अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर कही गई बातों पर अमल करना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को घोषित टैरिफ के पहले सेट में अमेरिका ने मैक्सिको और कनाडा पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की। हालांकि इसमें भारत को बाहर रखा गया है। इसके पीछे 'उच्च व्यापार घाटे' का हवाला दिया गया है।

 

रिसर्च एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम की रिपोर्ट के मुताबिक ये तीन देश अमेरिका के व्यापार घाटे में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं। चीन का अमेरिका के साथ 30.2 प्रतिशत, मेक्सिको का 19 प्रतिशत और कनाडा का 14 प्रतिशत का व्यापार घाटा है.

किससे कितना घाटा

एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने कहा, 'इन तीनों के साथ हमारा घाटा बहुत ज़्यादा है। और एक मामले में, वे भारी मात्रा में फेंटेनाइल भेज रहे हैं, जिससे हर साल सैकड़ों हज़ार लोग फेंटेनाइल से मर रहे हैं। और दूसरे दो मामलों में, वे इस ज़हर को देश के अंदर आने में मददगार साबित हो रहे हैं। कनाडा के साथ हमारा घाटा लगभग 200 बिलियन डॉलर है... और मेक्सिको के साथ 250 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा है'

क्या है भारत की नीति

शुक्रवार को जारी आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की आयात शुल्क नीति समय के साथ आगे बढ़ी है,  जिससे घरेलू उद्देश्यों और वैश्विक आर्थिक एकीकरण की आवश्यकता के बीच प्रभावी संतुलन बना हुआ है।

 

सर्वेक्षण में कहा गया है, 'हर सेक्टर के अनुसार टैरिफ अलग-अलग होते हैं, जिसमें संवेदनशील सेक्टर को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना और महत्वपूर्ण कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं तक पहुंच की अनुमति देना शामिल है। भारत ने सुनिश्चित किया है कि टैरिफ नीतियां WTO के नियमों और रेग्युलेशन के अनुरूप हों। समय के साथ, टैरिफ को और अधिक तर्कसंगत बनाने और उलटे टैरिफ ड्यूटी की समस्या को हल करने के लिए प्रयास किए गए हैं।'

क्या कहती है रिपोर्ट

पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स ने 17 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए 10 प्रतिशत टैरिफ के बाद चीन जवाबी कार्रवाई करता है तो इसके परिणामस्वरूप चार वर्षों में अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद में 55 बिलियन डॉलर की कमी आएगी, तथा चीन को 128 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।

 

रिपोर्ट में कहा गया है 'अमेरिका में मुद्रास्फीति में 20 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि होगी, और शुरुआती गिरावट के बाद चीन में 30 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि होगी। चीन में मुद्रास्फीति में शुरुआती गिरावट चीनी मुद्रा के अवमूल्यन की भरपाई के उद्देश्य से चीनी मौद्रिक नीति में अस्थायी कड़ाई के कारण हुई है।'

भारत बाहर क्यों

एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक तो भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा ज्यादा नहीं है और दूसरा भूरणनीतिक तौर पर देखें तो एशिया में चीन और भारत दोनों को एक साथ नाराज़ करना अच्छा नहीं होगा। इसलिए अमेरिका ने फिलहाल भारत को इससे बाहर रखने का फैसला लिया होगा।

 

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