यमन में काम करने गईं केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की तारीख मुकर्रर हो गई है। हत्या के एक मामले में उन्हें 16 जुलाई को फांसी की सजा दी जाएगा। निमिषा को यह सजा शरिया कानून के तहत गई है। निमिषा 2017 से जेल में बंद हैं। उन्हें अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी के हत्या के इल्जाम में यमन की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
चूंकि, अब निमिषा की फांसी की सजा में एक हफ्ता भी नहीं बचा है, इसलिए उन्हें बचाने की कोशिशें भी तेज हो गईं हैं। उन्हें बचाने के लिए भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। इसमें मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह निमिषा को बचाने के लिए कूटनीति का रास्ता अपनाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जयमाला बागची की बेंच 14 जुलाई को सुनवाई करेगी।
हालांकि, माना जा रहा है कि अब निमिषा के बचने की आखिरी उम्मीद उम्मीद पीड़ित परिवार ही है। जिस व्यक्ति की हत्या के इल्जाम में निमिषा को सजा हो रही है, अगर उसका परिवार माफ कर दे तो उनकी फांसी रद्द हो सकती है।
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क्या है यह पूरा मामला?
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं। वह 2008 में यमन गई थीं। साल 2011 में शादी के लिए निमिषा केरल आईं। शादी के बाद निमिषा और उनके पति टॉमी थॉमस वापस यमन चले गए। 2012 में निमिषा ने एक बेटी को जन्म दिया। यमन में गुजारा मुश्किल हो रहा था, इसलिए 2014 में टॉमी थॉमस बेटी को लेकर केरल लौट आए लेकिन निमिषा यमन में ही रहीं।
पेशे से नर्स होने के कारण निमिषा ने यमन की राजधानी सना में एक क्लीनिक खोलने का फैसला लिया। इसके लिए उन्हें एक लोकल बिजनेस पार्टनर की जरूरत थी।
उन्हें बचाने की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली 'सेव निमिषा प्रिया- इंटरनेशनल ऐक्शन काउंसिल' ने अपनी याचिका में बताया है, 'सना में अपनी क्लीनिक खोलने के लिए 2015 में निमिषा ने यमन के रहने वाले तलाल अब्दो महदी से हाथ मिलाया। यमन के कानून के मुताबिक, सिर्फ स्थानीय नागरिक ही कोई क्लीनिक या कारोबार शुरू कर सकता है।'
याचिका में बताया गया है कि जब 2015 में निमिषा केरल आई थीं, तब उनके साथ तलाल अब्दो महदी भी था।

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ऐसे फंसती चली गई निमिषा प्रिया
याचिका में बताया गया है, '2015 में जब निमिषा केरल आई थीं, तब तलाल ने उनकी शादी की तस्वीर चुरा ली थी। बाद में तलाल ने तस्वीर से छेड़छाड़ कर दावा किया कि उसकी निमिषा से शादी हो गई है।'
इसमें बताया है, 'क्लीनिक शुरू करने के बाद तलाल सारी कमाई खुद हड़प लेता था। जब निमिषा इस बारे में सवाल करती तो वह नाराज हो जाता। बाद में उसने निमिषा को धमकाना शुरू कर दिया। जाली दस्तावेज बनाकर दावा किया कि उसकी निमिषा से शादी हो गई है। वह बुरी तरह टॉर्चर करता था।' इसमें यह भी बताया गया है कि बाद में तलाल ने निमिषा से मारपीट भी शुरू कर दी और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था।
याचिका के मुताबिक, 'तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट इसलिए जब्त किया, ताकि वह उसकी इजाजत के बिना यमन से जा न सके। वह नशे में उसे टॉर्टर करता था। कई बार उसने बंदूक की नोक पर उसे धमकाया। क्लीनिक से जो भी कमाई होती, वह सब रख लेता था। उसने निमिषा के गहने भी रख लिए थे।'
याचिका में बताया गया है कि 2017 में निमिषा ने अपनी क्लीनिक के पास बनी जेल के एक वॉर्डन से मदद ली। कई मामलों में तलाल इस जेल में पहले भी रह चुका था। याचिका के मुताबिक, 'वॉर्डन ने उसे सुझाव दिया कि वह उसे नशे की गोली दे और बेहोशी की हालत में पासपोर्ट देने के लिए मना ले। हालांकि, तलाल पर इसका असर नहीं हुआ, क्योंकि वह नशे का आदि था। निमिषा ने एक बार फिर उसे नशे की गोली देने की कोशिश की लेकिन इसका ओवरडोज हो गया, जिससे कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो गई।'

2020 में मिली फांसी की सजा
2017 में निमिषा प्रिया को गिरफ्तार कर लिया गया। 2020 में यमन की ट्रायल कोर्ट ने निमिषा को तलाल की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई।
उनके परिवार ने इसे यमन की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जो 2023 में खारिज हो गई। जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने फांसी की सजा पर मुहर लगा दी।
भारत की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया है, 'अरबी भाषा में लिखे कबूलनामे में उनसे जबरन साइन करवाए गए, जिस कारण उन्हें मौत की सजा मिली।' इसमें कहा गया है कि निमिषा प्रिया असल में 'विक्टिम ऑफ वॉर' हैं, क्योंकि यमन में गृहयुद्ध होने के कारण सही लीगल डिफेंस नहीं मिला।
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अब आखिरी उम्मीद तलाल का परिवार
अब निमिषा प्रिया के पास बचने की आखिरी उम्मीद तलाल का परिवार ही है। तलाल का परिवार निमिषा को इसके लिए माफ कर दे। बदले में निमिषा का परिवार तलाल के परिवार को 'ब्लड मनी' दे, जिसे इस्लाम में 'दियाह' कहा जाता है।
यह असल में एक रकम होती है। यमन में कानून है कि पीड़ित परिवार पैसे लेकर हत्या के दोषी को माफी दे सकता है। यमन में कानून हत्या के दोषी को फांसी की सजा दी जाती है लेकिन पीड़ित परिवार चाहे तो पैसे लेकर उसे माफ कर सकता है। इसे ही 'ब्लड मनी' कहा जाता है। कितना पैसा दिया जाएगा? यह दोनों परिवारों की आपसी सहमति से तय होता है।
निमिषा की मां 2024 से ही यमन की राजधानी सना में रह रही हैं। अपनी बेटी को बचाने की कोशिशों में जुटी हैं। बीबीसी के मुताबिक, तलाल के परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई है। हालांकि, तलाल के परिवार ने अब तक इसे मंजूर नहीं किया है।
निमिषा की फांसी की सजा रुकवाने के लिए भारत सरकार ने भी दखल दिया है लेकिन बात नहीं बन सकी। अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर 14 जुलाई को सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि निमिषा को बचाने के लिए डिप्लोमैटिक चैनल का इस्तेमाल करे।
सीनियर एडवोकेट रागेंथ बसंत और चंद्रन ने बताया कि शरिया कानून के तहत पीड़ित परिवार को ब्लड मनी दी जाती है तो पीड़ित परिवार निमिषा को माफ कर सकता है।