI के मुताबिक, 2020 से 2022 के बीच भारत ने चीन से 67.5% टीवी खरीदी थी। 51 फीसदी फ्रीज और 67 फीसदी वॉशिंग मशीन का आयात भी चीन से ही हुआ था। यहां तक कि खाने को गर्म रखने के लिए इस्तेमाल होने वाली 54.5 फीसदी एल्युमिनियम फॉइल भी चीन से ही आई थी।

 

  • दुनियाभर में सबसे ज्यादा सस्ती दवाएं भारत बेचता है। इतना ही नहीं, दुनिया में 60% वैक्सीन भी भारत की बनी होती हैं। हालांकि, इसके बावजूद दवा बनाने के लिए जो कच्चा माल चाहिए, उसके लिए हम चीन पर निर्भर हैं।
  • क्या कहते हैं आंकड़े?: आंकड़े बताते हैं दवा के लिए जरूरी 70 फीसदी कच्चा माल यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (API) भी चीन से ही आता है। 2022-23 में भारत ने चीन 25,550 करोड़ रुपये का API खरीदा था। यह भारत के कुल इम्पोर्ट का 70% से भी ज्यादा था।

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चीन का बायकॉट करना मुश्किल?

चीन ने खुद को इस तरह तैयार कर लिया है कि वह सुई से लेकर हवाई जहाज तक बना देता है। वह आज दुनिया की सबसे बड़ी 'फैक्ट्री' बन गया है। चीन ने मैनुफैक्चरिंग पर जोर दिया, जिसने उससे दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बना दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में चीन ने 2.4 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। इस हिसाब से दुनियाभर में हुए एक्सपोर्ट में चीन की हिस्सेदारी लगभग 14 फीसदी थी। 


भारत अभी इस मामले में थोड़ा पीछे है। हालांकि, मैनुफैक्चरिंग में अब भारत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। भारत की GDP में मैनुफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 17 फीसदी है। IBEF की रिपोर्ट बताती है कि जून 2022 से जून 2024 के बीच भारत के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में 40 फीसदी की ग्रोथ हुई है।


हालांकि, इसके बाद भी चीन का मुकाबला कर पाना थोड़ा मुश्किल सा लगता है। वजह यह है कि चीन हर जगह घुस चुका है। दूसरी वजह यह है कि भारत या किसी दूसरी विदेशी कंपनियों के सामान की तुलना में चीन का सामान ज्यादा सस्ता है। उदाहरण के लिए, चीन के स्मार्टफोन 10 से 20 हजार रुपये में भी अच्छे फीचर्स के साथ मिल जाते हैं जबकि इसकी तुलना में किसी दूसरी कंपनी के स्मार्टफोन की कीमत कहीं ज्यादा होती है। 


हाल ही में लोकल सर्किल ने एक सर्वे किया था। इस सर्वे में 387 जिलों के करीब 40 हजार भारतीयों को शामिल किया था। सर्वे में शामिल 62 फीसदी भारतीयों ने बीते 12 महीनों में 'मेड इन चाइना' प्रोडक्ट्स खरीदने की बात मानी थी। इतना ही नहीं, इस सर्वे में शामिल 20 फीसदी ने माना था कि उनके फोन में एक या उससे ज्यादा चीनी ऐप है।

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