बिहार की कुटुंबा विधानसभा सीट औरंगाबाद जिले में आती है। यह विधानसभा 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। इस सीट का चुनावी इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। इस सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं। इनमें से दो बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है।
हालांकि, कुटुंबा का इतिहास काफी पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रैंड टैंक रोड के लिए शेरशाह सूरी ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति में भी कुटुंबा की अहम भूमिका थी।
मौजूदा समीकरण
कुटुंबा विधानसभा अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। इस सीट पर SC बड़ा फैक्टर है, जिनकी आबादी लगभग 30 फीसदी है। इस सीट पर पिछले दो चुनाव से कांग्रेस जीत रही है। दो चुनावों में कांग्रेस ने यहां खुद को काफी मजबूत किया है। 2015 में कांग्रेस लगभग 10 हजार वोटों के अंतर से जीती थी। 2020 के चुनाव में यह अंतर बढ़कर 16 हजार से भी ज्यादा हो गया। दोनों ही बार कांग्रेस को यहां जीतन राम मांझी की HAM से चुनौती मिली है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजेश कुमार ने 16,653 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। उन्होंने HAM उम्मीदवार श्रवण भुइंया को हराया था। राजेश कुमार को 50,822 और श्रवण भुइंया को 34,169 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार ललन राम थे, जिन्हें 20,433 वोट हासिल हुए थे।
विधायक का परिचय
कुटुंबा सीट से कांग्रेस के राजेश कुमार दो बार से विधायक हैं। राजेश कुमार औरंगाबाद जिले से ही हैं। उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। राजेश कुमार खुद का कारोबार संभालते हैं।
राजेश कुमार बिहार में कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा भी हैं। इसी साल मार्च में उन्हें कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया है। इसे चुनाव से पहले दलित कार्ड से जोड़कर देखा जा रहा है। राजेश कुमार के दो बेटे हैं, जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में राजेश कुमार ने अपने पास 7.49 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ दो क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
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विधानसभा का इतिहास
कुटुंबा विधानसभा में 2010 में पहली बार चुनाव हुए थे। तब जेडीयू की जीत हुई थी। उसके बाद 2015 और 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
- 2010: ललन राम (जेडीयू)
- 2015: राजेश कुमार (कांग्रेस)
- 2020: राजेश कुमार (कांग्रेस)