बिहार के नवादा जिले में स्थित गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र एक ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से विविधता वाला क्षेत्र है, जो सकरी नदी के किनारे बसा है। हर साल मानसून में बाढ़ के कारण यह क्षेत्र मुख्य बाजार डेलहुआ से कट जाता है, जिससे स्थानीय निवासियों को आवागमन, डाकघर और थाना सेवाओं तक पहुंच में भारी कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं। क्षेत्र के मूल धारा से कट जाने के कारण प्रशासन करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

 

इस क्षेत्र में साक्षरता दर काफी कम है। यहां की कुल साक्षरता दर 47.56% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता 57.10% और महिलाओं की मात्र 37.71% है। इस प्रखंड में 72 गांव हैं, जिनमें जनसंख्या में विविधता देखने को मिलती है। ऐतिहासिक रूप से, मौर्य और गुप्तकालीन प्रभावों के प्रमाण गोविंदपुर के गौरवशाली अतीत को दर्शाते हैं। 1967 में इसे नवादा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत एक अलग विधानसभा सीट बनाया गया, जिसके बाद एक परिवार का राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित हुआ। यह क्षेत्र अपनी चुनौतियों और समृद्ध विरासत के साथ बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

 

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मौजूदा राजनीतिक समीकरण

इस सीट पर युगल किशोर यादव के परिवार का वर्चस्व है। 1969 में युगल किशोर यादव ने लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। उनके अचानक निधन के बाद उनकी पत्नी गायत्री देवी ने उपचुनाव जीतकर उनकी जगह ली। इसके बाद वह 1980, 1985, 1990 (कांग्रेस) और 2000 (आरजेडी) में चार बार विधायक बनीं।

 

वहीं पार्टियों की बात करें तो 1967 से लेकर अब तक कुल 15 बार चुनाव हुए हैं जिसमें कांग्रेस ने 6 बार, निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 बार, आरजेडी ने 2 बार और लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल तथा जेडीयू ने 1-1 बार जीत हासिल की।

2020 की स्थिति

मोहम्मद कामरान ने जीत हासिल की ती। उन्हें कुल 79,557 वोट मिले थे जो कि कुल वोटों का 49.2 प्रतिशत था। दूसरे स्थान पर जेडीयू कैंडिडेट पूर्णिमा यादव रही थीं जिन्हें 46,483 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर एलजेपी के राजनीति यादव रहे थे जिन्हें 16,111 वोट मिले थे।

 

हालांकि, इस बार समीकरण बदल गया है। इस बात आरजेडी ने कामरान की जगह हाल ही में आरजेडी में शामिल हुई पूर्णिमा यादव को यहां से टिकट दे दिया है। बता दें कि पूर्णिमा यादव कांग्रेस के टिकट पर यहां से 2015 में विधायक रही हैं। उसके पहले 2005 से 2010 के बीच उनके पति कौशल यादव यहां से विधायक थे जबकि 1995 को छोड़कर 1980 से लेकर साल 2000 तक इस सीट पर कौशल यादव की मां गायत्री देवी यादव यहां से विधायक रही हैं। पूर्णिमा यादव भी चार बार की विधायक रही हैं, एक बार गोबिंदपुर से और तीन बार बारनवादा से। 

 

वहीं एनडीए ने नवादा से बीजेपी के जिलाध्यक्ष अनिल मेहता की पत्नी विनीता को टिकट दिया है। वह कई सालों से इस क्षेत्र में सक्रिय रही हैं और इस बार उन्हें एलजेपी ने यहां से टिकट दिया है। इसके अलावा मोहम्मद कामरान को आरजेडी से टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ही यहां से ताल ठोंक दिया है, जिससे मुकाबला काफी रोमांचक हो गया है।

विधायक का परिचय

मोहम्मद कामरान की शिक्षा इंटरमीडिएट (12वीं पास) स्तर की है, जो उन्होंने पटना मुस्लिम साइंस कॉलेज से प्राप्त की। कामरान की कुल संपत्ति लगभग 25 लाख रुपये है, जिसमें कृषि भूमि और बैंक जमा शामिल हैं। उनकी पत्नी गृहिणी हैं। आपराधिक मामलों की बात करें तो उन पर कोई गंभीर आरोप नहीं है; माय नेता के अनुसार, उनके खिलाफ कोई दर्ज आपराधिक केस लंबित नहीं है।

 

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विधानसभा का इतिहास

1967- अमृत प्रसाद (कांग्रेस)
1969- युगल किशोर यादव (लोक तांत्रिक कांग्रेस)
1970- गायत्री देवी यादव (निर्दलीय)
1972- अमृत प्रसाद (कांग्रेस)
1977- भातू महतो (जनता पार्टी)
1980-  गायत्री देवी यादव (कांग्रेस)
1985- गायत्री देवी यादव (कांग्रेस)
1990- गायत्री देवी यादव (कांग्रेस)
1995- कृष्ण प्रसाद यादव (जनता दल)
2000- गायत्री देवी यादव (आरजेडी)
2005- कौशल यादव (निर्दलीय)
2010- कौशल यादव (जेडीयू)
2015- पुर्णिमा यादव (कांग्रेस)
2020- मोहम्मद कामरान (आरजेडी)