पश्चिमी चंपारण जिले की लौरिया विधानसभा सीट 2008 के पहले तक अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित थी। 2008 में हुए परिसीमन के बाद से यह सीट सामान्य कैटगरी में आ गई है। यह विधानसभा क्षेत्र पश्चिमी चंपारण जिले के मध्य में आता है इसलिए वाल्मीकि नगर, बगहा, नरकटियागंज, सिकता, चनपटिया और नौतन विधानसभा क्षेत्रों से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से मशहूर इस क्षेत्र में नंद वंश के समय बने महल टीलों के रूप में मौजूद हैं। नंदनगढ़ क्षेत्र में चाणक्य की बनवाई इमारतें अभी अलग-अलग टीलों के रूप में मिल जाएंगी। 

 

इस क्षेत्र को भगवान बुज्ध के अस्थि अवशेषों से संबंधित स्तूपों के लिए भी जाना जाता है। लौरिया में ही 2300 साल पुराना एक अशोक स्तंभ भी है जिसे सम्राट अशोक ने स्थापित करवाया था। यादव और मुस्लिम के अलावा कोइरी और ब्राह्मण जातियों के लोग भी यहां निर्णायक भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं।  

 

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मौजूदा समीकरण

 

3 बार के विधायक विनय बिहारी के अलावा इस सीट से आरजेडी और जन सुराज भी दावेदारी ठोक रही हैं। जन सुराज से शचींद्र कुमार पांडेय क्षेत्र में खूब सक्रिय हैं। दूसरी तरफ, आरजेडी के मुकेश यादव भी लगातार मेहनत कर रहे हैं। शंभू तिवारी और रण कौशल प्रताप सिंह पिछले चुनावों में प्रमुख पार्टियों से चुनाव लड़ते रहे हैं, ऐसे में पूरी उम्मीद है कि वे भी चुनाव में उतर सकते हैं।


2020 में क्या हुआ था?

 

2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट से अपने दो बार के विधायक विनय बिहारी को तीसरी बार टिकट दिया था। वहीं, आरजेडी ने 2015 में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले शंभू तिवारी को उम्मीदवार बनाया। 2015 में आरजेडी के उम्मीदवार रहे रण कौशल प्रताप सिंह का पत्ता कटा तो वह बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ गए। जो काम शंभू तिवारी ने 2015 में किया था यानी खूब वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे, वही 2020 में रण कौशल प्रताप सिंह ने किया।

 

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त्रिकोणीय लड़ाई का फायदा विनय बिहारी को लगातार तीसरी बार भी मिला। 77927 वोट पाकर विनय बिहारी लगातार तीसरा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। एक बार फिर आरजेडी के उम्मीदवार बने शंभू तिवारी को 48923 तो बीएसपी के उम्मीदवार रणकौशल सिंह को 17515 वोट मिले। यहां से पुष्पम प्रिया की प्लूरल्स पार्टी भी मैदान में उतरी थी लेकिन उसे सिर्फ 1462 वोट ही मिले।

विधायक का परिचय

 

2010 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़कर जनता दल (यूनाइटेड) और आरजेडी के अलावा कांग्रेस और बीएसपी को हराने वाले विनय बिहारी ने पहली बार में ही जीत हासिल कर ली थी। उनका जलवा देखकर ही बीजेपी ने उन्हें अपने साथ ले लिया और लगातार दो बार उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनाया। राजनीति में आने से पहले भोजपुरी फिल्मों में गायक, गीतकार और प्रोड्यूसर का काम कर रहे विनय बिहारी एक बार बिहार सरकार में कला और संस्कृति मंत्री भी बन चुके हैं।

 

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विनय बिहारी वही विधायक हैं जो अपनी विधानसभा में काम करवाने के लिए अर्धनग्न रहने की कसम खा चुके थे। 2016 में वह हाफ पैंट और गंजी पहनकर विधानसभा में पहुंच गए थे। तब उन्होंने 44 किलोमीटर लंबी सड़क बनवाने के लिए कसम खाई थी कि जब तक सड़क नहीं बनती वह हाफ पैंट और गंजी में ही रहेंगे। आखिर में सरकार ने उनकी बात स्वीकार कर ली थी और केंद्र सरकार ने 80 करोड़ रुपये की अनुशंसा की थी। तब डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव ने उन्हें कपड़े पहनाए थे।

 

कला के क्षेत्र से आने वाले विनय बिहारी आज भी अपने काम से अलग नहीं हुए हैं। अभी भी उनके लिखे या गाए गाने रिलीज होते रहते हैं और वह भोजपुरी इंडस्ट्री में भी लगातार सक्रिय रहते हैं। उनकी कलम की धार विधानसभा में भी दिखती है और वह अक्सर शेरो-शायरी के जरिए ही अपनी बात रखते नजर आते हैं। 

विधानसभा का इतिहास

 

इस विधानसभा सीट पर 1957 से चुनाव होते जा रहे हैं। सुरुआती कई चुनावो में कांग्रेस को जीत मिलती रही लेकिन 1990 और 1995 में जनता दल के रण विजय शाही ने कांग्रेस का यह रथ रोक दिया। कांग्रेस ने आखिरी बार यहां 2000 में जीत हासिल की थी और विश्व मोहन शर्मा विधायक बने थे। आरजेडी आज तक यहां से चुनाव नहीं जीत पाई है।


1957- सूर्य नारायण प्रसाद- कांग्रेस
1962- सूर्य नारायण प्रसाद-कांग्रेस
1967-शत्रु मर्दन सिंह- निर्दलीय
1969- शत्रु मर्दन सिंह- स्वतंत्र पार्टी
1972- फुलेना राव- कांग्रेस
1977- विश्व मोहन शर्मा- कांग्रेस
1980- विश्व मोहन शर्मा- कांग्रेस
1985- विश्व मोहन शर्मा- कांग्रेस
1990- रणविजय शाही- जनता दल
1995- रणविजय शाही- जनता दल
2000- विश्व मोहन शर्मा- कांग्रेस
2005- प्रदीप सिंह- JDU
2005- प्रदीप सिंह- JDU
2010- विनय बिहारी- निर्दलीय
2015- विनय बिहारी- बीजेपी
2020- विनय बिहारी- बीजेपी