भारत में लाखों युवा टीचिंग प्रोफेशन में जाना चाहते हैं। हायर एजुकेशन सिस्टम यानी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ाने की रुचि रखने वाले युवाओं को काफी ज्यादा प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है। यूनिवर्सिटी या कॉलेज में प्रोफेसर बनना एक सम्मानजनक जॉब मानी जाती है। इसमें अच्छी सैलरी, सुविधा के साथ-साथ समाज में पहचान भी मिलती है। प्रोफेसर बनने के लिए आपको कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है। इसके लिए आपको कई सालों तक पढ़ाई भी करनी होती है। एक बार पढ़ाई पूरी करने के बाद आप देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकते हैं।
कॉलेज या यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर का काम छात्रों को पढ़ाना, रिसर्च करना, परीक्षा से जुड़ा काम देखना होता है। इन सभी कामों के साथ-साथ संस्थान में होने वाली एजुकेशनल एक्टिविटी में भी शामिल होना होता है। रिसर्च करने के लिए किसी एक विषय का एक्सपर्ट होना बहुत जरूरी है। आपको ग्रेजुएशन के समय ही यह डिसाइड करना होता है कि आप किसी सब्जेक्ट में प्रोफेसर बनना चाहते हैं। ग्रेजुएशन के बाद या फिर ग्रेजुएशन में आपको उसी सब्जेक्ट की पढ़ाई करनी होती है।
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कौन बन सकता है प्रोफेसर?
प्रोफेसर बनने के लिए आपको 12वीं के बाद सबसे पहले ग्रेजुएशन करनी होती है। आप जिस भी सब्जेक्ट में प्रोफेसर बनना चाहते हैं उस सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के लिए आप किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज का चयन कर सकते हैं। ग्रेजुएशन का स्कोर प्रोफेसर बनने की जर्नी में आपके काम आ सकता है। इसलिए ग्रेजुएशन में अच्छा स्कोर करें। आप तीन साल की ग्रेजुएशन डिग्री या फिर चार साल की ग्रेजुएशन डिग्री चुन सकते हैं।
ग्रेजुएशन के बाद क्या?
अगर आप तीन साल की ग्रेजुएशन डिग्री करते हैं तो आपको ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए अप्लाई करना होगा। पोस्ट ग्रेजुएशन में आपको वही सब्जेक्ट चुनना है जिस सब्जेक्ट में आपको प्रोफेसर बनना है। दो साल की पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री में आपको सब्जेक्ट की गहराई से समझ विकसित करनी होती है और रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम करना होता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बाद से चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स भी शुरू किया गया है। इस कोर्स में अच्छा स्कोर करने के बाद आप UGC-NET की परीक्षा दे सकते हैं। इसमें आपको दो साल की ग्रेजुएशन डिग्री करने की जरूरत नहीं होती है।
UGC NET परीक्षा
भारत में कॉलेज या यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए UGC NET पास करना जरूरी है। यह परीक्षा साल में दो बार होती है और इसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी आयोजित करती है। इस परीक्षा में अगर आप असिस्टेंट प्रोफेसर की कटऑफ जितना स्कोर कर लेते हैं तो आप प्रोफेसर के लिए परीक्षा दे सकते हैं। NET के साथ JRF क्वालिफाई करने पर रिसर्च करने का मौका मिलता है। इससे आप अपनी पीएचडी पूरी कर सकते हैं, जिससे आगे चलकर आपको असिस्टेंट प्रोफेसर बनने में आसानी होती है। UGC NET में दो पेपर होते हैं।
पेपर 1
- टीचिंग एप्टीट्यूड
- रिसर्च एप्टीट्यूड
- रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन
- लॉजिकल रीजनिंग
- डेटा इंटरप्रिटेशन
- सामान्य जागरूकता
- ICT और कम्युनिकेशन
पेपर 2 आप जो भी सब्जेक्ट चुनते हैं उस पर आधारित होता है। इसमें आपके चुने हुए सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल के प्रश्न पूछे जाते हैं। हर साल जून और दिसंबर में यह परीक्षा होती है। NTA की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आप इसके बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।
PhD क्यों जरूरी है?
UGC NET के पेपर में अगर आप असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाते लेकिन UGC NET की परीक्षआ क्वालिफाई कर लेते हैं तो आप पीएचडी करके असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्ट के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके अलावा आज के समय में यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनने के लिए PhD बहुत जरूरी मानी जाती है। आम तौर पर पीएचडी वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाती है। पीएचडी के लिए आप स्टेट लेवल का टेस्ट भी दे सकते हैं।
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कैसे होती है भर्ती?
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भर्ती के लिए पहले आधिकारिक वेबसाइट पर नोटिफिकेशन निकाला जाता है। इसके बाद योग्य उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के बाद लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हो सकता है। अलग-अलग भर्ती के लिए यह चरण अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा स्टेट लेवल की यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए राज्य सरकारें भी भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती हैं। इन भर्तियों में शामिल होकर भी आप असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के बाद आपको अनुभव और रिसर्च के आधार पर प्रमोशन मिलता है। इसमें रिसर्च पेपर और किताबें भी अहम भूमिका निभाते हैं। प्रमोट होकर आप एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर बनते हैं।
कितनी मिलती है सैलरी?
दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज ने हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए विज्ञापन निकाला है। इस विज्ञापन के अनुसार, असिस्टेंट प्रोफेसर की सैलरी 65,000 से 85000 के बीच होगी। इसी तरह अलग-अलग कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अलग-अलग सैलरी होती है। शुरुआती सैलरी 50,000 से शुरू होती है। इसके बाद प्रोफेसर के पद पर पहुंचने के बाद आपकी सैलरी बढ़ जाती है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के नियमों के अनुसार, औसतन 1.44 लाख प्रति माह से लेकर 2,18 लाख रुपये प्रति माह तक हो सकती है। असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए आपको ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी को मिलाकर 8 से 12 साल का लंबा समय लग सकता है।
