बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच नेशनल सिटीज़न्स पार्टी (NCP) के वरिष्ठ मजदूर संगठन नेता मोहम्मद मोतालेब शिकदार को गोली मार दी गई। 42 वर्षीय मोतालेब शिकदार पर खुलना शहर के सोनाडांगा इलाके में एक घर के अंदर स्थानीय समय के अनुसार सुबह करीब 11:45 बजे हमला हुआ। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है। इससे पहले 'जुलाई विद्रोह' के प्रमुख नेता शरीफ उस्मान हादी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद ढाका में हिंसा भड़क उठी और कई इलाकों में इमारतों में आग लगा दी गई।
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावरों ने खुलना में मोतालेब शिकदार के सिर में गोली मारी। अखबार ने सोनाडांगा मॉडल पुलिस स्टेशन के अधिकारी अनिमेष मंडल के हवाले से बताया कि सुबह करीब 11:45 बजे बदमाशों ने उन पर गोली चलाई, जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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फेसबुक पोस्ट कर दी गई जानकारी
NCP की खुलना मेट्रोपॉलिटन यूनिट के आयोजक सैफ नवाज ने सबसे पहले इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। मोहम्मद पार्टी के लेबर विंग के केंद्रीय आयोजक हैं और खुलना डिवीजन के संयोजक के रूप में भी काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मोतालेब शिकदार आने वाले दिनों में खुलना में होने वाली डिवीजनल लेबर रैली की तैयारियों में सक्रिय रूप से लगे हुए थे।
पार्टी नेता डॉ. महमूद मितु ने घायल नेता की एक तस्वीर फेसबुक पर शेयर की। पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'NCP के खुलना डिवीजनल प्रमुख और पार्टी के लेबर विंग के केंद्रीय आयोजक मोतालेब शिकदार को कुछ देर पहले गोली मार दी गई। गंभीर हालत में उन्हें खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया है।'
अस्पताल में चल रहा इलाज
अनिमेष मंडल ने अखबार से बातचीत में घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि सोनाडांगा इलाके में गाजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीछे स्थित एक घर के अंदर अज्ञात हमलावरों ने शिकदार को गोली मार दी। गोली लगने के बाद स्थानीय लोग उन्हें तुरंत खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए। पुलिस के अनुसार, बाद में सिर का सीटी स्कैन कराने के लिए उन्हें एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में भर्ती कराया गया।
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12 दिसंबर को छात्र नेता उस्मान हादी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वह जुलाई 2024 में हुए विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक थे। हादी भारत और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कड़े आलोचक के रूप में जाने जाते थे। उनकी हत्या के बाद बांग्लादेश में हालात और बिगड़ गए हैं। कई जगहों पर हिंसा भड़क उठी है, जहां भीड़ ने द डेली स्टार और प्रोथोम आलो जैसे मीडिया संस्थानों के साथ-साथ छायानाट और उदीची जैसे सांस्कृतिक केंद्रों को भी निशाना बनाया। इसके अलावा देश में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं और हिंदू बंगाली गारमेंट वर्कर दीपू चंद्र दास की लिंचिंग ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की है।
