14 लाख करोड़ की संपत्ति, 60+ कंपनियों में निवेश; वॉरेन बफे की कहानी
वॉरेन बफे अब रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने कहा है कि इस साल के आखिर तक वह बर्कशायर हैथवे का सीईओ पद छोड़ देंगे। उनकी जगह ग्रेग एबल लेंगे।

वॉरेन बफे। (Photo Credit: AI Generated Image)
वॉरेन बफे का दौर अब खत्म होने वाला है। उन्होंने इस साल के आखिर तक रिटायर होने का ऐलान किया है। अमेरिकी अरबपति वॉरेन बफे दुनिया के 5वें सबसे अमीर शख्स हैं। बफे बर्कशायर हैथवे के सीईओ हैं और इस साल रिटायर हो जाएंगे। बफे के रिटायरमेंट के बाद ग्रेग एबेल बर्कशायर हैथवे के सीईओ बनेंगे।
रिटायरमेंट का ऐलान करते हुए वॉरेन बफे ने कहा, 'मुझे लगता है कि अब वह समय आ गया है, जब ग्रेग को कंपनी का सीईओ बन जाना चाहिए।'
ग्रेग एबेल कई सालों से वॉरेन बफे के करीबी हैं। ग्रेग अभी कंपनी के वाइस चेयरमैन है। ग्रेग अभी भी कंपनी के कई कारोबार को संभाल रहे हैं। बफे के ऐलान के बाद ग्रेग ने कहा, 'मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि बर्कशायर का हिस्सा बनकर मैं काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं।'
94 साल के वॉरेन बफे दुनिया के 5वें सबसे अमीर शख्स हैं। फोर्ब्स के मुताबिक, उनकी नेटवर्थ 168 अरब डॉलर है। भारतीय करंसी में यह रकम 14 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा होती है। इस साल के 4 महीनों में मार्केट में काफी उथल-पुथल के बावजूद बफे की नेटवर्थ 16.4 अरब डॉलर बढ़ गई है। टॉप-10 में आने वाले बफे एकमात्र अरबपति हैं, जिनकी संपत्ति बढ़ी है।
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11 साल की उम्र में खरीदा था पहला स्टॉक
बफे का जन्म 30 अगस्त 1930 को नेब्रास्का के ओमाहा में हुआ था। उनके पिता हॉवर्ड बफे एक कारोबारी होने के साथ-साथ सांसद भी थे। वॉरेन बफे को 'ओरेकल ऑफ ओमाहा' भी कहा जाता है।
स्कूल में पढ़ते समय ही वॉरेन बफे की बिजनेस में दिलचस्पी बढ़ गई थी। आज उनकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े इन्वेस्टर्स में से एक हैं। फोर्ब्स के मुताबिक, बफे ने अपना पहला स्टॉक 11 साल की उम्र में खरीदा था। तब उन्होंने सिटीज सर्विसेस के 3 शेयर खरीदे थे। उन्होंने 13 साल की उम्र में पहली बार टैक्स भरा था। बफे जब स्कूल में थे, तब उन्होंने पिन बॉल मशीन का बिजनेस शुरू किया था। बाद में उन्होंने इसे 1,300 डॉलर में बेच दिया था। उन्होंने नेब्रास्का यूनिवर्सिटी से बिजनेस की डिग्री हासिल की है।
ग्रेजुएशन के बाद वॉरेन बफे ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया। हालांकि, यहां उनका एडमिशन नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां पढ़ाने वाले दो प्रोफेसर- बेंजामिन ग्राहम और डेविड डोड ने उनकी जिंदगी बदल दी। उनकी किताब 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर' से पढ़कर वॉरेन बफे ने इन्वेस्टमेंट की बारीकियां सीखीं।
वॉरेन बफे ने उन कंपनियों में पैसा लगाना शुरू किया, जिनमें पैसा बनाने की क्षमता थी। उन्होंने एक बार कहा था, 'एक शानदार कंपनी को सही कीमत पर खरीदने की बजाय एक अच्छी कंपनी को शानदार कीमत पर खरीदना ज्यादा बेहतर है।'
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वॉरेन बफे और बर्कशायर हैथवे
कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वॉरेन बफे ने कई कंपनियां खरीदीं और कई जगह निवेश किया। 1956 में उन्होंने बफे पार्टनरशिप नाम से अपनी कंपनी शुरू की। बाद में उन्होंने एक टेक्सटाइल कंपनी बर्कशायर हैथवे को खरीद लिया। बर्कशायर हैथवे को ही उन्होंने अपनी सभी कंपनियों की होल्डिंग कंपनी बना दिया। 1970 में वॉरेन बफे बर्कशायर हैथवे के सीईओ बन गए।
बर्कशायर हैथवे ने कई कंपनियों में निवेश किया। आज वॉरेन बफे के पास ऐपल, अमेजन, अमेरिकन एक्सप्रेस, कोका कोला और बैंक ऑफ अमेरिका जैसी कंपनियों के शेयर हैं। बर्कशायर हैथवे और बफे के पास आज 60 से ज्यादा कंपनियों में शेयर हैं।
वॉरेन बफे का कहना है कि एक दिन का ट्रेडर बनने की बजाय लॉन्ग टर्म का निवेशक बनकर बाजार में आना चाहिए। उन्होंने हमेशा कम कीमत पर लॉन्ग टर्म में शेयर खरीदे। यही कारण है कि आज बर्कशायर हैथवे दुनिया की 8वीं और अमेरिका की 5वीं सबसे बड़ी कंपनी है। आज कंपनी की मार्केट कैप 1.16 ट्रिलियन डॉलर (97.70 लाख करोड़ रुपये) है। सितंबर 2024 में बर्कशायर हैथवे की मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर के पार चली गई थी। 1 ट्रिलियन डॉलर के पार जाने वाली यह दुनिया की पहली गैर-टेक्नोलॉजी कंपनी है।
1965 से 2024 के बीच बर्कशायर हैथव के स्टॉक का प्राइस हर साल करीब 20 फीसदी की दर से बढ़ा है। अगर 1965 में इस कंपनी में 10 हजार डॉलर का निवेश किया होता तो आज इसकी कीमत 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा होती। बर्कशायर की दुनियाभर में 1.15 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति है।
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जितना कमाया, पुण्य में लगाया
वॉरेन बफे की पहचान सिर्फ एक इन्वेस्टर के तौर पर है, बल्कि सबसे बड़े दानवीरों में भी उन्हें गिना जाता है। 2010 में बिल गेट्स के साथ मिलकर उन्होंने 'गिविंग प्लेज' प्रोग्राम शुरू किया था और अमीरों से दान करने की अपील की थी। फोर्ब्स के मुताबिक, वॉरेन बफे अभी तक 62 अरब डॉलर दान कर चुके हैं।
उन्होंने अपनी संपत्ति का 99% से ज्यादा दान में देने का वादा किया है। 1986 में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे अपने बच्चों को 'इतना पैसा देंगे कि उन्हें जो करना हो कर सकें लेकिन इतना कम भी नहीं देंगे कि वे कुछ न कर पाएं'।
उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा है कि उनकी मौत के बाद एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया जाएगा, जिसकी देखभाल उनके तीनों बच्चे- सूसी, हॉवी और पीटर करेंगे। 2006 से अब तक वॉरेन बफे गेट्स फाउंडेशन को 39 अरब डॉलर का दान दे चुके हैं। उन्होंने बताया है कि उनकी मौत के बाद गेट्स फाउंडेशन को और पैसा नहीं मिलेगा। र
वॉरेन बफे अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं। वे अब तक उसी घर में रहते हैं, जिसे उन्होंने 1958 में खरीदा था। उन्होंने एक बार कहा था, 'उनकी संपत्ति का 1% से ज्यादा उनके या परिवार की खुशी नहीं बढ़ाएगा लेकिन 99% दान करने से दुनिया में बड़ा बदलाव आ सकता है।'
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