बिहार विधानसभा 2025 के चुनाव की देश भर में खूब चर्चा हो रही है क्योंकि हर दिन कुछ न कुछ नया विवाद खड़ा हो जाता है। दरभंगा जिले की अलीनगर सीट से बीजेपी की उम्मीदवार और प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर के चुनाव प्रचार के दौरान मिथिला पाग को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। मैथिली का वीडियो जिसमें वह 'पाग' को एक कटोरे की तरह इस्तेमाल करते हुए दिख रही है। इस वायरल वीडियो में उन्हें उसी पाग में से मखाना खाते हुए देखा गया। इस के बाद सोशल मीडिया और विपक्ष ने इसे 'मिथिला की संस्कृति और पाग के अपमान' के रूप में देखा। मिथिला की 'पाग', इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान, गौरव और सम्मान का प्रतीक है। आइए समझते हैं पाग के इतिहास, बनाने की प्रक्रिया, अवसर के हिसाब से इसके रंग का महत्व और अनुष्ठानों में पाग की भूमिका क्या है?

 

मिथिला की पाग केवल सिर पर पहनने वाला कपड़ा नहीं बल्कि यह सम्मान, पहचान और गौरव का प्रतीक है। पीढ़ियों से पाग सामाजिक अनुष्ठानों जैसे विवाह में आदर और सम्मान के रूप में मौजूद रही है। जानते हैं इसके बारे में डिटेल में-

 

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पाग क्यों है खास

मिथिला में पाग को सम्मान की पगड़ी मानी जाती है। इसे पहनना या किसी गेस्ट को पहनाना आदर का सिंबल है। किसी समारोह वगैरह में इसे पहनना यह दिखाता है कि वह व्यक्ति उस अवसर पर एक खास भूमिका निभा रहा है। इसकी परंपराएं विदेह से जुड़ी मानी जाती है। पगड़ी बनाने की कला अक्सर घरों में परंपरा की तरह आगे की पीढ़ियों को दी जाती है।

कैसे बनाते हैं?

  • पाग के लिए मलमल/कॉटन/रेशम/मखमल के कपडे का इस्तेमाल होता है। इसे भी मौसम और अवसर के हिसाब से चुना जाता है। तेज धूप से बचाने के लिए मुलायम कपड़ा, गोल्डन कढ़ाई या सिंपल कढ़ाई भी पाग के महत्व को दिखाती है।
  • कपड़े को पाग के आकार के हिसाब से काटा जाता है और बीच में एक गोल टोपी जैसी आकृति बनाने के लिए सावधानी से सिला जाता है।
  • पाग को सीधा और सख्त रखने के लिए, अंदर की तरफ गत्ते या कड़े कपड़े की एक बेस जोड़ी जाती है।
  • पाग के माथे वाले हिस्से पर अनोखे प्लीट्स हाथ से बनाए जाते हैं, जो इसकी पहचान हैं।
  • पाग को उसकी खूबसूरती बढ़ाने के लिए किनारों पर गोटे, मोती या जरी के काम से सजाया जाता है और यह पहनने के लिए तैयार हो जाता है।

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रंग कोड

  • मरून/लाल:  खुशी और औपचारिकतामुंडन, शादी, या कोई भी प्रोग्राम।
  • मस्टर्ड/गेरुआ: शुभ-मुहूर्त, धार्मिक अनुष्ठान, व्रत-त्योहार।
  • सफेद/ऑफ-व्हाइट: शांति, सम्मान, मैच्योरिटीअक्सर घर के बुजुर्गों या पंडितों को पहनाई जाती है।
  • बॉर्डर/मोटिफ:  गोल्डन कढ़ाई या सिंपल बॉर्डर वाले घर में होने वाले फंक्शन में व्यक्ति के महत्व के अनुसार पहनी जाती है। आज कल मिनिमलिस्ट बॉर्डर भी बड़ी फेमस हो रही है।
  • आज के समय में, पाग किसी भी रंग की हो सकती है, लेकिन लाल, सफेद, और पीला इसका पारंपरिक आधार है

पूजा-पाठ में पाग

  • उपनयन में पाग को पहनने की परंपरा है।
  • शादी में लड़के की फैमिली और जरूरी गेस्ट के परिवार के लोग इसे पहनते हैं। कई जगह इसे गेस्ट के आने पर पहनाना भी उनके सम्मान का प्रतीक है।
  • छठ पूजा जैसे त्योहार, मेलों में पाग को पहनना परंपरा का हिस्सा है।
  • कई अवसरों पर पूजा शुरू करने के लिए पाग पहनना बहुत जरूरी माना जाता हैइसके बिना पूजा को अच्छा नहीं माना जाता।
  • शादी-ब्याह में दूल्हे के लिए पाग पहनना एक जरूरी परंपरा है, जो उसके लिए सम्मान दिए जाने का प्रतीक है।