क्या था वादा

मार्च 2018 में दिल्ली कैबिनेट ने टारगेटेड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (टीडीएस) के तहत राशन के डोर स्टेप डिलीवरी करने का वादा किया। इसे मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना कहा गया। 

 

हम लोग राशन की डोर स्टेप डिलीवरी को सुनिश्चित करेंगे ताकि राशन वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सके।

फिर क्या हुआ

इसके बाद इस पर पहली आपत्ति लेफ्टिनेंट गवर्नर की आई। उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा क्योंकि यह सिर्फ पुराने सर्विस प्रोवाइडर की जगह सिर्फ नए सर्विस प्रोवाइडर को ले आएगा। एलजी ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को इसे केंद्र के समक्ष रखकर इसकी स्वीकृति लेनी चाहिए।

 

इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने स्कीम के साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया। स्कीम को फरवरी 2021 में नोटिफाई कर दिया गया। फिर क्या था, केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताई। केंद्र सरकार ने कहा कि 'अगर राज्य सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट को मिलाए बिना अलग से कोई स्कीम लेकर आती है तो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी.'

 

इसके बाद दिल्ली सरकार ने स्कीम (मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना) के आगे से 'मुख्यमंत्री' शब्द हटा दिया और इसे लागू करने का फैसला किया। दिल्ली सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) को बंद नहीं किया जाएगा और लोगों को दोनों विकल्पों को चुनने की स्वतंत्रता होगी।

 

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कैसे होनी थी डिलीवरी

दिल्ली सरकार की योजना के मुताबिक, अनाजों को दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा उठाया जाना था इसके बाद इसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के लिए इसे मिलिंग यूनिट तक ले जाना था। बाद में पैक किए गए आइटम को दिल्ली कंज्यूमर को-ऑपरेटिव होलसेल स्टोर लिमिटेड द्वारा फेयर प्राइस शॉप तक पहुंचाया जाता और वहां से आइटम को लाभार्थी के घर तक पहुंचाया जाना था।

कोर्ट तक पहुंचा मामला

मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के तहत राशन के डोर स्टेप डिलीवरी को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। तर्क यह था कि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीम के तहत उपलब्ध कराए गए राशन को दिल्ली सरकार डोर स्टेप डिलीवरी के लिए प्रयोग नहीं कर सकती।

 

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहे तो इसी तरह की कोई अन्य स्कीम ला सकती है लेकिन वह केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए राशन को इसके लिए प्रयोग नहीं कर सकती।

 

हालांकि, दिल्ली सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह उन गरीबों के लिए है जो कि फेयर प्राइस शॉप (एफपीएस) द्वारा धमकाए जाते हैं कि वह इस स्कीम को न चुनें नहीं तो उन्हें राशन नहीं मिलेगा। दिल्ली सरकार ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि इससे किसी एफपीएस के अस्तित्व पर खतरा है। आप ने कहा कि यह स्कीम ऐच्छिक है और लाभार्थी किसी भी समय इस स्कीम से बाहर हो सकता है।

अभी क्या है स्थिति

घर घर राशन योजना अभी तक अटकी पड़ी है और लागू नहीं हो सकी है। दिल्ली सरकार का कहना है कि यह योजना राशन माफियाओं को खत्म करने के लिए लाई गई है और केंद्र सरकार का कहना है कि इसे गलत तरीके से लागू करने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट का फैसला भी केंद्र सरकार के ही पक्ष में रहा।

 

कुल मिलाकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी का राशन की डोर स्टेप डिलीवरी का वादा पूरा नहीं हो पाया है। 


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