बिहार के औरंगाबाद जिले की औरंगाबाद विधानसभा का चुनावी इतिहास काफी पुराना है। यहां 1952 में पहली बार चुनाव हुए थे। तब से अब तक इस सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर अब तक सबसे ज्यादा 8 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। यहां बीजेपी ने अपनी पकड़ बना ली थी। हालांकि, पिछले दो चुनाव से लगातार कांग्रेस को जीत मिल रही है।
औरंगाबाद को 'बिहार का चित्तौड़गढ़' भी कहा जाता है। यहां आज भी राजपूत आबादी काफी ज्यादा है। यही कारण है कि राजपूत नेताओं का यहां दबदबा है। विधानसभा चुनाव में भी ज्यादातर राजपूत विधायक ही चुने गए हैं। अब तक सिर्फ एक बार ही यहा गैर-राजपूत विधायक चुना गया है। 2000 के चुनाव में आरजेडी के सुरेश मेहता यहां के पहले और इकलौते गैर-राजपूत विधायक हैं।
औरंगाबाद मगध साम्राज्य का हिस्सा था। यहां बिंबिसार, अजातशत्रु, चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक का शासन रहा है। शेरशाह सूरी ने भी यहां पर शासन किया था।
मौजूदा समीकरण
औरंगाबाद में लगभग 22 फीसदी आबादी राजपूतों की है। यहां की जनता हमेशा राजपूत उम्मीदवार का ही समर्थन करती है, भले ही वह किसी भी पार्टी का हो। यहां की जनता के लिए उम्मीदवार का राजपूत होना ज्यादा मायने रखता है। औरंगाबाद में लगभग 20 फीसदी मुस्लिम हैं। पिछले दो चुनाव में कांग्रेस ने अपनी पकड़ यहां मजबूत की है।
यह भी पढ़ें-- ओबरा विधानसभा: 45 साल से यहां नहीं जीता NDA, क्या इस बार होगी वापसी?
2020 में क्या हुआ था?
पिछले चुनाव में कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी के रामाधीर सिंह को 2,243 वोटों के अंतर से हराया था। आनंद शंकर सिंह को 70,018 और रामाधीर सिंह को 67,775 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बीएसपी उम्मीदवार अनिल कुमार रहे थे, जिन्होंने 18,444 वोट हासिल हुए थे।
विधायक का परिचय
आनंद शंकर सिंह औरंगाबाद के बड़े राजपूत नेता हैं। वह पिछले दो बार से लगातार जीत रहे हैं। आनंद शंकर सिंह के दम पर कांग्रेस ने औरंगाबाद में वापसी की थी। आनंद शंकर ने औरंगाबाद से चार बार के बीजेपी विधायक रामाधीर सिंह को 2015 में 18,398 वोटों से हराया था।
आनंद शंकर पिछले महीने तब चर्चा में आ गए थे, जब एक कार्यक्रम में उनकी पूर्व बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह से भिड़ंत हो गई थी। दोनों में यह भिड़ंत इतनी जबरस्त हो गई थी कि बॉडीगार्ड्स को बीच-बचाव करने आना पड़ा था।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपने पास 3.58 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ तीन क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
यह भी पढ़ें-- घोसी विधानसभा: 38 साल तक सत्ता में रहने वाला परिवार वापसी कर पाएगा?
विधानसभा का इतिहास
औरंगाबाद विधानसभा में अब तक सबसे ज्यादा बार कांग्रेस ने ही जीत हासिल की है। बीजेपी ने यहां से 4 बार जीत दर्ज की है।
- 1952: प्रियब्रत नारायण सिंह (कांग्रेस)
- 1957: प्रियब्रत नारायण सिंह (कांग्रेस)
- 1962: ब्रज मोहन सिंह (स्वतंत्र पार्टी)
- 1967: सरयू सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1969: सरयू सिंह (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1972: ब्रज मोहन सिंह (कांग्रेस)
- 1977: राम नरेश सिंह (कांग्रेस)
- 1980: राम नरेश सिंह (निर्दलीय)
- 1985: ब्रज मोहन सिंह (कांग्रेस)
- 1990: ब्रज मोहन सिंह (कांग्रेस)
- 1995: रामाधीर सिंह (बीजेपी)
- 2000: सुरेश मेहता (आरजेडी)
- 2005: रामाधीर सिंह (बीजेपी)
- 2005: रामाधीर सिंह (बीजेपी)
- 2010: रामाधीर सिंह (बीजेपी)
- 2015: आनंद शंकर सिंह (कांग्रेस)
- 2020: आनंद शंकर सिंह (कांग्रेस)