World AIDS Day: एड्स एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो दुनिया भर में तेजी से अपना पैर पसरा रही है। इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है। इस ला इलाज बीमारी से बचने के लिए आपका जागरूक होना जरूरी है। हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। खासतौर पर इस दिन लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं इस बीमारी के क्या लक्षण है। इससे किस प्रकार से बचा जा सकता हैं।

 

वर्ल्ड एड्स डे का महत्व

 

साल 1988 में पहली बार वर्ल्ड एड्स डे मनाया गया। इस बार के वर्ल्ड एड्स डे 2024 की थीम 'टेक द राइट पाथ: माइ हेल्थ, माइ राइट' है। वर्ल्ड एड्स डे के दिन डॉक्टर्स इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कैंपेन चलाते हैं। इतना ही नहीं इससे जुड़े मिथकों के बारे में जानकारी देते हैं। इसी के साथ बताते हैं इस जानलेवा बीमारी से कैसे बच सकते हैं। 


आइए जानते हैं क्या होता है एड्स?

 

एड्स एचआईवी (HIV) संक्रमण का तीसरा स्टेज है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों में व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) की संख्या कम हो जाती है। इसकी वजह से इम्यूनिटी गंभीर रूप से प्रभावित होती है। हमें कोई भी बीमारी जल्दी से हो जाती है और उसका इलाज मुश्किल हो जाता है। अगर एचाईवी से संक्रमित व्यक्ति को 10 साल तक इलाज नहीं मिलता है तो वो एड्स में बदल जाता है।

 

कब आया था एड्स का पहला केस

 

1981 में अमेरिका के यंग गे पुरुषों में निमोनिया और कैंसर के केस ज्यादा देखने को मिले थे। इस बीमारी को शुरुआत में Gay-Related Immune Deficiency (GRID) कहा गया था क्योंकि ये सिर्फ गे आदमियों में होता था। इस बीमारी का नाम में बदलकर एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) रखा गया। 1982 के मार्च महीने में कनाडा में पहला एड्स का केस सामने आया था। ये समझ में आया कि ये बीमारी सेक्सुअल ट्रांसमिशन की वजह से होती है और ये एचआईवी का कारण है। 1983 में पाया गया कि अन प्रोटेक्टेड सेक्स की वजह से महिलाएं संक्रमित हो रही हैं। 1985 में पहला अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन अमेरिका के जॉर्जिया में आयोजित हुआ।1986 में पता चला कि स्तनपान की वजह से एड्स मां से बच्चों में फैलता है।

 

ए़ड्स से रोकथाम के लिए सरकार की योजना

 

साल 1992 में भारत सरकार ने नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोगाम (NACP) के पहले चरण की शुरुआत की थी। केंद्र सरकार पांच साल के हिसाब से एनएसीपी को बजट देता है। अब तक एनएसीपी के चार चरण पूरे हो गए। पांचवें चरण के लिए सरकार ने 15471.94 करोड़ का बजट आवंटित किया था। एनएसीपी का पांचवां चरण 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक के लिए है। 

 

2022 में एचआईवी केस में आई इतने प्रतिशत की गिरावट

 

साल 2022 में सरकार ने बताया था, भारत में वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण में 48% की गिरावट आई है जबकि वैश्विक औसत में 31% की गिरावट दर्ज की गई है। भारत में वार्षिक एड्स से संबंधित मौतों में 82 % की गिरावट आई है जबिक वैश्विक औसत से सिर्फ 42% की गिरावट दर्ज की गई है। (2010 को आधारभूत वर्ष माना गया है)

 

2014 के बाद एनएसीपी को सफल बनाने में टेस्ट एंड ट्रीट पॉलिसी, यूनिवर्सल वायरल लोड टेस्टिंग, मिशन संपर्क, कम्युनिटी बेस्ड स्क्रीनिंग जैसे कई चीजों ने अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा 2017 में HIV/AIDS Prevention and Control Act लाया गया था।

 

इन 5 राज्यों में सबसे ज्यादा एचआईवी से संक्रमित लोग

 

2024 के डेटा के अनुसार, महाराष्ट्र में (2,39,797) आंध्र प्रदेश (2,22,338), कर्नाटक (1,89,680), तमिल नाडू (1,32, 301), उत्तर प्रदेश (1,16, 357) में इतने लोग एचआईवी से संक्रमित हैं।

 

क्या होता है एचआईवी

 

एचआईवी एक वायरस है जो हमारी इम्यूनिटी को कमजोर कर देता है। इस वायरस का नाम है ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम है। ये हमारे इम्यून सिस्टम में मौजूद टी सेल्स को कमजोर कर देता है जिसकी वजह से हम छोटी-छोटी बीमारियों से भी लड़ने में असमर्थ हो जाते हैं। इसी स्थिति को एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम यानी AIDS कहते हैं।
 
एचआईवी के लक्षण क्या हैं

 

शुरुआत में एचआईवी के लक्षण फ्लू वाले होते हैं जैसे ठंड लगना, बुखार, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गला खराब होना, रात में पसीना आना, मुंह में छाले, शरीर में सूजन के साथ लाल चकत्ते होना है। एक महीने बाद एचआईवी क्लिनिक्ल लेंटेंसी स्टेज में पहुंचता है। इसे एचआईवी का दूसरा स्टेज कहते हैं। 

 

एक महीने बाद ऐसे लक्षण दिखते हैं- करीब एक महीने के बाद कुछ और लक्षण नजर आते हैं जैसे सिर और शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द, थकान होना, बार-बार बुखार आना, जी मिचलाना, दस्त, उल्टियां, वजन घटना, निमोनिया, गले में सूजन, बार-बार मुंह या वेजाइना में फंगस इंफेक्शन होना। ज्यादातर लोगों को दूसरे स्टेज में भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। तीसरे और आखिरी स्टेज में इस बीमारी का पता चलता है।

 

एचआईवी कैसे फैलता है

 

-अन प्रोटेक्टेड सेक्स से सबसे ज्यादा एचआईवी का संक्रमण फैलता है
-टैटू में इस्तेमाल होने वाली निडिल को बिना स्टेरलाइज यूज करने से।
- नशे या इलाज में इंजेक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले निडिल से।
-एचआईवी संक्रमित मां से बच्चों को स्तनपान कराने से होता है।

 

इस बीमारी से बचने के उपाय

 

-आप अपना एचआईवी टेस्ट करवाएं
- असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं, कंडोम का इस्तेमाल करें।
- किसी भी निडिल को फिर से इस्तेमाल ना करें।
- नाई की दुकान में नया ब्लेड इस्तेमाल करने को कहें।
- इंजेक्शन लगवाते समय या ब्लड टेस्ट करवाते समय नया पैकेट खोलकर नई सिरिंज का इस्तेमाल करने को कहें।
- टैटू बनवाते समय जो निडल यूज हो रही है वो बिल्कुल नई होनी चाहिए।
- सेक्शुलअली ट्रांसमिटेड बीमारियों का परीक्षण और इलाज करवाएं।