बरुराज विधानसभा सीट बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित है और यहां का राजनीतिक महत्व काफी पुराना रहा है। यह सीट मुख्य रूप से ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों को समेटे हुए है। गंडक नदी के किनारे बसा यह इलाका खेती-किसानी पर आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है। खासकर गन्ना और धान की खेती यहां की पहचान मानी जाती है। सामाजिक दृष्टि से यह सीट अत्यंत मिश्रित है, जहां यादव, मुस्लिम, भूमिहार और अन्य पिछड़ा वर्ग की निर्णायक भूमिका रहती है। यही कारण है कि हर चुनाव में यहां का मुकाबला दिलचस्प हो जाता है।

 

बरुराज विधानसभा का राजनीतिक इतिहास भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। यहां पर कभी कांग्रेस का वर्चस्व रहा, लेकिन समय के साथ जनसंघ, जनता दल और बाद में राजद, जदयू और बीजेपी जैसे दलों ने भी अपनी पकड़ मजबूत की। पिछले कुछ दशकों में यह सीट महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़े मुकाबले का केंद्र बनी रही है। विकास के मुद्दों में सड़क, सिंचाई, शिक्षा और रोजगार जैसे सवाल यहां के चुनावी विमर्श को प्रभावित करते हैं। स्थानीय मतदाता नेताओं से उम्मीद करते हैं कि वे इलाके की बुनियादी समस्याओं का समाधान करें। यही वजह है कि बरुराज विधानसभा को मुजफ्फरपुर जिले की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सीटों में गिना जाता है।

 

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मौजूदा समीकरण

बरुराज विधानसभा सीट मुजफ्फरपुर ज़िले में आती है और यहां का चुनावी माहौल हमेशा दिलचस्प रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के अरुण कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी। अरुण कुमार सिंह की जीत ने इस परंपरागत रूप से महागठबंधन के प्रभाव वाले इलाके में नया समीकरण बनाया। बीजेपी को यहां पर सवर्ण और शहरी तबके का समर्थन मजबूती से मिला, जबकि आरजेडी का वोट बैंक यादव और मुस्लिम समुदाय में अब भी मज़बूत बना हुआ है। जेडीयू का असर सीमित है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा दोनों स्तर पर उसके वोटरों की भूमिका समीकरण बिगाड़ने में रहती है।

 

इस समय सीट पर अरुण कुमार सिंह की व्यक्तिगत पकड़ और विकास से जुड़े वादे उनके पक्ष में माने जा रहे हैं। हालांकि विपक्ष लगातार यह मुद्दा उठा रहा है कि इलाके में बेरोज़गारी, सड़क और बाढ़ जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। यही वजह है कि बरुराज में अगला चुनाव बीजेपी की विकास बनाम विपक्ष की असंतोष राजनीति के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है।

2020 का रिजल्ट

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बरुराज सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार अरुण कुमार सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने 87,407 वोट हासिल किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उम्मीदवार नंद कुमार राय को पराजित किया। नंद कुमार राय को 43,753 वोट मिले। इस तरह अरुण कुमार सिंह ने 43,654 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की। यह परिणाम उस समय बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इस जीत ने महागठबंधन के प्रभाव को कमजोर किया और बरुराज सीट पर पार्टी की पकड़ मजबूत की। इस चुनावी नतीजे ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस क्षेत्र में बीजेपी का जनाधार पहले की तुलना में और अधिक मजबूत हुआ है।

विधायक का परिचय

बरुराज विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक अरुण कुमार सिंह 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार इस सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। अरुण कुमार सिंह ने 87,407 वोट प्राप्त किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आरजेडी के उम्मीदवार नंद कुमार राय को 43,654 वोटों के बड़े अंतर से हराया।

 

अरुण कुमार सिंह ने 1998 में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुफ्फरपुर से डॉक्टरेट की डिग्री ली है और उनकी कुल संपत्ति पांच करोड़ से अधिक है जबकि उनकी देनदारी करीब 40 लाख रुपये की है। अरुण कुमार सिंह के नाम अलग अलग मामलों में करीब 8 आपराधिक मामले दर्ज हैं आपराधिक धमकी से लेकर मृत्यु या चोट पहुंचाने तक के मुकदमे शामिल हैं।

 

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विधानसभा का इतिहास

1952 - रामचंद्र प्रसाद शाही (कांग्रेस)

 1957 - रामचंद्र प्रसाद शाही (कांग्रेस)

 1962 - रामचंद्र प्रसाद शाही (कांग्रेस)

 1967 - सुखदेव गिरि (स्वतंत्र राजनीतिज्ञ)

 1969 - रामचंद्र प्रसाद शाही (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

 1972 - जमुना सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

 1977 - बालेंद्र प्रसाद सिंह (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)

 1980 - जमुना सिंह (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

 1985 - शशि कुमार राय (लोकदल)

 1990 - शशि कुमार राय (जनता दल)

 1995 - शशि कुमार राय (जनता दल)

 2000 - शशि कुमार राय (जेडीयू)

 2005 - बृज किशोर सिंह (आरजेडी)

 2010 - बृज किशोर सिंह (आरजेडी)

 2015 - नंद कुमार राय (आरजेडी)

 2020 - अरुण कुमार सिंह (बीजेपी)