बिहार के सहरसा जिले की सोनबरसा विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनाव से जेडीयू का दबदबा है। रत्नेश सादा यहां से तीन बार के विधायक और नीतीश सरकार में मद्य निषेद मंत्री हैं। अनुसूचित जाति श्रेणी में आरक्षित यह सीट रत्नेश सादा के सियासी दबदबे का प्रतीक है। जेडीयू के सामने अपने करिश्मे को एक बार और दिखाने और विपक्षी दलों के सामने सोनबरसा के किले को ध्वस्त करने की चुनौती है। सहरसा जिले में पड़ने वाली यह विधानसभा सीट मधेपुरा लोकसभा का हिस्सा है।
विधानसभा क्षेत्र की दोमट मिट्टी बेहद उपजाऊ है। केला, आम, अमरूद, गेहूं, धान जैसी फैसलें प्रमुखता से होती हैं। सोनबरसा एक ऐतिहासिक स्थान है। यहां बौद्ध काल के अवशेष भी मिल चुके हैं। बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य इलाके की सबसे प्रमुख समस्या है। कोसी नदी से आने वाली तबाही से भी क्षेत्र पीड़ित है। बड़े उद्योग नहीं है। कामकाज के लिहाज से लोगों को अन्य प्रदेश जाना पड़ता है। अगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो इसमें ईटहरी, पतरघाट और सोनबरसा प्रखंड शामिल हैं।
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मौजूदा समीकरण
सोनबरसा विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। यहां लगभग 27.1 फीसद मतदाता एसी वर्ग से हैं। यादव वोटर्स भी अच्छी खासी तादाद में हैं। करीब 17.7 फीसदी यादव और 15.4 फीसदी मुस्लिम मतदाता किसी भी प्रत्याशी का सियासी खेल बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 तक सोनबरसा से लगभग 3,771 मतदाता बाहर जा चुके हैं। विधानसभा चुनाव 2020 के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,13,357 मतदाता हैं।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 16 प्रत्याशी मैदान में थे। जेडीयू ने दो बार के विधायक रत्नेश सादा पर भरोसा जताया। उनके सामने कांग्रेस ने तरनी ऋषिदेव को उतारा। एलजेपी से सरिता देवी चुनाव लड़ीं। रत्नेश सादा ने 13,466 मतों के अंतर से चुनाव जीता। रत्नेश को कुल 67,530 और कांग्रेस प्रत्याशी तारनि ऋषिदेव को 53,798 मत मिले। हालांकि 2010 और 2015 की तुलना में रत्नेश की जीत का अंतर बेहद कम रह गया है।
मौजूदा विधायक का परिचय
सोनबरसा से मौजूदा विधायक रत्नेश सादा नीतीश सरकार में मंत्री हैं। कभी बिहार की सड़कों पर रिक्शा दौड़ाने वाले सादा आज सोनबरसा में सियासी दबदबे का पर्याय हैं। 1987 में सियासी जीवन शुरू किया। बलिया सिमर गांव के रहने वाले सादा के पिता दिहाड़ी मजदूर थे। जीवन बेहद अभाव में गुजरा। जेडीयू की टिकट पर पहली बार 2010 में विधायक बने। तब से यह सिलसिला जारी है। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक मंत्री रत्नेश सादा के पास 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। करीब 4 लाख रुपये की देनदारी है। उन्होंने 1989 में लहटन चौपट्टी कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की। उनके खिलाफ महिषी थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज है।
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विधानसभा सीट का इतिहास
सोनबरसा विधानसभा सीट 1951 से ही अस्तित्व में है। 2010 में पहली बार इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया। अब तक यहां कुल 19 चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस को यहां चार बार जीत नसीब हुई। तीन बार नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी जीती। तीन बार निर्दलीय प्रत्याशियों पर सोनबरसा ने भरोसा जताया। दो बार जनता दल और लोकदल, संयुक्त समाजवादी पार्टी को एक-एक बार जीत मिली। आरजेडी ने तीन बार परचम लहराया। अगर प्रत्याशी के बात करें तो सीता राम महतो, राज नंदन राय, सूर्य नारायण यादव, राम जीवन प्रसाद, किशोर को दो-दो बार सफलता मिली। जेडीयू नेता रत्नेश सादा और रामचंद्र पूर्वे तीन-तीन बार विधायक बने।
सोनबरसा विधानसभा: कब-कौन जीता
वर्ष |
विजेता |
दल |
1952 |
जागेश्वर हाजरा |
कांग्रेस |
1957 |
सिंहेश्वर राय |
निर्दलीय |
1962 |
सीता राम महतो |
निर्दलीय |
1967 |
राज नंदन राय |
निर्दलीय |
1969 |
राज नंदन राय |
कांग्रेस |
1972 |
सीता राम महतो |
एसओपी |
1977 |
महमूद आलम |
कांग्रेस |
1980 |
सूर्य नारायण यादव |
कांग्रेस (U) |
1985 |
सूर्य नारायण यादव |
लोकदल |
1990 |
राम जीवन प्रसाद |
जनता दल |
1995 |
राम जीवन प्रसाद |
जनता दल |
2000 |
रामचंद्र पूर्वे |
आरजेडी |
2005 (फरवरी) |
रामचंद्र पूर्वे |
आरजेडी |
2005 (नवंबर) |
रामचंद्र पूर्वे |
आरजेडी |
2010 |
रत्नेश सादा |
जेडीयू |
2015 |
रत्नेश सादा |
जेडीयू |
2020 |
रत्नेश सादा |
जेडीयू |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग