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विकास दिव्यकीर्ति ने ऐसा क्या किया कि मानहानि के केस में फंस गए?

विकास दिव्यकीर्ति कानूनी केस में फंस गए हैं। उनके एक वीडियो को लेकर मानहानि का मामला दर्ज किया गया है। यह वीडियो IAS और ज्यूडिशियल सिस्टम से जुड़ा था।

Vikas Divyakirti

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

दृष्टि IAS कोचिंग के संस्थापक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति के खिलाफ मानहानि का केस हो गया है। उन्होंने एक वीडियो में कथित तौर पर ज्यूडिशियल सिस्टम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस पर राजस्थान के अजमेर की एक अदालत में एक वकील ने मानहानि का मुकदमा दायर किया है। इस मामले में विकास दिव्यकीर्ति के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है।

 

मामले पर अजमेर की कोर्ट ने कहा कि 'प्रथम दृष्टया इस बात के सबूत हैं कि विकास दिव्यकीर्ति ने प्रसिद्धि पाने के लिए जानबूझकर न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल किया था।'

 

इस मामले में विकास दिव्यकीर्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2), 356(2) और 356(3) और IT ऐक्ट की धारा 66A(b) के तहत केस दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला?

विकास दिव्यकीर्ति ने अपने यूट्यूब चैनल पर कुछ दिन पहले एक वीडियो जारी किया था। इस वीडियो का टाइटल 'IAS vs Judge: कौन ज्यादा ताकतवर?' था।

 

इस वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति ने कथित तौर पर ज्यूडिशियल सिस्टम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। इस वीडियो में उन्होंने कथित रूप से जजों की भर्ती करने वाले कॉलेजियम सिस्टम पर भी कुछ टिप्पणियां की थीं।

 

इस मामले में एडवोकेट कमलेश मनोवलीया ने अजमेर की अदालत में याचिका दायर की है। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि विकास दिव्यकीर्ति ने अपने वीडियो में न्यायपालिका को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम के लिए कथित तौर पर 'जुगाड़' शब्द का इस्तेमाल किया था।

 

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शिकायतकर्ता का क्या है कहना?

एडवोकेट कमलेश मनोवलीया ने अपनी याचिका में दावा किया है कि विकास दिव्यकीर्ति ने अपने वीडियो में IAS अफसरों और जजों की 'अपमानजनक तरीके से तुलना' की है, जिससे न्यायपालिका का 'अपमान' हुआ है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि वीडियो में की गई टिप्पणियां न्यायपालिका पर जनता के भरोसे को ठेस पहुंचाती हैं।

अदालत ने क्या कहा?

इस मामले पर अजमेर की ACJ कोर्ट ने संज्ञान लिया। जस्टिस मनमोहन चंदेल की बेंच ने 8 जुलाई को लेकर इसे आदेश जारी किया था।

 

अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'प्रथम दृष्टया इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि विकास दिव्यकीर्ति ने प्रसिद्धि पाने के लिए न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल किया है। वीडियो को सनसनीखेज बनाने के इरादे से पूरे वीडियो में ऐसी भाषा और शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।'

 

कोर्ट ने आगे कहा, 'न्यायपालिका का मजाक उड़ाया गया है, जिससे न्यायपालिका से जुड़े हर व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंची है और न्यायपालिका की छवि और विश्वनीयता को नुकसान हुआ है।'

 

 

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विकास दिव्यकीर्ति का क्या है कहना?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले पर विकास दिव्यकीर्ति को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जिस यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो अपलोड किया गया था, उससे उनका कोई संबंध नहीं है।

 

विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, 'मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि जिस यूट्यूब चैनल ने आपत्तिजनक वीडियो अपलोड किया है, उससे मेरा कोई संबंध नहीं है' उन्होंने दावा किया है कि वह वीडियो उनकी जानकारी और सहमति के बिना किसी थर्ड पार्टी ने निकाला और अपलोड किया है।

 

उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता BNS की धारा 356 के तहत 'पीड़ित व्यक्ति' नहीं है, इसलिए शिकायत खारिज कर दी जानी चाहिए।

 

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इस मामले में अब आगे क्या?

एडवोकेट कमलेश मनोवलीया की याचिका पर संज्ञान लेते हुए अजमेर की कोर्ट ने विकास दिव्यकीर्ति के खिलाफ BNS की धारा 356 के तहत मानहानि का केस दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है। इस दिन विकास दिव्यकीर्ति को भी अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है।

 

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