अररिया आबादी के लिहाज से बिहार का 19वां सबसे बड़ा जिला है, जो भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। इसके पूर्व में किशनगंज जिला और उसके बाद पश्चिम बंगाल है। अररिया के दक्षिणी भाग में पूर्णिया और उत्तर में सुपौल जिले स्थित हैं। 1990 से पहले यह जिला पूर्णिया का हिस्सा था। बाद में बिहार सरकार ने एक नए जिले अररिया का गठन किया। जिले का नाम उसके पुराने इतिहास से जुड़ा है। 6 विधानसभा सीटों वाला यह जिला वर्तमान में नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) का गढ़ बन गया है।
2020 के चुनाव में यहां की छह में से चार सीटों पर एनडीए के उम्मीदवारों से कब्जा जमाया था। कांग्रेस को एक सीट मिली थी जबकि हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सभी को चौंकाते हुए एक सीट जीत ली थी। अररिया मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है। यहां मुख्य तौर पर मैथिली, हिंदी और उर्दू भाषाएं बोली जाती हैं। बिहार का शोक कही जाने वाली नदी कोसी अररिया से होकर ही बहती है। इसके अलावा यहां से सुवाड़ा, काली, परमार और कोली नदियां भी होकर जाती हैं। अररिया जिले की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। यहां की मुख्य फसलों में धान, मक्का, पटवा और मखाना है।
यह भी पढ़ें- सुपौल: NDA के गढ़ में कैसे चुनौती दे पाएगा महागठबंधन?
अररिया जिले में रानीगंज वृक्ष वाटिका यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इसके अलावा बिहार का पहला बायोडाइवर्सिटी पार्क यहां के कुसियारगांव में स्थित है। हालांकि, अररिया बिहार के पिछड़े जिलों में आता है, जहां मूलभूत सुविधाओं की आज भी कमी देखी जाती है। भारत सरकार ने 2006 में अररिया को देश के 250 पिछले जिलों में शामिल किया था।
राजनीतिक समीकरण
इस जिले की 6 विधानसभा सीटें अररिया लोकसभा के अंतर्गत आती हैं। 6 में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और जेडीयू की पकड़ ऐसी हो गई है कि बीते दो चुनावों में बीजेपी ने आरजेडी के दिग्गज नेता रहे तस्लीमुद्दीन के वर्चस्व को तोड़ दिया है। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह ने जीत दर्ज की। हालांकि, महागठबंधन के आरजेडी और कांग्रेस भी लगातार एनडीए को टक्कर देने के लिए मजबूती के साथ चुनाव लड़ती हैं।
यह भी पढ़ें- मधुबनीः एनडीए के दबदबे वाले जिले में कैसे जीतेगा महागठबंधन?
नरपतगंज में पिछली बार बीजेपी और 2015 में आरजेडी ने बाजी मारी थी। उससे पहले दो बार बीजेपी जीती थी। रानीगंज में 2005 से बीजेपी और जेडीयू जीतती आ रही हैं। रानीगंज में दोनों पार्टियों में आरजेडी को उठने नहीं दिया है। वहीं, फारबिसगंज में 2005 से लगातार बीजेपी का कब्जा है। अररिया सीट पर कांग्रेस के अविदुर रहमान दो बार से लगातार विधायक हैं। अररिया की जोकीहाट ऐसी सीट है, जहां 2020 में AIMIM ने जीत दर्ज करके सभी को चौंका दिया था। वहीं, सिकटी में 2010 से अब तक बीजेपी का कब्जा है।
विधानसभा सीटें:-
नरपतगंज: नरपतगंज सीट पर सबसे पहले 1962 में चुनाव हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने 5 बार, आरजेडी से दो बार चुनाव जीता है। वर्तमान में यहां से बीजेपी के जय प्रकाश यादव विधायक हैं।
रानीगंज: रानीगंज विधानसभा पर कांग्रेस से सबसे ज्यादा 5 बार, बीजेपी 3 बार, जेडीयू दो बार और आरजेडी ने एक बार चुनाव जीता है। वर्तमान में यहां से जेडीयू के अचमित ऋषिदेव लगातार दो बार से विधायक हैं।
फारबिसगंज: फारबिसगंज में सबसे पहले साल 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में कांग्रेस के बोकई मंडल ने जीत दर्ज की थी। यहां से इस समय बीजेपी के विद्या सागर केसरी विधायक हैं।
यह भी पढ़ेंः पश्चिम चंपारण: महात्मा गांधी की कर्मभूमि पर मुश्किल है कांग्रेस की डगर
अररिया: कांग्रेस के अविदुर रहमान 2015 से ही अररिया विधानसभा सीट से विधायक हैं। इसपर 2005 में बीजेपी और 2010 में एलजेपी ने जीत दर्ज की थी।
जोकीहाट: मौजूदा विधायक शाहनवाज आलम जोकीहाट से लगातार दो बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2018 में आरजेडी के टिकट पर विधायक बने थे। शाहनवाज 2020 में AIMIM के टिकट पर विधायक बने थे, मगर बाद में उन्होंने आरजेडी ज्वाइन कर ली थी।
सिकटी: सिकटी में लगातार तीन बार 2010 से बीजेपी का विधायक है। यहां बीजेपी के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती है। इस सीट से आरजेडी कभी चुनाव नहीं जीती है, ऐसे में आरजेडी के पास सिकटी पर पहली जीत दर्ज करने का अवसर है।
जिले का प्रोफाइल
लगभग 28 लाख की जनसंख्या वाले अररिया जिले में 9 ब्लॉक, 9 अंचल, एक जिला परिषद, 2 नगर परिषद, एक नगर पंचायत, 4 सब-डिवीजन और 218 ग्राम पंचायतें हैं। अररिया में कुल 26 पुलिस थाने हैं, जो जिले की कानून व्यवस्था को संभालते हैं। जिले का कुल क्षेत्रफल 2,830 वर्ग किलोमीटर है।
कुल सीटें-6
मौजूदा स्थिति-
BJP-3
JDU-1
Congress-1
AIMIM-1