संजय सिंह, पटना। अंग प्रदेश यानि की भागलपुर में मंडल पॉलिटिक्स पर दंगल शुरू हो गया है। जेडीयू ने गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल का टिकट काटकर आरजेडी के पूर्व सांसद बुलो मंडल को टिकट थमा दिया है। टिकट कटने से नाराज गोपाल मंडल निर्दलीय दंगल में उतरने के लिए तैयार हैं। इधर भागलपुर के सांसद अजय मंडल अपने ही दल के कुछ नेताओं से नाराज होकर इस्तीफे की पेशकश की थी। उनका आरोप था कि भागलपुर में उम्मीदवारों के चयन में उनसे कोई राय नहीं ली गई। पार्टी ने कहलगांव से कांग्रेस के पुराने नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद मुकेश को जेडीयू का टिकट थमा दिया है।

 

सांसद अजय मंडल किसी दूसरे को टिकट दिलाना चाहते थे। अपने चहते को टिकट नहीं मिलने से सांसद नाराज हो गए हैं। इस नाराजगी का असर विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है।

 

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गंगा किनारे बसे हैं गंगोता वोटर

गंगोतर जाति की एक अलग राजनीति पहचान है। इनका मूल व्यवसाय खेती और पशुपालन है। मुंगेर जिले के बरियारपुर से लेकर झारखंड की सीमा साहबगंज तक गंगा नदी के दोनों किनारे पर गंगोता आबादी बसी हुआ है। इस जाति में 12 उपजातियां समाहित हैं। यह आबादी लगभग 18 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव को प्रभावित करती है। मुंगेर, भागलपुर, पूर्णियां और कटिहार के कुछ विधानसभा क्षेत्रों पर यह जाति चुनाव के दौरान निर्णायक भूमिका निभाती है। इस वोट के दम पर जेडीयू के एक सांसद और दो विधायक चुनाव जीतने में सफल रहे थे।

बड़ बोलेपन के कारण कटा गोपाल का टिकट

जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व गोपाल मंडल के बड़ बोलेपन के कारण नाराज था। चुनाव घोषणा के पहले सांसद अजय मंडल और विधायक गोपाल मंडल के बीच जमकर वाक युद्ध हुआ था। दोनों नेताओं के बीच वाक युद्ध के दौरान पूर्व सांसद बुलो मंडल ने चुप्पी साधे रखी। गोपाल मंडल अंदर खाने इस बात की भी तैयारी किए हुए थे कि अगर जेडीयू से उनका टिकट कटा तो वे आरजेडी से अपना टिकट ले लेंगे। आरजेडी में भी गोपाल मंडल को तवज्जो नहीं मिली। गोपाल मंडल नाथनगर विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे के लिए भी आरजेडी से टिकट चाहते थे, पर यहां भी गोपाल को टिकट नहीं मिला। यह इलाका गंगोता बाहुल्य इलाका है। भागलपुर के सांसद अजय मंडल इसके पहले नाथनगर से विधायक रह चुके हैं। आरजेडी ने भी पिता पुत्र को बेटिकट कर दिया है।

 

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बीमा भारती पहले ही हो चुकी हैं साइड लाइन

गंगोता जाति के ही दबंग अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती को जेडीयू ने टिकट देकर रुपौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनाया था। वे नीतीश मंत्रिमंडल में सदस्य भी थीं, लेकिन नीतीश कुमार के बहुमत परीक्षण के दौरान वे पाला बदलकर आरजेडी में चली गईं। बाद में जेडीयू से त्यागपत्र देकर आरजेडी के टिकट पर पूर्णियां से वे चुनाव भी लड़ीं। चुनाव में निर्दलीय पप्पू यादव विजयी रहे और बीमा भारती को तीसरा स्थान मिला। बीमा भारती के रुपौली विधानसभा से त्यागपत्र देने के कारण वहां उप चुनाव हुआ। उप चुनाव में बीमा फिर हार गईं और शंकर सिंह विजयी हुए। जेडीयू ने अब यहां कलाधर मंडल को अपना उम्मीदवार बनाया है। आरजेडी की ओर से बीमा भारती चुनाव लड़ेंगी। यहां मंडल बनाम मंडल की लड़ाई होगी।

सांसद के इस्तीफे का असर

सांसद अजय मंडल के इस्तीफे का सच कुछ और है। जानकार बताते हैं कि वे गोपालपुर या कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से अर्पणा कुमारी को विधानसभा का टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से गंगोता जाति के ही बुलो मंडल को टिकट दे दिया। कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक और विधानसभा अध्यक्ष रहे सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद मुकेश को टिकट मिल गया। यही सांसद के नाराजगी का मूल कारण था। पार्टी के जिला अध्यक्ष बिपिन बिहारी सिंह भी टिकट की इच्छा रखते थे। यही कारण है कि उन्होंने सांसद के हां में हां मिलाया। अब अंग प्रदेश में मंडल बनाम मंडल की लड़ाई चर्चे में है।