साल 2025 में अवैध प्रवासियों का मुद्दा कई देशों में चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में भी अवैध प्रवासियों को लेकर खूब बहस हुई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत समेत कई देशों के अवैध प्रवासियों को अपने देश से निकालना शुरू कर दिया है। भारत से भी अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को निकाला जा रहा है। अवैध प्रवासियों की यह समस्या सिर्फ अमेरिका और भारत तक ही सीमित नहीं है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देश भी इस समस्या से दशकों से जूझते आए हैं। हर साल इन देशों से हजारों लोगों को निकाला जाता है, लाखों लोगों को सीमा पर रोका जाता है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। इस सबके बावजूद अवैध प्रवासियों की समस्या तमाम देशों के लिए नासूर बनी हुई है।
अवैध प्रवासियों की वजह से उस देश के अपने संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, असली हकदारों के हक प्रभावित होते हैं और कानून संबंधी समस्याएं भी पैदा होती हैं। अमेरिका में तो अवैध प्रवासियों की संख्या काफी ज्यादा होने की वजह से कई शहरों में यह समस्या और गंभीर हो गई है। कई अमेरिकी शहरों में ये अवैध आप्रवासी बेघरों की तरह रहते हैं। दिन भर कहीं काम करने के बाद ज्यादातर आप्रवासी रात को सड़क पर, सबवे में या ऐसी जगहों पर सो जाते हैं, जो किसी भी हाल में सुरक्षित नहीं कही जा सकती हैं। भारत में भी अवैध आप्रवासी झुग्गी-बस्तियों में ही रहते हैं और दोयम दर्ज के काम करते हैं।
पूरी दुनिया के लिए बड़ी समस्या
वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक, दुनिया के कई देशों में अवैध आप्रवासी रह रहे हैं। जनसंख्या के हिसाब से देखें तो रूस में लगभग 1.2 करोड़, अमेरिका में 1.14 करोड़, भारत में 1 करोड़, बांग्लादेश में 12 लाख, फ्रांस में 12 लाख, जर्मनी में 10 लाख , यूके में 9.5 लाख और ऑस्ट्रेलिया में एक लाख अवैध आप्रवासी रह रहे हैं। अवैध तरीके से रहने वाले अआप्रवासी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। लंबे समय तक बस जाने के चलते इस तरह के लोग देश के नागरिकों को राजनीतिक तौर पर भी प्रभावित कर सकते हैं। आपराधिक गतिविधियों जैसे कि मानव तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी और अन्य तरीके की तस्करी के मामले में भी ऐसे लोग लिप्त होते हैं।
यह भी पढ़ें- 'अवैध प्रवासी, अपराधी नहीं हैं...,' UN के नियमों के खिलाफ जा रहा US?
अमेरिका में प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा यानी लगभग 5.2 करोड़ है। यह अमेरिका की जनसंख्या के लगभग 15 पर्सेंट के बराबर है। इसी तरह जर्मनी में 1.6 करोड़ (जनसंख्या का 18.8 प्रतिशत), सऊदी अरब में 1.4 करोड़ (जनसंख्या का 39 पर्सेंट) और रूस में 1.1 करोड़ यानी जनसंख्या के 7.9 प्रतिशत हिस्से के बराबर अआप्रवासी लोग ही रहते हैं। यानी इन देशों में बाहर से आकर बस गए लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। हालांकि, ये लोग वैध तरीके से इन देशों में जाकर बसे हैं।
अमेरिका में गंभीर है मामला
अमेरिका में दशकों से रह रहे अवैध आप्रवासी समस्या के कारण बन गए हैं। इसकी वजह यह है कि लगभग 63 लाख परिवारों के 22 लाख लोग अवैध रूप से आए अआप्रवासी ही हैं। 2022 में आई Pew रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन 63 लाख परिवारों में से 86 प्रतिशत ऐसे हैं जिनमें महिला या पुरुष में से कोई एक जरूर अवैध अआप्रवासी है। इनमें से 70 पर्सेंट को 'मिक्स्ड स्टेटस' वाला माना जाता है। अमेरिका के कैलिफोर्निया, टेक्सास, फ्लोरिका, न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी जैसे शहर अवैध प्रवासियों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के डेटा के हिसाब से देखें तो बीते कुछ सालों में अवैध प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा यूरोपीय देशों में बढ़ी है। इसके बाद एशिया, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीकी देशों में बढ़ी है।
सबसे ज्यादा किन देशों में जाते हैं लोग?
वैश्विक स्तर पर देखें तो सबसे ज्यादा अवैध आप्रवासी अमेरिका में ही जाते हैं। साल 2010 में प्रकाशित Pew Hispanic सेंटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 55 लाख बच्चे ऐसे थे जो अवैध अप्रवासियों के थे और उनका जन्म अमेरिका में हुआ था। अब तक चले आ रहे बर्थराइट सिटिजनशिप के चलते इन बच्चों को अमेरिका की नागरिकता मिल गई। अमेरिका के बाद भारत में भी लगभग एक करोड़ अवैध अआप्रवासी रह रहे हैं। इस तरह के अवैध प्रवासियों को भारत में घुसने से रोकने के लिए भारत ने अपने लैंड बॉर्डर पर बैरिकेडिंग भी की है लेकिन अभी भी कुछ हिस्से पर बैरिकेडिंग होना बाकी है।
भारत और अमेरिका के अलावा रूस में चीन के रास्ते लोग आते हैं। यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, मलेशिया, ब्राजील, साउथ कोरिया, फिलीपीन्स और कनाडा जैसे देश भी लंबे समय से ऐशी समस्याओं से परेशान हैं। अमेरिका ने तो अवैध प्रवासियों को अपने देश से निकालने का काम शुरू कर दिया है लेकिन ज्यादा देशों ने इतने बड़े स्तर पर ऐसा कोई अभियान शुरू नहीं किया है।
यह भी पढ़ें-- ट्रांसजेंडर्स को लेकर ट्रंप ने अब किस एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए?
अवैध तरीके से क्यों जाते हैं लोग?
ज्यादातर अमीर देशों में ही लोग अवैध तरीके से घुसने की कोशिश करते हैं। उन देशों की अर्थव्यवस्था मजबूत होने के चलते लोगों को कमाने-खाने के बेहतर विकल्प मिल जाते हैं। कई बार ये अवैध आप्रवासी गरीब देशों से निकलकर अपने से अमीर देश में भी जाते हैं। कई बार अवैध तरीके से दूसरे देश में जाना जान बचाने के लिए भी किया जाता है। उदाहरण के लिए- भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या काफी ज्यादा है क्योंकि जब म्यांमार में रोहिंग्यों के खिलाफ अपराध हुए तो वे भारत आ गए थे। अभी तक अमेरिका के नियम बेहद उदार रहे हैं जिसके चलते एक बार किसी तरह घुस गए लोग अलग-अलग कारणों से वहां रहते रहे हैं। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद स्थिति बदली है और अब अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकालना शुरू कर दिया गया है।