2 साल, 11 महीने और 23 दिन। रूस और यूक्रेन की जंग ने तारीखें कई देखी हैं लेकिन युद्ध वीराम नहीं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेंलेंस्की को आज भी उम्मीद है कि डोनाल्ड ट्रम्प, यह जंग खत्म कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्हें लगता है कि संघर्ष रोकने के लिए व्लादिमीर पुतिन पर अगर कोई दबाव डाल सकता है तो वह डोनाल्ड ट्रम्प ही हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जीत के बाद कहा था कि वह 24 घंटे के अंदर रूस और यूक्रेन की जंग रोक देंगे लेकिन यह बयान भी उनका बड़बोलापन ही साबित हुआ है। न जंग थमी, न जंग के हालात बदले।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे के दौरान कहा था कि रूस और यूक्रेन की जंग रोकने में चीन, भारत और अमेरिका जैसे देश मिलकर कुछ कर सकते हैं। दुनिया चाह रही है कि ये जंग थम जाए लेकिन यह जंग थम नहीं रही है। व्लादिमीर पुतिन खुद चाहते हैं कि जंग थम जाए लेकिन जंग थम नहीं रही है।
दोनों देशों के बीच जारी जंग में दुनिया के कई प्रभावशाली देश शामिल हैं। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन(NATO) के देश, यूरोपियन देश, अमेरिका और एशिया के प्रभावशाली देशों के व्यापारिक हित इस जंग को और उलझा रहे हैं। पश्चिम के कई देश खुलकर रूस के खिलाफ हैं, दुनिया खिलाफ है लेकिन रूस ये जंग रोकने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।
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क्यों आखिर फेल हो रही है सारी कवायद?
रूस की सेनाएं यूक्रेन में अपने ऑपरेशन नहीं रोक रहे हैं। वोलोदिमीर जेलेंस्की चाहते हैं कि अमेरिका के कीथ कलॉग यूक्रेन के पूर्वी सीमा क्षेत्र का दौरा करें और ट्रम्प हो ग्राउंड रिपोर्ट के बारे में जानकारी दें। यूक्रेन के पोक्रोवस्क के पास जंग जारी है। रूस के कुर्स्क क्षेत्र में टोरेत्स्क और वेलिका नोवोसिल्का के पास आगे बढ़ रही है। यह इलाका यूक्रेन के कब्जे में है।
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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो के बीच फोन पर यूक्रेन को लेकर वार्ता हुई है। यह वार्ता भी बेनतीजा रही है। वोलोदिमीर जेलेंस्की को लगता है कि यूरोप के देश हथियार देने के साथ-साथ उनकी सैन्य मदद भी करेंगे, जिससे रूस पर धावा बोलेंगे। उन्होंने अपील की है कि यूरोपियन सेना होनी चाहिए। उन्होंने तर्क भी दिया कि रूस उन मुद्दों पर यूक्रेन की बात नहीं मानेगा, जहां उसे खतरा है।
अभी किस इलाके पर किसका है कब्जा?
फरवरी 2022 तक रूसी सेना का दबदबा क्रीमिया पर था। रूस ने मार्च 2022 तक समुी, खेरसान,मारियापोल से आसपास के इलाकों के पास रूस ने कब्जा जमाया है। यहां कभी यूक्रेनी सेना भारी पड़ती है, कभी रूसी। क्रीमिया पर 2014 से ही रूस का कब्जा है। दोनेत्स्क, लुहान्सक, जापोरीजिया और खेरसान में रूस का नियंत्रण है, जहां संघर्ष चल रहा है। यूक्रेन की सेना बेलगोरोड, कुरुस्क और ब्रायंस्क के इलाकों से रूस पर हमला बोल रही है, जिससे रूस को नुकसान हो रहा है। यूक्रेन की पूरी कोशिश है कि किसी तरह कब्जे वाले इलाकों को रूसी नियंत्रण से मुक्त कराया जाए।
डोनाल्ड ट्रम्प की क्षमता से परे है रूस-यूक्रेन की जंग को रोक देना
डोनाल्ड ट्रम्प अगर चाहें भी तो रूस और यूक्रेन की जंग नहीं रोक सकते हैं। वजह यह है कि पश्चिमी देश एक तरफ यूक्रेन को उकसाते हैं, दूसरी तरफ शांति की बात की जाती है। नाटो के देश भी यूक्रेन को उकसाते हैं। रूस नहीं चाहता है कि किसी भी कीमत पर यूक्रेन, नाटो के पास जाए। वैश्विक राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि सारी जंग ही नाटो के करीब जाने की वजह से शुरू हुई है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन साफ-साफ कई बार कह चुके हैं कि अगर किसी ने रूस के खिलाफ यूक्रेन का साथ दिया तो विनाशकारी परिणाम होंगे। रूस से सीधे तौर पर कोई भिड़ना नहीं चाह रहा है। रूस को भीषण आर्थिक क्षति पहुंची है लेकिन तब भी सीधे यूक्रेन से भिड़ने का जोखिम न अमेरिका ले सकता है न यूरोपीय देश। अगर नाटो का सदस्य भी यूक्रेन बन जाए तो भी कोई देश रूस के खिलाफ सैन्य अभियान छेड़ने का साहस नहीं करेगा।
'जिद' है यूक्रेन की तबाही की असली वजह!
यूक्रेन चाहता है कि वहां शांति सैनिकों की तैनाती कर दी जाए। फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमैनुएल मैंक्रों ने बीते साल फरवरी में यह प्रस्ताव रखा था। वह चाहते थे कि नॉर्डिक और बॉल्टिक देशों के साथ-साथ नीदरलैंड की भी सेनाएं वहां जाएं। जंग में हर दिन सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है लेकिन आंकड़े छिपाए जा रहे हैं। यूक्रेन के पास खोने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है। सारे प्रमुख शहर तबाह हो गए हैं। लाखों की संख्या में लोग पलायन कर चुके हैं। यूक्रेन भी अपनी संप्रभुता को लेकर अड़ गया है। नाटो और यूरोपियन यूनियन के देश जंग थामने की जगह जंग बढ़ा रहे हैं।
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क्या ट्रम्प ये जंग रोक पाएंगे? समझिए दुश्वारियां
वैश्विक बैठकें बेनतीजा निकल रही हैं। व्लादिमीर पुतिन समझौते के लिए तभी तैयार होंगे, जब उनके हित सध जाए। उनका हित यह है कि यूक्रेन से पश्चिमी देशों का सहयोग खत्म हो जाए। न उनकी तरफ से हथियार भेजे जाएं, न वहां सीधे सैन्य मदद दी जाए। दुनिया यूक्रेन की मदद करना बंद कर दे। यूक्रेन भी संप्रभुता की जंग लड़ रहा है। सब कुछ खत्म होने के बाद भी वह रूस के खिलाफ घुटने नहीं टेकेगा। उसे अब भी भरोसा है कि पश्चिमी देश, जंग और जंग के बाद पैदा हुए हालातों को संभाल लेंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प को उनके आलोचक मानते हैं कि वह अप्रत्याशित राजनेता हैं। वह कब क्या करेंगे, कुछ भरोसा नहीं होता है। वह धमकियां देते हैं, बड़बोले हैं और लेकिन योजनाओं को लागू नहीं कर पाते हैं। वह अमेरिका की सत्ता हासिल करने के बाद अवैध अप्रवासी, महंगाई और आर्थिक खर्चों को लेकर इतने उलझे हैं कि वैश्विक राजनीति की दिशा तय करने से वह कोसों दूर है। वह कश्मीर से लेकर गाजा और यूक्रेन तक वार्ताकार बनने की पेशकश पहले करते हैं लेकिन कोई देश उन पर न तो भरोसा कर पाता है, न ही गंभीरता से उनकी बातें ली जाती हैं।

न यूक्रेन झुकेगा, न रूस। दोनों देशों की नियति में ही युद्ध शामिल हो गया है, यह कब खत्म होगा सिर्फ व्लादिमीर पुतिन ही बता सकते हैं। वह ऐसे नेता हैं, जो किसी की नहीं सुनते हैं। अब वह ऐसी स्थिति में भी हैं कि वह किसी की सुनें या न सुनें, कोई उनका कुछ कर नहीं सकता है।