आरा विधानसभा सीट बिहार के भोजपुर जिले में आती है। यह भोजपुर जिले का जिला मुख्यालय हैआरा विधानसभा शहरी सीट है, जिसमें बीजेपी की अच्छी पकड़ मानी जाती है। हालांकि, पिछलो दो चुनावों में आरजेडी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है, जिसमें एक बार उसे जीत मिली है। इस बार के चुनाव यहां दिलचस्प हो सकते हैं। आरा की संस्कृति की बात करें तो यहां तो ज्यादातर लोग भोजपुरी बोलते हैं। शहर भोजपुरी भाषी क्षेत्र का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है और इसका इतिहास पौराणिक कथाओं और प्राचीन मंदिरों से जुड़ा हुआ है। विधानसभा में मां आरण्य देवी मंदिर, प्रचीन सिद्धनाथ महादेव मंदिर, अनाईठ मस्जिद आदि धार्मिक स्थल हैं।

 

वहीं, आरा शहर में एसपी कॉलेज, महाराजा कॉलेज, पयहरि महाराज जी कॉलेज, संजय गांधी कॉलेज आरा, जयप्रकाश कॉलेज जैसे क्षैक्षणिक संस्थान हैं। मगर, आज भी आरा में मलभूत सुविधाओं की मांग होती है।

 

यह भी पढ़ें: औरंगाबाद विधानसभा: राजपूतों के गढ़ में क्या वापसी कर पाएगी BJP?

सामाजिक समीकरण

आरा विधानसभा में सन 2000 से लेकर 2020 तक 6 चुनाव हुए हैं। इसमें से 5 बार बीजेपी तो एक बाद आरजेडी जीती है। सन 2000 के बाद से बीजेपी ने आरा में अपनी पकड़ लगातार मजबूत की है। आरा में एक विविध मतदाता समूह हैं। यहां अनुसूचित जाति के मतदाता यहां की कुल आबादी का लगभग 12.1 फीसदी हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 11.7 फीसदी। इसके अलावा राजपूत आबादी लगभग 20 फीसदी है। पिछला चुनाव बीजेपी ने जीता जरूर था लेकिन बहुत कम अंतर से। 

2020 में क्या हुआ था

आरा विधानसभा सीट पर 2020 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत दर्ज की थी। CPI-ML दूसरे दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में बीजेपी से इस इलाके ने दिग्गज नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह ने CPI-ML के कयामुद्दीन असारी को करीबी मुकाबले में हराया था। हार का अंतर 3,002 वोटों का था। बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप ने 45.05 फीसदी वोट पाते हुए 71,781 हासिल किया था, जबकि कयामुद्दीन असारी को 68,779 वोट मिले थे। वहीं, इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी हकीम प्रसाद 4,360 और दूसरे निर्दलीय उम्मीदवार श्योदास सिंह को 2,991 वोट मिले थे।

 

यह भी पढ़ें: कुटुंबा विधानसभा: कांग्रेस को 'हैट्रिक' लगाने से रोक पाएगा NDA?

विधायक का परिचय

मौजूदा बीजेपी के विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह आरा से 2020 में जीते थे। वह 2015 का चुनाव आरजेडी से हार गए थे। इससे पहले वह 2000, 2005 और 2010 में लगातार तीन बार से विधायक रहे थे। वह आरा से कुल पांच चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंच चुके हैं। अमरेंद्र सबसे पहले बीजेपी के टिकट पर 2000 में आरा से विधायक चुने गए थे।

 

73 साल के अमरेंद्र प्रताप बिहार सरकार में कई बार मंत्री रच चुके हैं। वह 2020 से लेकर 2022 तक बिहार के कृषि मंत्री का पद संभाल चुके हैं। अमरेंद्र बिहार के पुराने और दिग्गज बीजेपी नेता माने जाते हैं। उनकी पढ़ाई की बात करें तो मगध विश्वविद्यालय, गया से साल 1967 में B.Sc पास हैं2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और कृषि है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 2.08 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

विधानसभा का इतिहास

आरा विधानसभा बिहार की उन विधानसभाओं में शुमार है, जहां आजादी के तुरंत बाद 1952 में चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में कांग्रेस के रंग बहादुर प्रसाद विधायक बने थे। वह इसके बाद 1957 का भी चुनाव जीते थे। आरा में हर बार चुनावी मुकाबले कड़े होते हैं। आरा लोकसभा में कुल सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज की (आखिरी बार 40 साल पहले), बीजेपी ने पांच बार, जनता दल ने दो बार, जबकि जनता पार्टी, आरजेडी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की है।

 

1952- रंग बहादुर प्रसाद (कांग्रेस)

1957- रंग बहादुर प्रसाद (कांग्रेस)

1962- सुमित्रा देवी (कांग्रेस)

1967- सुमित्रा देवी (कांग्रेस)

1969- राम अवधेश सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1972- सुमित्रा देवी (कांग्रेस)

1977- सुमित्रा देवी (जनता पार्टी)

1980- एसएम ईशा (कांग्रेस)

1985- एसएम ईशा (कांग्रेस)

1990- बशिष्ठ नारायण सिंह (जनता दल)

1995- अब्दुल मलिक (जनता दल)

2000- अमरेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)

2005- अमरेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)

2005- अमरेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)

2010- अमरेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)

2015- मोहम्मद नवाज आलम (आरजेडी)

2020- अमरेंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)