कनाडा में 28 अप्रैल 2025 को होने वाले संघीय चुनाव को लेकर माहौल पूरी तरह गरमा गया है। लेकिन इस बार चर्चा में केवल घरेलू मुद्दे नहीं हैं, बल्कि पड़ोसी देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस चुनावी बहस के केंद्र में आ गए हैं। ट्रंप के विवादित बयानों—जैसे कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात—और उनकी व्यापार, सुरक्षा तथा कूटनीति से जुड़ी नीतियों ने कनाडाई राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।
चुनाव में चार प्रमुख नेता—मार्क कार्नी (लिबरल पार्टी), पियरे पोलीवरे (कंज़र्वेटिव पार्टी), जगमीत सिंह (एनडीपी), और यव-फ्रांस्वा ब्लांशे (ब्लॉक क्वेबेकोइस)—ने ट्रंप पर अपने-अपने रुख को खुलकर सामने रखा है। कोई उन्हें लोकतंत्र और संप्रभुता के लिए खतरा मानता है, तो कोई समझदारी से निपटने की बात करता है।
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ट्रंप की वापसी और अमेरिका की बदलती नीतियों को लेकर कनाडा की जनता में चिंता बढ़ रही है, और यही चिंता अब वोटिंग के फैसलों को भी प्रभावित कर रही है। इसीलिए सभी बड़े नेता अपने बयानों में ट्रंप का जिक्र करना नहीं भूलते या कहें कि डोनाल्ड ट्रंप इस राजनीतिक परिदृश्य में छाए हुए हैं।
‘ट्रंप के खिलाफ एकजुट होना होगा’
बात करें मार्क कार्नी की, जो फिलहाल अंतरिम प्रधानमंत्री भी हैं और पहले बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रह चुके हैं, ट्रंप के सबसे बड़े आलोचक बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा कि यह चुनाव केवल सरकार चुनने का मौका नहीं, बल्कि यह तय करने का समय है कि क्या कनाडा अमेरिका के दबाव में झुकेगा या अपनी आज़ादी बरकरार रखेगा।
चुनावी बहस में उन्होंने कहा, ‘हम खुद को ट्रंप से ज़्यादा दे सकते हैं जितना वह हमसे छीन सकते हैं।’ उन्होंने यह तक कहा कि हमें इस संभावना के लिए तैयार रहना चाहिए कि ट्रंप सच में कनाडा को अमेरिका में मिलाने की कोशिश करें।
‘वह हमारी ज़मीन चाहते हैं, हमारे संसाधन, हमारा पानी और हमारा देश। हमें ट्रंप के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना है—मैं तैयार हूं।’
हालांकि कार्नी ने ये भी माना कि ट्रंप ऐसे लोगों का सम्मान करते हैं जो निजी क्षेत्र और वैश्विक मुद्दों की समझ रखते हैं। उनका रुख साफ है—संघर्ष भी करेंगे और समझदारी से पेश भी आएंगे।
ट्रंप से तुलना होती है पियरे की
वहीं कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे ने ट्रंप से अपनी तुलना को पूरी तरह खारिज किया है। हालांकि उनकी शैली और कुछ नीतियां ट्रंप से मिलती-जुलती हैं, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि वो "MAGA" (Make America Great Again) जैसे विचारों से सहमत नहीं हैं।
पोलीवरे ने ‘कनाडा फर्स्ट’ की नीति अपनाते हुए टैक्स कम करने और तेल-गैस उत्पादन बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘लिबरल पार्टी ने अमेरिका और ट्रंप को हमारे ऊर्जा संसाधनों पर लगभग एकाधिकार दे दिया है, क्योंकि उन्होंने समय पर पाइपलाइन नहीं बनाई।’
उन्होंने कहा, ‘मैं ट्रंप से पूरी तरह अलग हूं। मेरी कहानी अलग है। हालांकि ट्रंप समर्थक एलन मस्क ने पोलीवरे की तारीफ की है, फिर भी पोलीवरे ट्रंप के साथ किसी भी तरह की समानता होने की बात से किनारा करते हुए नजर आते हैं।
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ट्रंप के कड़े आलोचक हैं जगमीत सिंह
एनडीपी नेता जगमीत सिंह की बात करें तो वह डोनाल्ड ट्रंप के सबसे कड़े आलोचक माने जाते हैं। उन्होंने ट्रंप को आने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन से बाहर रखने की मांग की है। सिंह ने कहा, ‘हम क्यों ऐसे व्यक्ति को बुलाएं जो हमारी संप्रभुता और दुनिया की स्थिरता को खतरे में डालता है? क्यों हम एक अपराधी को अपने देश में आने दें?’
बहस के दौरान उन्होंने वोटरों से कहा, ‘मैं आपसे समर्थन मांग रहा हूं ताकि मैं उस कनाडा की रक्षा कर सकूं जिस पर हमें गर्व है।’
सिंह ने ट्रंप की व्यापार नीतियों, खासकर ऑटो सेक्टर पर लगाए गए टैरिफ की निंदा की। उन्होंने कहा कि इससे कनाडा के मज़दूरों की नौकरियां खतरे में हैं और आम परिवारों का खर्च बढ़ रहा है। ‘हम आपकी नौकरी, आपकी आमदनी, आपके घर और आपकी स्वास्थ्य सेवा के लिए पूरी ताकत से लड़ेंगे। हम एक ऐसा कनाडा बनाएंगे जो मध्यम वर्ग और मेहनतकश लोगों को प्राथमिकता देगा।’
ब्लॉक क्वेबेकोइस के नेता यव-फ्रांस्वा ब्लांशे ट्रंप की नीतियों के खिलाफ क्यूबेक की संस्कृति और भाषा की रक्षा करने पर ज़ोर दे रहे हैं। उन्होंने अमेरिका द्वारा क्यूबेक के 'बिल 96' को विदेशी व्यापार रुकावट कहे जाने की आलोचना की है। यह कानून फ्रेंच भाषा को बढ़ावा देता है।
कनाडाई चुनाव में छाए ट्रंप
इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि घरेलू मुद्दों के बजाय अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियां मुख्य बहस का मुद्दा बन गई हैं। चाहे वह व्यापार हो, सीमा सुरक्षा हो, या पर्यावरण समझौत। हर विषय को ट्रंप के बयानों के संदर्भ में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह चुनाव सिर्फ सरकार चुनने का नहीं बल्कि अमेरिका के साथ रिश्तों की दिशा तय करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
‘यह चुनाव यह तय करेगा कि कनाडा एक स्वतंत्र राह चुनेगा या अमेरिका के प्रभाव में उसी की लहर में बह जाएगा।’