दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले एक नया मोड़ आ गया है। कथित रूप से दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़ी कैग की एक रिपोर्ट लीक हो गई है जिसके मुताबिक दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की वजह से 2026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
इंडिया टुडे में छपी एक खबर में रिपोर्ट के हवाले से इस बात का दावा किया गया है इस नीति में लाइसेंस जारी करने से लेकर अन्य कई तरह की अनियमितताएं बरती गई हैं।
इसमें कहा गया है कि आबकारी नीति से अपेक्षित लक्ष्यों का प्राप्ति नहीं हुई है और इससे आम आदमी पार्टी के नेताओं को गलत तरीके से लाभ पहुंचा है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) द्वारा विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों की अनदेखी की गई थी।
एलजी से नहीं ली गई अनुमति
नवंबर 2021 में शुरू की गई शराब नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में शराब की खुदरा बिक्री को बेहतर बनाना और राजस्व प्राप्ति को अधिकतम करना था। हालांकि, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के कारण ईडी और सीबीआई ने जांच की। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह समेत आप के कई शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, पिछले साल उन्हें जमानत मिल गई थी।
दिल्ली विधानसभा में अभी तक पेश नहीं की गई सीएजी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि शिकायतों के बावजूद सभी संस्थाओं को बोली लगाने की अनुमति दी गई और बोली लगाने वालों की वित्तीय स्थिति की जांच नहीं की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिन कंपनियों ने घाटा दिखाया था उन्हें लाइसेंस दिए गए या फिर उनके लाइसेंस को रिन्यू किया गया।
इसके अलावा, कैग ने पाया कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को जानबूझकर दंडित नहीं किया गया।
इस रिपोर्ट में कथित रूप से यह भी दावा किया गया है कि कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना महत्त्वपूर्ण फैसले लिए गए थे। इसके अलावा, नए नियमों को आधिकारिक प्रक्रिया के विपरीत, अनुसमर्थन के लिए विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया।
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कितना हुआ नुकसान
सीएजी ने नई नीति को लागू किए जाने कि प्रक्रिया को लेकर भी खामियां उजागर की हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ खुदरा विक्रेताओं ने नीति की समाप्ति तक अपने लाइसेंस बनाए रखे, जबकि कुछ ने अवधि समाप्त होने से पहले ही उन्हें सरेंडर कर दिया। सरेंडर किए गए खुदरा लाइसेंसों के फिर से टेंडर न किए जाने के कारण सरकार को 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इसके अलावा, क्षेत्रीय या ज़ोनल लाइसेंसधारियों को दी गई छूट के कारण 941 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ। इसके अलावा, कोविड प्रतिबंधों के बहाने जोनल लाइसेंसधारियों के लिए लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपये की छूट दी गई। यह तब हुआ जब टेंडर दस्तावेज में कहा गया था कि कॉमर्शियल जोखिम लाइसेंसधारियों का होगा।
सीएजी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पॉलिसी का हिस्सा होने के बावजूद गुणवत्ता नियंत्रण के लिए बुनियादी ढांचा, जैसे प्रयोगशालाएं और बैच परीक्षण सुविधाएं कभी स्थापित ही नहीं की गईं।
बीजेपी और कांग्रेस ने साधा निशाना
बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बीजेपी पहले दिन से ही यह कह रही है कि CAG रिपोर्ट में 2026 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है और यह साफ तौर पर बताता है कि यह अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया द्वारा जानबूझकर किया गया था। CAG रिपोर्ट के अनुसार यह एक सोची समझी साजिश थी... हर बार सरकारी नियमों की अनदेखी की गई... अरविंद केजरीवाल CAG रिपोर्ट विधानसभा में क्यों नहीं रख रहे हैं?
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बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली की खुशियों को तबाह कर दलाल की भूमिका निभाने वाले आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार की पूरी कहानी CAG ने बता दी है... ये वही CAG रिपोर्ट है जिसे अरविंद केजरीवाल 2013 में शीला दीक्षित के खिलाफ लड़ने के लिए लहराते थे और आज उसी CAG रिपोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को भ्रष्ट करार दिया है...
वहीं नई दिल्ली सीट से कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि कैग ने पहले ही कहा था कि आबकारी नीति में 2000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था...और अबह यह बात साफ हो गई है कि अरविंद केजरीवाल ने गलत किया है। उन्होंने सरकारी खजाना खाली कर दिया है। अगर सिर्फ 6 महीने में इतना खर्च हो गया तो अगर वह नीति अभी जारी रहती तो अब तक 10000-12000 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया होता।
आप ने किया पलटवार
ये वही कागज है जो बीजेपी अपने दफ्तर में मैन्युफैक्चर करती है। ये वही कागज है जिसकी कोई मान्यता नहीं। पहले नकली कागज बनाती है भाजपा फिर आरोप लगाकर भाग जाती है।
आम आदमी पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि पहले भी इन्होंने आबकारी नीति को लेकर आरोप लगाया था तो सीबीआई ने फटकार लगाते हुए कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की तरह है।
आप ने कहा कि इस मुद्दाहीन, एजेंडाहीन और चेहराहीन पार्टी के पास झूठ बोलने के अलावा कोई चारा नहीं है। बीजेपी जब मुंह खोलती है तो झूठ बोलती है। अगर बात करनी है घाटे की तो आइए बात करते हैं कि कैसे गुजरात साढ़े चार लाख करोड़ के घाटे में गया और कैसे मध्य प्रदेश साढ़े सात लाख करोड़ के घाटे में गया।