बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए सीट शेयरिंग के तहत चिराग पासवान की पार्टी को 29 सीटें मिलीं। पार्टी ने सभी पर अपने प्रत्याशी भी उतारे। मगर मढ़ौरा सीट पर पार्टी प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन खारिज हो गया। अब पार्टी कुल 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि मढ़ौरा सीट पर निर्दलीय अंकित कुमार का समर्थन जरूर किया है। पार्टी जिन 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, पिछले चुनाव में इनमें से किसी एक पर भी वह नहीं जीती थी।
अधिकांश वही सीटें एलजेपी (आर) के खाते में आईं हैं, जहां बीजेपी और जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इन 28 विधानसभा सीटों पर एलजेपी प्रत्याशियों की कठिन परीक्षा है। पिछले चुनाव में एलजेपी सिर्फ मटिहानी विधानसभा सीट पर जीती थी, अबकी यहां जेडीयू ने अपना प्रत्याशी उतारा है।
2020 के चुनाव में 10 सीटों पर एलजेपी प्रत्याशी रनर-अप थे। इनमें से सिर्फ तीन सीटें ही इस बार उसके हिस्से आई हैं। ब्रह्मपुर, कस्बा और ओबरा। चिराग पासवान ने बीजेपी के दो नेताओं को भी टिकट देकर समयोजित करने की कोशिश की। बोचहा से एलजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी पहले बीजेपी में थी। वहीं चेनारी से मौजूदा विधायक मुरारी प्रसाद गौतम कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे। आइये समझते हैं उन 28 सीटों का सियासी समीकरण, जहां चिराग पासवान की पार्टी मैदान में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां क्या हुआ था, किसका पलड़ा कितना भारी रहा?
सिमरी बख्तियारपुर: इस विधानसभा सीट पर चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की अग्निपरीक्षा है। पिछले चुनाव में एनडीए गठबंधन के तहत यहां से विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी चुनाव लड़े। उन्हें आरजेडी प्रत्याशी यूसुफ सलाहुद्दीन के हाथों 1,759 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। अबकी बार आरजेडी और मुकेश सहनी की पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रही है। एलजेपी ने जहां संजय कुमार सिंह को टिकट दिया तो वहीं आरजेडी ने मौजूदा विधायक यूसुफ सलाहुद्दीन पर भरोसा जताया है। आरजेडी और सहनी के साथ आने से चिराग पासवानी की पार्टी की यहां राह आसान नहीं दिख रही है।
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दरौली विधानसभा: सिवान जिले की दरौली विधानसभा सीट पर एलजेपी ने विष्णु देव पासवान को उतारा है। पिछले चुनाव में यहां से बीजेपी लड़ी थी। बीजेपी के रामायण मांझी को भाकपा (माले) के प्रत्याशी सत्यदेव राम ने 12,119 मतों के अंतर से हराया था। यही सीट वामपंथ का गढ़ है। बीजेपी आज तक नहीं जीता है। यही वजह है कि इस सीट को उसने चिराग के खाते में डाल दिया है। मगर एलजेपी की डगर मुश्किलों भरी है। सत्यदेव राम इस बार भी मैदान में है।
गरखा विधानसभा: यहां बीजेपी सिर्फ दो बार ही चुनाव जीती है। पिछले चुनाव में भी उसे 9,937 मतों के अंतर से आरजेडी के सुरेंद्र राम ने हराया था। अपनी हारी सीट बीजेपी ने चिराग को दे दी। उन्होंने सीमांत मृणाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। उनका सामना मौजूदा विधायक सुरेंद्र राम से होगा।
साहेबपुर कमाल: पिछले चुनाव में आरजेडी ने 14,225 मतों से चुनाव जीता था। जेडीयू प्रत्याशी शशिकांत कुमार को 50,663 वोट मिले थे। वहीं आरजेडी के सतानंद संबुद्ध को 64,888 मत मिले थे। जेडीयू की हार में एलजेपी की भूमिका अहम थी। उसे कुल 22,871 वोट मिले थे। जेडीयू ने यह सीट चिराग पासवान के खाते में दी है। आरजेडी के सतानंद संबुद्ध के सामने एलजेपी (आर) ने दूसरी बार सुरेंद्र कुमार को उतारा है। सुरेंद्र के सामने हारी हुई बाजी को पलटने की चुनौती है।
परबत्ता विधानसभा: 2020 में जेडीयू को महज 951 से जीत मिली थी। सांसें थमा देने वाले मुकाबले में आरजेडी नेता दिगंबर प्रसाद तिवारी को कुल 76,275 वोट मिले थे। जेडीयू के संजीव कुमार को 77,226 मत मिले थे। अबकी बार आरजेडी ने मौजूदा विधायक और जेडीयू नेता रहे संजीव कुमार को अपनी टिकट पर उतारा है। ऐसे में पिछले चुनाव में महज 11,576 वोट पाने वाली एलजेपी (आर) के सामने जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है। चिराग पासवान ने बाबूलाल शोर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है।
बखरी विधानसभा: यह पिछले चुनाव में सबसे कम मार्जिन से हार जीत वाली सीट रही है। सीपीआई के सूर्यकांत पासवान ने 777 मतों के अंतर से बीजेपी नेता रामशंकर पासवान को हराया था। यह विधानसभा सीट वामपंथ का गढ़ है। 15 में से 12 चुनाव में सीपीआई को जीत मिली। बीजेपी सिर्फ एक बार 2010 में जीती थी। कठिन चुनावी समीकरण वाली सीट पर एलजेपी (आर) की सबसे बड़ी परीक्षा है। सूर्यकांत पासवान का एलजेपी (आर) के संजय कुमार से मुकाबला है।
नाथनगर विधानसभा: 2020 में एलजेपी को यहा सिर्फ 14,715 वोट मिले थे।अबकी चुनाव में सहयोगी जेडीयू को 71,076 मत मिले थे। आरजेडी के अली अशरफ सिद्दीकी ने 7,756 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। चिराग की पार्टी ने मिथुन कुमार को उतारा है। आरजेडी ने मौजूदा विधायक की जगह शेख जियाउल हसन को टिकट दिया है। अब एलजेपी (आर) के सामने अपने वोट बैंक को आरजेडी के बराबर ले जाने की चुनौती है।
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पालीगंज विधानसभा: भाकपा माले के संदीप सौरव ने पिछले चुनाव में 67,917 वोट झटके थे। उनके सामने उतरे जेडीयू प्रत्याशी जय वर्धन यादव को सिर्फ 37,002 वोट मिले थे। हार जीत का अंतर 30,915 यानी 20.2 फीसद वोट का था। एलजेपी प्रत्याशी ऊषा विद्यार्थी को सिर्फ 16,102 वोट मिले थे। अबकी बार एलजेपी (आर) ने सुनील कुमार को संदीप सौरव के सामने उतारा है।
ब्रह्मपुर विधानसभा: आरजेडी के शंभूनाथ यादव ने पिछले चुनाव में 51,141 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। दूसरे स्थान पर एलजेपी के हुलास पांडे थे। मगर उन्हें 21.3 फीसद यानी 39,035 वोट मिले थे। एनडीए के तहत लड़ने वाली विकासशील इंसान पार्टी ने 30,482 वोट काटे थे। अगर इन वोट को मिला भी दिया जाए तो आरजेडी की जीत तब भी प्रचंड है। अबकी चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी के सामने इसी खाई को पाटने की सबसे बड़ी चुनौती है। दूसरी बार हुलास पांडे पर भरोसा जताया गया है। उनके सामने आरजेडी के शंभूनाथ यादव हैं।
डेहरी विधानसभा: यहां बीजेपी सिर्फ एक बार साल 2019 में उपचुनाव जीती थी। पिछले चुनाव में पार्टी प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह को 464 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। आरजेडी प्रत्याशी फते बहादुर को कुल 64,567 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के सत्यनारायण को 64,103 मत मिले। जब बीजेपी जैसी पार्टी को डेहरी में एक जीत हासिल करने में दशकों लग गए, वैसे में चिराग पासवान की पार्टी के सामने उससे भी बड़ी चुनौती है। इस बार आरजेडी के गुड्डू कुमार चंद्रवंशी का सामना एलजेपी (आर) के राजीव रंजन सिंह के होगा।
बलरामपुर विधानसभा: यहां तीन चुनाव हुए हैं। दो बार वामदलों को सफलता मिली। यही वजह है कि पिछले चुनाव में एनडीए से कोई मजबूत दल मैदान में नहीं उतरा। भाकपा (माले) के महबूब आलम को कुल 104,489 वोट मिले। उनका मुकाबला विकासशील इंसान पार्टी के बरुण कुमार झा से था। झा को सिर्फ 50,892 वोट मिले। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी की प्रत्याशी संगीता देवी 10 हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाईं। एलजेपी ने संगीता देवी पर दूसरी बार भरोसा जताया है।
मखदुमपुर विधानसभा: एनडीए की सीट शेयरिंग में मखदुमपुर चिराग के खाते में आई है। उन्होंने रानी कुमारी को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में जीतनराम मांझी की पार्टी एनडीए के तहत यहां से चुनाव मैदान में थी। उसे 49,006 वोट मिले थे। आरजेडी के सतीश कुमार को 71,571 मत मिले थे। मांझी की पार्टी को 22,565 वोट से हार मिली थी।इस चुनाव में एलजेपी (आर) के सामने मुश्किल इस 22 हजार मतों के अंतर को पाटने का है।
ओबरा विधानसभा: अन्य विधानसभा की तुलना में यहां एलजेपी की पकड़ मजबूत है। पिछले चुनाव में पार्टी को भले ही 22,668 मतों से हार का मुख देखना पड़ा हो लेकिन वह जेडीयू से अधिक वोट हासिल करने में कामयाब रही है। आरजेडी के ऋषि कुमार को कुल 63,662, एलजेपी प्रत्याशी प्रकाश चंद्रा को 40,994 और जेडीयू के सुनील कुमार को 25,234 वोट मिले थे। इस चुनाव में एलजेपी (आर) ने प्रकाश चंद्रा को ऋषि कुमार के सामने दोबारा उतारा है। उनके सामने सबसे बड़ा टास्क जेडीयू के वोटर्स को अपनी तरफ कन्वर्ट करना है।
सुगौली विधानसभा: पिछले चुनाव में आरजेडी के शशिभूषण सिंह ने 3,447 मतों से जीत हासिल की थी। प्रतिद्वंदी विकासशील इंसान पार्टी को 61,820 वोट मिले थे। एलजेपी के विजय प्रसाद गुप्ता को सिर्फ 14,188 वोट मिले थे। मतलब शशिभूषण से पांच गुना कम। अबकी आरजेडी और विकासशील इंसान पार्टी मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी की। शशिभूषण को विकासशील इंसान पार्टी का टिकट मिला लेकिन नामांकन रद्द हो गया। ऐसे में अब यहां एलजेपी (आर) प्रत्याशी राजेश कुमार की राह आसान दिख रही है।
बेलसंड विधानसभा: पिछले चुनाव में एलजेपी को सिर्फ 10,687 वोट मिले थे। अबकी बार पार्टी ने अमित कुमार को मौका दिया है। उनका सामना मौजूदा आरजेडी विधायक संजय कुमार गुप्ता से होगा। 2020 विधानसभा चुनाव में संजय को कुल 49,682 वोट मिले थे। जेडीयू नेता सुनीता सिंह चौहान को 35,997 मत मिले थे। एलजेपी (आर) ने दूसरी बार अमित कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। उनके सामने जेडीयू को मिले वोट को अपनी तरफ लाने की चुनौती है।
मढ़ौरा विधानसभा: 2020 चुनाव में एलजेपी को यहां सिर्फ 4.4 फीसद यानी 6,550 वोट मिले थे। आरजेडी प्रत्याशी जितेंद्र कुमार राय ने 11,385 मतों के अंतर से जेडीयू के अल्ताफ आलम को हराया था। इस बार यह सीट एनडीए सीट शेयरिंग के तहत चिराग पासवान के हिस्से में आई है। मगर मतदान से पहले पार्टी जीत की रेस से बाहर हो गई। एलजेपी (आर) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन ही चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है।
शेरघाटी विधानसभा: पिछले चुनाव में आरजेडी की मंजू अग्रवाल ने 16,690 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। 45,114 वोट के साथ जेडीयू प्रत्याशी विनोद प्रसाद यादव दूसरे स्थान पर थे। एलजेपी को 14.4 फीसद यानी 24,107 वोट मिले थे। एलजेपी (आर) ने अबकी बार उदय कुमार सिंह को टिकट दिया है। मगर वह इतनी बड़ी खाई कैसे पटेंगे, यह आने वाला समय बताएगा। उनका सामना आरजेडी के प्रमोद कुमार वर्मा से है।
गोबिंदगंज विधानसभा: पिछली बार यहां से बीजेपी के सुनील मणि तिवारी ने 27,924 मतों के अंतर से इलेक्शन अपने नाम किया था। कांग्रेस प्रत्याशी ब्रजेश कुमार को कुल 37,620 वोट मिले थे। एलजेपी ने अपना प्रत्याशी उतारा था। उसे 31,300 मत मिले थे। अबकी बार भी एलजेपी (आर) ने पिछले प्रत्याशी राजू तिवारी पर भरोसा जताया है। आंकड़े के लिहाज से यहां एलजेपी मजबूत दिख रही है। राजू तिवारी का मुकाबला कांग्रेस के शशि भूषण से है।
बोधगया विधानसभा: 2020 में बीजेपी को यहां आरजेडी के हाथों हार खानी पड़ी थी। 80,926 वोट हासिल करने वाले आरजेडी नेता कुमार सर्वजीत ने 4,708 मतों से चुनाव जीता था। बीजेपी की हरी मांझी को 76,218 वोट मिले थे। बीजेपी की हारी हुई यह सीट अब चिराग के हिस्से में है। उन्होंने घनश्याम पासवान पर दांव लगाया है। आरजेडी से विधायक कुमार सर्वजीत मैदान में है।
रजौली विधानसभा: पांच साल पहले आरजेडी ने बीजेपी को बड़े अंतर से हराया था। अबकी बार यह सीट गठबंधन के तहत चिराग पासवान के खाते में आई है। उन्होंने विमल राजवंशी को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में आरजेडी को जहां 69,984 तो 57,391 वोट मिले थे। यहां एलजेपी के सामने बड़ी चुनौती है। अगर बीजेपी का पूरा वोट उसकी तरफ शिफ्ट होता है तो ही पार्टी कुछ करिश्मा दिखा सकती है। आरजेडी से पिंकी भारती चुनाव लड़ रही हैं।
गोबिंदपुर विधानसभा: पिछले चुनाव में आरजेडी को 50.7 फीसद वोट मिले। उसकी प्रतिद्वंद्वी जेडीयू को सिर्फ 29.6 फीसद। मतलब दोनों के बीच अंतर 20 फीसद से अधिक का था। लोक जनशक्ति पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी उतारा था। उसे 10.3 फीसद यानी 16,111 वोट मिले थे। अबकी बार जेडीयू ने यह सीट एलजेपी को दे दी है। पिछले चुनाव में आरजेडी ने 33,074 मतों के अंतर से चुनाव जीता था। अबकी बार एलजेपी (आर) की प्रत्याशी बिनीता मेहता यह अंतर कैसे मिटाएंगी, यह बड़ी चुनौती है।
बोचहा विधानसभा: पिछली बार एलजेपी को सिर्फ 4.6 फीसद वोट मिले थे। एनडीए गठबंधन के तहत विकासशील इंसान पार्टी के प्रत्याशी मुसाफिर पासवान 11,268 मतों से चुनाव जीते थे। 66,569 मतों के साथ आरजेडी के रमई राम दूसरे स्थान पर थे। अब विकासशील इंसान पार्टी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में एलेजपी (आर) की प्रत्याशी बेबी कुमारी के सामने बड़ी चुनौती है। उनके सामने अबकी बार आरजेडी ने अमर कुमार पासवान को उतारा है।
बख्तियारपुर विधानसभा: पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां आरजेडी के मुकाबले 12.3% फीसद कम वोट मिले थे। उसके प्रत्याशी रणविजय सिंह को 20,672 मतों से पराजय मिली थी। आरजेडी के अनिरूद्ध कुमार को 53.3 फीसद यानी कुल 89,483 वोट मिले थे। 20 हजार से अधिक मतों से हारने वाली बीजेपी ने यह सीट एलजेपी (आर) को दे दी है। चिराग पासवान ने अरुण कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला मौजूदा विधायक अनिरूद्ध कुमार से है।
फतुहा विधानसभा: 2020 में बीजेपी को 19,370 वोट से हार मिली थी। अबक यह सीट एलजेपी (आर) के खाते में है। उसने रूपा कुमारी को टिकट दिया है। पिछले तीन चुनाव से यहां आरजेडी का दबदबा है। ऐसे में रूपा कुमारी के सामने इस दबदबे को तोड़ने ती चुनौती है।
बहादुरगंज विधानसभा: पिछले चुनाव में ओवैसी की पार्टी से मोहम्मद अंजार नईमी ने जीत हासिल की थी। उन्हें 51.2% (85,855) वोट मिले। दूसरे नंबर विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित थे। उन्हें 40,640 मत मिले थे। हार जीत का अंतर 45,215 मतों का था। अबकी बार एनडीए सीट शेयरिंग के तहत मो. कलीमुद्दीन पर दांव खेला है। उनका सामना कांग्रेस के मोहम्मद मसावर आलम और एआईएमआईएम के मोहम्मद तौसीफ आलम से होगा।
महुआ विधानसभा: इस चुनाव में एलजेपी (आर) ने संजय कुमार सिंह को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन ने 13,687 मतों से चुनाव जीता था। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव जनशक्ति जनता दल से चुनाव मैदान में उतरे हैं। उधर, आरजेडी ने मुकेश कुमार पर एक बार फिर भरोसा जताया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी को महुआ में 14.8 फीसद वोट मिला था। इस लिहाज से पार्टी की राह यहां आसान नहीं दिख रही है।
चेनारी विधानसभा: कांग्रेस नेता मुरारी प्रसाद गौतम ने पिछले चुनाव में 18,003 मतों से जेडीयू के ललन पासवान को हराया। अबकी यह सीट एलजेपी (आर) के खाते में आ गई। चिराग पासवान ने कांग्रेस से मौजूदा विधायक मुरारी प्रसाद गौतम को उतारा है। कांग्रेस ने मगंल राम को टिकट दिया है। यहां एलजेपी (आर) प्रत्याशी के सामने 18,003 मतों की खाई को पाटने की चुनौती है। 2020 में चेनारी सीट पर एलजेपी को महज 18,074 वोट मिले थे।
मनेर विधानसभा: यहां से आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र की हाल ही में खूब चर्चा हुई। ऑडियो वायरल हुआ तो विपक्षियों ने निशाना साधा। लेकिन पार्टी ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया है। एनडीए गठबंधन के तहत एलजेपी (आर) ने उनके सामने जितेंद्र यादव पर दांव खेला है। पिछले चुनाव में भाई वीरेंद्र ने 32,917 मतों के अंतर से विधायकी जीती थी। बीजेपी के निखिल आनंद को सिर्फ 61,306 ही वोट मिले थे।
कस्बा विधानसभा: कांग्रेस के मोहम्मद अफाक आलम यहां से विधायक हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने 17,278 मतों से जीत हासिल की थी। एलजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार दास को 60,132 वोट मिले थे। अबकी बार पार्टी ने उनकी जगह नितेश कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने इरफान आलम को टिकट दिया। वही मौजूदा विधायक अफाक आलम जन सुराज से मैदान में हैं।
