ईरान के नातांज, इस्फहान और फोर्डो परमाणु संयंत्रों पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब सत्ता परिवर्तन का ख्वाब देखने लगे हैं। ट्रंप ने अपने एक बयान में ईरान में सत्ता परिवर्तन का संकेत दिया, लेकिन यह जितना कहना आसान है, उतना करना नहीं। ईरान पर हमला करने के बाद ट्रंप अपने घर में घिर चुके हैं। अगर अब ईरान में सत्ता परिवर्तन का कोई दांव चलते हैं तो उन्हें अमेरिका में अंदरूनी विरोध का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका में एक बड़ा वर्ग ईरान के साथ युद्ध में उलझने के मूड में नहीं है। ईरान पर अमेरिकी हमले से पहले वाशिंगटन पोस्ट ने एक सर्वे किया। इसके मुताबिक अमेरिका के 45 फीसदी लोग अमेरिकी हमले के खिलाफ थे। सिर्फ 25 फीसदी लोगों ने हमले का समर्थन किया और 30 फीसदी लोग किसी पक्ष में नहीं थे। आइए जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप ईरान पर हमला करके कैसे अपनी ही देश में घिर चुके हैं?
डोनाल्ड ट्रंप मध्य पूर्व के युद्ध में अमेरिकी दखल के आलोचक रहे हैं। उनका मानना था कि दूसरों की लड़ाई अमेरिका क्यों लड़ें? ट्रंप ने 'पहले अमेरिका' और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा दिया। मगर अब ईरान पर अमेरिकी हमले ने उन पर ही सवाल उठा दिया है। ईरान पर हमले के बाद अमेरिका में सियासी बवाल मचा चुका है। डेमोक्रेट नेताओं ने ट्रंप पर कानून तोड़ने, सविंधान का उल्लंघन और अमेरिका को युद्ध में धकेलने का आरोप लगाया। वर्जीनिया के सीनेटर मार्क वार्नर का कहना है कि ट्रंप ने कांग्रेस से कोई सलाह ली। स्पष्ट रणनीति, खुफिया समुदाय के निष्कर्ष और अमेरिकी लोगों को बताए बिना ईरान पर हमला कर दिया।
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ट्रंप समर्थक ने कहा- यह हमारी लड़ाई नहीं है
जॉर्जिया जीओपी प्रतिनिधि मार्जोरी टेलर ग्रीन ने ईरान पर अमेरिकी हमले का विरोध किया। ग्रीन को ट्रंप का कट्टर सहयोगी माना जाता है। उन्होंने कहा कि अगर नेतन्याहू ने पहले ईरान के लोगों पर बम नहीं गिराए होते तो इजरायल के लोगों पर बम नहीं गिरते। इजरायल एक परमाणु हथियार संपन्न देश है। यह हमारी लड़ाई नहीं है।
एक और युद्ध में फंसने की टेंशन
ट्रंप के MAGA आंदोलन का हिस्सा रहीं प्रमुख हस्तियों ने ईरान पर अमेरिकी हमले पर डोनाल्ड ट्रंप से विस्तार से जानकारी मांगी है। ट्रंप के पूर्व मुख्य रणनीतिकार रह चुके स्टीव बैनन भी चिंतित हैं। उनका मानना है कि अगर ईरान जवाबी कार्रवाई करता है तो अमेरिका एक और युद्ध में फंस जाएगा।
विपक्ष को अंधेरे में रखने का आरोप
डोनाल्ड ट्रंप पर डेमोक्रेट नेताओं ने कांग्रेस की बिना सहमित के ईरान पर हमला करने का आरोप लगाया। यह भी कहा कि अमेरिकी नागरिकों को उचित तरीके से तैयार भी नहीं किया गया। ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बारे में विपक्ष को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया गया। आरोप के मुताबिक खुफिया समितियों में शामिल डेमोक्रेट सीनेटर मार्क वार्नर और जिम हाइम्स को हमले से पहले कोई जानकारी नहीं दी गई थी। जबकि समिति में शामिल रिपब्लिकन सीनेटरों को ऑपरेशन की जानकारी पहले दी गई थी।
'ईरान के खिलाफ यह ट्रंप युद्ध है'
एरिजोना के सीनेटर मार्क केली का कहना है कि व्हाइट हाउस को कांग्रेस में आकर ईरान पर हमले की अनुमति मांगनी चाहिए थी। यही संवैधानिक नजारिया है। वर्जीनिया के सीनेटर टिम केन ने कहा कि कांग्रेस को हमले से पहले सूचित किया जाना चाहिए। ईरान के खिलाफ ट्रंप युद्ध है। इसे हमने नहीं किया है। कैलिफोर्निया के डेमोक्रेट सीनेटर एडम शिफ का कहना है कि अमेरिकी हमले के बाद ईरान परमाणु बम बनाने की रेस में भाग सकता है। ईरान पर अमरेका के हमले संवैधानिक नहीं हैं।
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रो खन्ना भी विरोध में उतरे
कैलिफोर्निया के कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने ईरान पर हमले का विरोध किया और कहा कि ट्रंप ने कांग्रेस की अनुमति के बिना ईरान पर हमला किया। न्यूयॉर्क की कांग्रेस सदस्य एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज का मानना है कि ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने का फैसला विनाशकारी था। यह युद्ध शक्तियों का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग तक की बात कह दी।
मध्य पूर्व में बिगड़ने लगे हालात
21 जून की तड़के अमेरिका के 125 विमानों ने ईरान पर हमला किया था। इस दौरान बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों ने ईरान के फोर्डो और नतांज परमाणु संयंत्रों पर दर्जनों बंकर बस्टर बमों की बारिश की। वहीं इस्फहान प्लांट पर टॉमहॉक मिसाइलों से अटैक किया गया। ईरान ने अपने हिसाब से अमेरिका को जवाब देने की बात कही है। सोमवार को ईरान के विदेश मंत्री ने रूस में व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। उधर, अमेरिका ने कतर में अपने नागरिकों का अलर्ट किया है। सुरक्षित स्थानों में रहने की सलाह दी है। इस बीच कतर ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया है। सोमवार को ही सीरिया में स्थित अमेरिकी मिलिट्री बेस पर हमला किया गया है।