अमेरिकी सरकार की तरफ से एक बार फिर से कठोर कदम उठाया गया है। अमेरिका के एक विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह घोषणा की है कि अमेरिका, ईरान के चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंधों से अपनी छूट वापस ले रहा है। इस फैसले से भारत को 2018 में दी गई विशेष छूट 10 दिनों के अंदर खत्म हो जाएगी। 

 

अमेरिका ने यह कदम ईरान के साथ तेल व्यापार में शामिल कई संस्थाओं को प्रतिबंधित करने के साथ ज्यादा दबाव डालने के लिए उठाया है। यह फैसला चाबहार पोर्ट पर शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल को भारत के लिए एक वैकल्पिक बाजार के रास्ते के रूप में विकसित करने की योजना को प्रभावित करेगा। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस फैसले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। भारत पर इसका क्या असर होगा, यह समझने की कोशिश करते हैं...

चाबहार पोर्ट से छूट वापस लेने का भारत पर असर

चाबहार पोर्ट भारत के लिए बहुत अहम है क्योंकि यह पाकिस्तान को बिना शामिल किए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक व्यापार और कनेक्शन का रास्ता देता है। इस छूट के रद्द होने से भारत का यह रणनीतिक रास्ता बाधित हो सकता है, जिससे अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है।

 

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भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास में काफी निवेश किया है। 2024 में भारत ने 10 साल के लिए पोर्ट के एक टर्मिनल के ऑपरेशन का समझौता किया था। प्रतिबंधों के कारण अब इस निवेश पर जोखिम बढ़ सकता है। पोर्ट के संचालन में रुकावटें आ सकती हैं, जिससे भारत को आर्थिक नुकसान हो सकता है। चाबहार पोर्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के पास है, जिसे चीन विकसित कर रहा है। चाबहार पर प्रतिबंधों से भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है। क्षेत्रीय प्रभाव में पाकिस्तान और चीन को इसका सीधा फायदा मिलेगा।

 

प्रतिबंध लागू होने के बाद चाबहार पोर्ट से जुड़ी गतिविधियों में शामिल कंपनियां, जैसे भारत की इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL), अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर सकती हैं। इससे भारत के लिए अपने प्रोजेक्ट को जारी रखना जोखिम भरा हो सकता है।

 

चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिरता के लिए भी जरूरी था। प्रतिबंधों से अफगानिस्तान को भारत की ओर से मिलने वाली सहायता में कमी हो सकती है। उदाहरण के लिए, 2023 में भारत ने चाबहार के माध्यम से अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं और 2021 में कोविड के दौरान दवाइयां और टीके भेजे।

 

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चाबहार पोर्ट

चाबहार पोर्ट (बंदर-ए-चाबहार) ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी पर स्थित एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है। यह ईरान का एकमात्र बंदरगाह है, जो बड़े जहाजों को संभाल सकता है। यह दो मुख्य टर्मिनलों, शहीद कलंतरी और शहीद बहश्ती से मिलकर बना है, जिनमें कुल 10 बर्थ हैं। बंदरगाह 480 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसका ऑपरेशन आर्या बनादर ईरानी और भारत की इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (IPGPL) दोनों मिलकर करते हैं।

भारत के आगामी प्रोजेक्ट

  • भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर का कर्ज और 85 मिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है
  • भारत ने चाबहार-हाजीगाक रेलवे और अन्य प्रोजेक्ट के जरिए 21 अरब डॉलर की परियोजनाओं में निवेश की योजना बनाई है
  • चाबहार को 2026 तक ईरानी रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे व्यापार और ट्रांसपोर्ट में और सुधार होगा