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जोकीहाट विधानसभा: एक परिवार की 11 बार जीत, BJP का कभी नहीं खुला खाता

जोकीहाट मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा सीट है। इस सीट पर साल 1967 से ही मु्स्लिमों का कब्जा है। यहां के समीकरण ऐसे हैं कि हर बार जोकीहाट से मुस्लिम उम्मीदवार की ही जीत होती है।

Jokihat Assembly constituency

जोकीहाट विधानसभा। Photo Credit- Khabargaon

बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक जोकीहाट विधानसभा सीट है। यह विधानसभा अररिया जिले में आती है। यह अररिया जिले की सबसे सर्चित सीटों में से एक है। जोकीहाट से ठीक 53 किलोमीटर ऊपर नेपाल का बॉर्डर है, जबकि इसके पूरब में किशनगंज और दक्षिण में पूर्णिया जिले आते हैं। यह विधानसभा जोकीहाट प्रखंड और पड़ोसी पलासी प्रखंड के 11 पंचायतों को मिलाकर बना है। जोकीहाट का क्षेत्र कोसी नदी की उपजाऊ जलोढ़ मैदानों में स्थित है, जिससे यहां धान, मक्का और जूट की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है। जोकीहाट, अररिया जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। जोकीहाट में सिसौना जामा मस्जिद, अज्वाह मस्जिद जैसी कई प्रमुख मस्जिदें हैं।

 

जोकीहाट में बुनियादी ढांचे में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। इन सबके बावजूद यहां मूलभूत सुविधाओं की हमेशा से मांग होती रही है।

 

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मौजूदा समीकरण?

जोकीहाट मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा सीट है। इस सीट पर साल 1967 से ही मु्स्लिमों का कब्जा है। यहां के समीकरण ऐसे हैं कि हर बार जोकीहाट से मुस्लिम उम्मीदवार की ही जीत होती है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग 66 फीसदी है। यही वजह है कि अब तक यहां से कोई भी हिंदू उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है। जोकीहाट विधानसभा सीट पर लंबे समय तक पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद तस्लीमुद्दीन और उनके परिवार का दबदबा रहा है। तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों ने कुल 16 में से 11 बार यह सीट जीती है। तस्लीमुद्दीन ने कांग्रेस, जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीते।

 

यहां 2018 से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का कब्जा है। आरजेडी के शाहनवाज आलम लगातार दो बार से विधायक हैं। हालांकि, शाहनवाज ने 2020 में AIMIM से जीत हासिल की थी लेकिन बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे। 

 

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2020 में क्या हुआ था?

जोकीहाट विधानसभा सीट पर 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने जीत दर्ज की थी। आरजेडी दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में AIMIM के शाहनवाज आलम ने आरजेडी के सफराज आलम को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 7,383 वोटों का था। AIMIM के शाहनवाज आलम ने 34.22 फीसदी वोट पाते हुए 59,596 वोट हासिल किया था, जबकि सफराज आलम को 52,213 वोट मिले थे। वहीं, इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) तीसरे नंबर पर ही थी। बीजेपी के रणजीत यादव को 28.1 फीसदी वोट के साथ में 48,933 मत मिले थे। इस सीट पर 30 साल से समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों का दबदबा रहा है।  

 

जोकीहाट विधानसभा पर 2005 से 2015 तक जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कब्जे में थी, इसके बाद आरजेडी और एआईएमआईएम का कब्जा रहा है। 1996 के बाद से जोकीहाट सीट तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम और शाहनवाज आलम के पास रही है। बस 2005 का चुनाव जेडीयू के मजहर आलम ने जीती थी। 1996, 2000, 2010, 2015 सरफराज तो 2020 में शाहनवाज आलम ने जीती। भाई-भाई के बीच यह राजनीतिक जंग अब भी जारी है। माना जा रहा है कि 2025 में अगर किसी एक को टिकट नहीं मिला, तो वह दूसरे दल से चुनाव लड़ सकते हैं। 

विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक शाहनवाज आलम जोकीहाट से लगातार दो बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2018 में आरजेडी के टिकट पर विधायक बने थे। 42 साल के शाहनवाज ने जेडीयू के मुर्शीद आदम को मात दी थी। शाहनवाज आलम बिहार के दिग्गज नेता तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे हैं। अररिया जिले की राजनीति में उनके परिवार की तूती बोलती है। 

 

शाहनवाज आलम की पढ़ाई की बात करें तो वह ग्रेजुएट हैं। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन, कृषि और व्यवसाय है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 2.34 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

 

1967- नज़ामुद्दीन (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
1969- तस्लीमुद्दीन (कांग्रेस)
1972- तस्लीमुद्दीन (निर्दलीय)
1977- तस्लीमुद्दीन (जनता पार्टी)
1980- मोइदूर रहमान (कांग्रेस)
1985- तस्लीमुद्दीन (जनता पार्टी)
1990- मोइदूर रहमान (निर्दलीय)
1995- तस्लीमुद्दीन (समाजवादी पार्टी)
1996- सरफराज आलम (जनता दल)
2000- सरफराज आलम (आरजेडी)
2005- मजहर आलम (जेडीयू)
2005- मजहर आलम (जेडीयू)
2010- सरफराज आलम (जेडीयू)
2015- सरफराज आलम (जेडीयू)
2018- शाहनवाज आलम (आरजेडी)
2020- शाहनवाज आलम (AIMIM)

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