बिहार के सारण जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं। एकमा, मांझी, बनियापुर, तरैंया, मढौरा, छपरा, गडखा, अमनौर, परसा और सोनपुर। इस जिले में दो लोकसभा सीटें आती हैं, सारण और महाराजगंज। इन्हीं सीटों में से एक सीट है मांझी विधानसभा। यह बिहार की सबसे पिछड़ी विधानसभाओं में से एक है। विधानसभा की सीट संख्या 114 है।
यह विधानसभा, महाराजगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद जलालपुर ब्लॉक, मांझी ब्लॉक और बनिया पुर ब्लॉक को जोड़ा गया। यह सबसे पुराने विधानसभाओं में से एक है। यह ग्रामीण विधानसभा है, ज्यादातर लोग किसान हैं। रोजगार के लिए एक बड़ी आबादी पलायन कर चुकी है।
मांझी से बिहार के दो शहर नजदीक हैं। छपरा यहां से 25 किलोमीटर की दूरी पर है, वहीं सिवान यहां से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। यूपी का बलिया शहर भी 40 किलोमीटर की दूरी पर है। तीनों शहरों में बड़े उद्योग-धंधे नहीं हैं, इसलिए ज्यादातर आबादी दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में काम करती है।
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विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?
मांझी विधानसभा ग्रामीण विधानसभा है। उद्योग-धंधों की कमी है। यह गंगा और घाघरा नदी के संगम पर है। यह इलाका वैसे तो उपजाऊ है लेकिन बारिश के दिनों में बाढग्रस्त रहता है। यहां शहरी आबादी नहीं है। यहां खेती-किसानी होती है। मांझी ग्रामीण कस्बा है। पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य यहां चुनावी मुद्दे हैं। पलायन की स्थिति ऐसी है कि यहां सिर्फ 53.48% फीसदी वोट साल 2025 के चुनाव में पड़े थे।
मांझी विधानसभा, एक नजर
मांझी में कुल 528278 वोटर हैं। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 273323 है। महिला मतदाताओं की संख्या 254955 है। यहां अनुसूचित जाति के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अनुसूचित जाति की आबादी करीब 12 प्रतिशत है, वहीं मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 8 प्रतिशत है। राजपूत, भूमहार, कुर्मी और ब्राह्मण मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं।
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विधायक का परिचय
बिहार के मांझी विधानसभा क्षेत्र से डॉ. सत्येंद्र यादव विधायक हैं। उन्होंने 2020 के चुनाव में राणा प्रताप सिंह को हराया है। सत्येंद्र यादव ने जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा से 2005 में स्नातक की डिग्री हासिल की। 2010 में पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की। वह स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के बिहार राज्य समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 25 लाख रुपये घोषित की है।
2020 का चुनाव कैसा था?
साल 2020 में पहली बार CPI(M) ने RJD-कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के समर्थन से यह सीट जीती। यहां से डॉ. सत्येंद्र यादव विधायक हैं। वह CPI (M) से हैं। उन्हें कुल 59,324 वोट पड़े थे। बीते चुनाव की तुलना में CPI (M) को करीब 25.17 प्रतिशत वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार राणा प्रताप सिंह थे। उन्हें कुल 29,155 वोट मिले। तीसरे नंबर पर जेडीयू की माधवी कुमारी थीं, जिन्हें 29,155 वोट पड़े थे। कुल 157,930 मतदाताओं ने वोट डाला था।
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2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?
मांझी विधानसभा सीट पर CPI (M) दावा ठोक रही है। लेफ्ट की ही जीत इस पार्टी से हुई है तो उम्मीद है कि सीट बंटवारे में यह उनके खाते में ही जाएगी। जेडीयू इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही है। एनडीए यह सीट अब बीजेपी या एलजेपी को दे सकती है। जन सुराज ने भी इस सीट पर कई रैलियां निकालीं हैं।
सीट का इतिहास
मांझी विधानसभा में साल 1951 से अब तक, 17 बार चुनाव हुए हैं। कांग्रेस पार्टी को यहां से 7 बार जीत मिली, जेडीयू को 3 बार और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को भी दो बार जीत मिली। निर्दलीय उम्मीदवार भी यहां से दो बार जीते। जनता पार्टी, जनता दल और CPI (M) ने यहां से एक-एक बार जीत हासिल की है।
- 1952 विधानसभा चुनाव: गिरीश तिवारी, कांग्रेस
- 1957 विधानसभा चुनाव: गिरीश तिवारी, कांग्रेस
- 1962 विधानसभा चुनाव: गिरीश तिवारी, कांग्रेस
- 1967 विधानसभा चुनाव: राम बहादुर सिंह, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- 1969 विधानसभा चुनाव: रामेश्वर दत्त शर्मा, कांग्रेस
- 1972 विधानसभा चुनाव: राम बहादुर सिंह, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- 1977 विधानसभा चुनाव: राम बहादुर सिंह, जनता पार्टी
- 1980 विधानसभा चुनाव: रामेश्वर दत्त शर्मा, कांग्रेस
- 1985 विधानसभा चुनाव: बुद्धन प्रसाद यादव, निर्दलीय
- 1990 विधानसभा चुनाव: हजारी सिंह, जनता दल
- 1995 विधानसभा चुनाव: बुद्धन प्रसाद यादव, कांग्रेस
- 2000 विधानसभा चुनाव: रविंद्र नाथ मिश्रा, निर्दलीय
- 2005 विधानसभा चुनाव: गौतम सिंह, जेडीयू
- 2010 विधानसभा चुनाव: गौतम सिंह, जेडीयू
- 2015 विधानसभा चुनाव: विजय शंकर दुबे, कांग्रेस
- 2020 विधानसभा चुनाव: सत्येंद्र यादव, CPI (M)