मधुबनीः एनडीए के दबदबे वाले जिले में कैसे जीतेगा महागठबंधन?
मधुबनी सीट पर एनडीए का दबदबा है। पिछले चुनाव में कुल 10 विधानसभा सीटों में से 7 एनडीए के हिस्से में गई थी।

मधुबनी । Photo Credit: Khabargaon
मधुबनी जिला उत्तर-पूर्वी बिहार में, नेपाल की सीमा से सटा एक उपजाऊ और समतल क्षेत्र है, जिसका कुल क्षेत्रफल 3,501 वर्ग किलोमीटर है। इसके उत्तर में नेपाल, दक्षिण में दरभंगा, पूर्व में सुपौल और पश्चिम में सीतामढ़ी की सीमाएं लगती हैं। यहां की जलवायु मानसूनी है, जिससे औसतन 1273 मिमी वर्षा होती है। मिट्टी की बात करें तो यहां की जलोढ़ मिट्टी की अधिकता की वजह से कृषि के लिए यह क्षेत्र काफी अच्छा है।
मधुबनी में कमला, करेह, बलान आदि नदियों का जाल फैला हुआ है, जिससे बरसात के मौसम में बाढ़ की काफी समस्या देखने को मिलती है। वन क्षेत्र यहां के कुल भूभाग का लगभग 5.87% है। मधुबनी मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है, और अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, विशेषकर मधुबनी चित्रकला तथा मिथिला की कृषि प्रधान संस्कृति के लिए।
हालांकि, 1972 तक मधुबनी जिले का अस्तित्व नहीं था। 1972 में इसे दरभंगा जिले से अलग करके बनाया गया। इसका मूल कारण बताया गया था कि प्रशासनिक रूप से इतना बड़ा जिला संभालना काफी मुश्किल हो रहा था।
मधुबनी नाम के पीछे की भी एक कहानी है। दरअसल यहां पर वनों का काफी क्षेत्रफल पर था और इन वनों में मधुमक्खियां पाई जाती थीं। जिसकी वजह से इन वनों का नाम मधुवन पड़ गया था। बाद में इसी वजह से जिले का नाम मधुबनी पड़ गया।
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राजनीतिक समीकरण
मधुबनी जिले की 10 सीटों में से 4 पर जेडीयू और 3 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, जबकि आरजेडी का कब्जा सिर्फ दो ही सीटों पर है। कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट है। इससे जाहिर होता है कि मधुबनी में मूल रूप से बीजेपी और जेडीयू का ही कब्जा है।
हालांकि, इस बार 2015 में एनडीए से जेडीयू अलग हो गई थी जिसका नुकसान एनडीए को झेलन पड़ा था। इस साल आरेजेडी को 80, जेडीयू को 71 और कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं। वहीं 2020 की बात करें तो बीजेपी को 19.8 प्रतिशत औऱ जेडीयू को 15.7 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि आरजेडी को 23.5 प्रतिशत और कांग्रेस को 9.6 प्रतिशत वोट मिले थे। छोटी बड़ी सभी पार्टियों का वोट मिलाकर एनडीए को और महागठबंधन दोनों को 37.9 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं और महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं।
विधानसभा सीटें
हरलाखी- इस सीट पर पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का कब्जा रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी ने भी दो बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। 2010 में पहली बार जेडीयू ने जीत दर्ज की लेकिन 2015 के चुनाव में आरएसएसपी ने यह सीट जीती। फिर 2020 में जेडीयू ने फिर से यह सीट जीत ली।
बेनीपट्टी- इस सीट पर एनडीए और महागठबंधन दोनों का ही बराबर का प्रभाव दिखता है। साल 2000 में आरजेडी के अजाजुल हक, 2005 में जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह, 2010 में बीजेपी के विनोद नारायण झा, 2015 में कांग्रेस की भावना झा और 2020 में फिर से विनोद नारायण झा ने जीत दर्ज की। जीत का यह पैटर्न देखकर जातिगत वोटों के ध्रुवीकरण का पता लगता है।
खजौली- शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। 2010 औस 2020 में बीजेपी के अरुण शंकर प्रसाद ने इस सीट से जीत दर्ज की।
बाबूबरही- इस सीट के बनने के बाद से ही देव नारायण यादव का इस सीट पर दबदबा रहा है। उन्होंने 1957, 1980, 1990, 1995 और 2000 में उन्होंने चुनाव जीता। पिछले दो बार से इस सीट पर जेडीयू जीत रही है। 2000 के बाद दो बार आरजेडी और तीन बार जेडीयू ने जीत दर्ज की थी।
बिस्फी- इस सीट पर हरिभूषण ठाकुर का दबदबा है। 2005 में उन्होंने निर्दलीय जीता था। इस वक्त वह बीजेपी के विधायक हैं।
मधुबनी- इस सीट पर राजकुमार महासेठ और उनके परिवार का दबदबा रहा है। 1980, 1990 और 1995 में राजकुमार महासेठ ने इस सीट पर दर्ज की और पिछली दो बार से यानी कि 2015 और 2020 में उनके बेटे समीर कुमार महासेठ ने आरजेडी के टिकट पर इस सीट से जीत दर्ज की और मौजूदा विधायक हैं। बीच में 2000 और 2005 में मनोरंजन सिंह ने जीत दर्ज की। कुल मिलाकर इस सीट पर बीजेपी और आरजेडी के बीच बराबरी का मुकाबला है।
राजनगर- इस सीट पर बीजेपी के रामप्रीत पासवान एक प्रमुख चेहरा हैं। देखा जाए तो 1990 से दो बार को छोड़कर इस सीट पर जेडीयू और बीजेपी ही जीत दर्ज करती रही है।
झंझारपुर- साल 2005 से नितीश मिश्रा इस सीट से जीतते आए हैं। उन्होंने बीजेपी और जेडीयू दोनों से पार्टियों से चुनाव लड़ा। हालांकि, 2015 में आरजेडी के गुलाब यादव ने यह सीट जीत ली थी। 1985 के बाद से अब तक आरजेडी ने सिर्फ दो बार जीत दर्ज की है बाकी सभी बार या तो बीजेपी और या तो जेडीयू जीती है।
फुलपरास- 1952 से लेकर 1995 तक तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले तीन विधानसभा चुनाव से जेडीयू ने इस सीट पर कब्जा कर रखा है। इस सीट से यादव और ओबीसी कैंडीडेड जीतते रहे हैं। गुलजार देवी एक प्रमुख चेहरा हैं।
लौकहा- इस सीट पर हरि प्रसाद शाह एक प्रमुख चेहरा हैं। हालांकि, 2000 में उन्होंने समता पार्टी से लड़कर चुनाव जीता था और बाद में 2005 और 2010 में जेडीयू से चुनाव लड़कर जीता। वहीं 2005 से लेकर 2015 तक इस सीट पर जेडीयू का कब्जा रहा लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी के भारत भूषण मंडल ने जीत दर्ज की।
जिले का प्रोफाइल
2011 की जनगणना के अनुसार मधुबनी की जनसंख्या 44,87,379 है जिसमें अनुमानित पुरुष जनसंख्या लगभग 28,97,000 तथा महिला जनसंख्या करीब 27,08,000 है। इस जिले में 21 प्रखंड, 10 विधानसभा क्षेत्र, 2 लोकसभा का सीट, 399 पंचायत, 5 अनुमंडल, 1115 गांव हैं।
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मौजूदा स्थिति-
कुल सीटें- 10
जेडीयू- 3
कांग्रेस- 1
बीजेपी- 4
आरजेडी- 2
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