बिहार की सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट सहरसा जिले में पड़ती है। इलाके में कोई बड़ा औद्योगिक केंद्र नहीं है। रोजगार के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है। ग्रामीण इलाकों में बिजली, पानी और सड़क जैसी समस्या सबसे आम है। अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है। सिमरी बख्तियारपुर एक छोटा कस्बा है। आसपास के गांव के लोग यही खरीदारी करने आते हैं। विधानसभा क्षेत्र की जमीन बेहद उपजाऊ है। यहां मक्का, धान, गेहूं जैसी फसलें होती हैं। मखाना की खेती रोजगार का प्रमुख साधन है। 


2008 के परिसीमन में सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में महिषी सामुदायिक विकास खंड, सलखुआ सामुदायिक विकास खंड और सिमरी बख्तियारपुर सामुदायिक विकास खंड की नहरवार, सिरवार, घोघेपुर, राजनपुर, झारा, महिषी दक्षिण, महिषी उत्तर और ऐना ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। लोकसभा में यह सीट खगड़िया संसदीय सीट का हिस्सा है। 

 

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मौजूदा समीकरण

सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा की आबादी ग्रामीण है। 2020 के चुनावी आकंड़ों के मुताबिक यहां कुल 3,19,702 मतदाता हैं। 20.4% मुस्लिम वोटर्स का यहां दबदबा है। करीब 16.3 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। यादव और मुस्लिम मतदाता किसी भी नैया डुबोने और पार लगाने की ताकत रखते हैं। अगर अनुसूचित जाति के वोटर्स की बात करें तो इनकी संख्या लगभग 18.42 फीसदी है। लोकसभा चुनाव में सिमरी बख्तियारपुर में एनडीए को जनता का साथ मिला। मगर विधानसभा चुनाव के समीकरण अलग होते हैं। सबकी निगाह इस सीट को जीतने पर टिकी है।

2020 चुनाव का परिणाम

कुल 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। आरजेडी ने यूसुफ सलाहुद्दीन को अपना प्रत्याशी बनाया। उनका सामना विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश साहनी से था। मुकेश को कुल 73,925 वोट मिले। यूसुफ को कुल 75,684    वोट मिले। मुकेश साहनी को महज 1,759 मतों से हार का सामना करना पड़ा। इन दोनों के अलावा कोई भी उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया। 

मौजूदा विधायक का परिचय

सिमरी बख्तियारपुर से मौजूदा विधायक यूसुफ सलाहुद्दीन का संबंध नवाब खानदान से है। उनके पिता महबूब अली कैसर सांसद रह चुके हैं। उनके दादा चौधरी सलाहुद्दीन बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक विधायक यूसुफ सलाहुद्दीन के पास 13 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। कोई कर्जा नहीं है। उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज है। अगर पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने पुणे स्थित सिम्बायोसिस सोसाइटी आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज से बी. कॉम की पढ़ाई की है।

 

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विधानसभा सीट का इतिहास

सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा का गठन साल 1951 में हुआ था। पहला चुनाव 1952 में हुआ। पहले परिसीमन आयोग के बाद यह सीट खत्म कर दी गई। 1967 में दूसरे परिसीमन आयोग के बाद दोबारा अस्तित्व में आई। 1969 के बाद से सिमरी बख्तियापुर में लगातार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। सिमरी बख्तियारपुर में अब तक दो उपचुनाव समेत कुल 18 चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस को सबसे अधिक 10 बार जीत मिली। जनता दल और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीत मिली। जेडीयू ने चार बार जीत का परचम फहराया। 2019 के उपचुनाव और 2020 के चुनाव में आरजेडी को जीत मिली।

 

सिमरी बख्तियारपुर: कब-कौन जीता
वर्ष विजेता दल
1952 जियालाल मंडल कांग्रेस
1957 मोहम्मद सलाउद्दीन   कांग्रेस
1962 मोहम्मद सलाउद्दीन कांग्रेस
1969 राम चंद्र प्रसाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1972 मोहम्मद सलाहुद्दीन कांग्रेस
1977 मोहम्मद सलाहुद्दीन   कांग्रेस
1980 मोहम्मद सलाहुद्दीन कांग्रेस
1985 मोहम्मद सलाहुद्दीन कांग्रेस
1990 दिनेश चंद्र यादव जनता दल
1995 महबूब अली कैसर कांग्रेस
2000 महबूब अली कैसर कांग्रेस
2005 (फरवरी) दिनेश चंद्र यादव जेडीयू
2005 (नवंबर) दिनेश चंद्र यादव जेडीयू
2009 (उपचुनाव) महबूब अली कैसर कांग्रेस
2010 अरुण कुमार   जेडीयू
2015 दिनेश चंद्र यादव   जेडीयू
2019 (उपचुनाव) जफर आलम आरजेडी
2020 यूसुफ सलाहुद्दीन आरजेडी