अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से लगभग एक घंटे तक बातचीत की। पुतिन ने ट्रंप से स्पष्ट कह दिया है कि रूस यूक्रेन के ड्रोन हमले का बदला जरूर लेगा। अब रूस को लेकर पूरे यूरोप में टेंशन बढ़ गई है। यूरोप के कई देश अपनी सैन्य तैयारियों में जुट चुके हैं। नाटो के सैनिक भी यूक्रेन से ड्रोन युद्ध के गुर सीखने लगे हैं। ब्रिटेन की बड़ी कंपनियां युद्ध की तैयारी कर रही हैं। अगर रूस यूरोप पर हमला करता है तो यह तीसरे विश्व युद्ध का आगाज होगा। यूक्रेन के ड्रोन हमले के बाद से ही यूरोप की धड़कने तेज हो चुकी हैं, क्योंकि रूस के खिलाफ यूक्रेन को यूरोपीय देश लगातार फंडिंग पहुंचा रहे हैं।
रूस से सबसे अधिक खतरा ब्रिटेन को सता रहा है। उसके पास अभी कुल 71000 सैनिक हैं। ब्रिटेन अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने जा रहा है। इसके अलावा हाल ही में पेश ब्रिटेन की रणनीतिक रक्षा समीक्षा (SDR) में परमाणु हथियारों, नई पनडुब्बियों और नए युद्ध सामग्री कारखानों में निवेश की सिफारिश की गई है। यूके के पीएम कीर स्टारमर ने कहा कि एसडीआर देश को युद्ध-लड़ने की तत्परता में ले आएगा। एसडीआर ने नए एफ-35 लड़ाकू विमानों को भी खरीदने की सलाह दी है। ब्रिटेन का रक्षा मंत्रालय परमाणु हथियार कार्यक्रम में 15 अरब पाउंड का निवेश भी करेगा।
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ड्रोन और सॉफ्टवेयर पर निवेश करेगा ब्रिटेन
ब्रिटेन ड्रोन और और सॉफ्टवेयर पर भारी निवेश करेगा। रक्षा मंत्रालय ने 1 बिलियन पाउंड की लागत से 'डिजिटल टारगेटिंग वेब' का निर्णय लिया है। यह एआई से चलने वाला एक सॉफ्टवेयर टूल है। युद्ध क्षेत्र से मिलने वाले डेटा का विश्वेषण करेगा और तुरंत निर्णय लेने में सक्षम होगा। ब्रिटेन अपनी सेना पर जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करेगा। अभी तक 2.3 फीसदी खर्च कर रहा है। युद्ध की स्थिति में ब्रिटेन अपने नागरिकों को अनिवार्य सेना भर्ती में शामिल कर सकता है। अभी से इस पर विचार किया जाने लगा है।
60 हजार सैनिक भर्ती करेगा जर्मनी
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस का कहना है कि जर्मनी युद्ध की तैयारी में जुटा है। हमें 60 हजार से अधिक सैनिकों की भर्ती करनी होगी। रूस से तनाव के बाद जर्मनी अपनी सेना को मजबूत बनाने में जुट चुका है। मंत्री ने कहा कि जर्मनी किसी भी समय अनिवार्य सैन्य भर्ती को लागू कर सकता है। मतलब देश के हर नागरिक को युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग दी जाएगी। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज पहले ही यूरोप की सबसे बड़ी सेना बनाने का एलान कर चुके हैं। योजना के तहत जर्मनी हर साल अपने रक्षा बजट पर 67.4 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च करेगा। यह 2024 की तुलना में 15 फीसदी अधिक है।
अमेरिका के बिना युद्ध की तैयारी में यूरोप
द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिका ने पूरे यूरोप को सुरक्षा गारंटी दी थी। गठबंधन के तहत आश्वासन दिया गया था कि नाटो के 31 सदस्य देशों में से किसी पर भी हमला हुआ तो यह अमेरिका पर हमला माना जाएगा और अमेरिका तुरंत हस्तक्षेप करेगा। मगर अब हालात बदल रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि यूरोप को अपनी सुरक्षा खुद ही करनी होगी। इसके बाद से ही यूरोपीय देश बिना अमेरिका के अपनी रक्षा तैयारियों में जुट गए हैं। अब रणनीति यह बनाई जा रही है कि अगर अमेरिका साथ छोड़ता है तो यूरोप रूस से कैसे निपटेगा?
क्या-क्या तैयारी कर रहे हैं यूरोपीय देश
- पोलैंड में हर युवा को युद्ध की ट्रेनिंग देने पर विचार चल रहा है।
- नॉर्वे अपने पुराने सैन्य बंकरों को दोबारा नया करने में जुटा है।
- जर्मनी ने यूरोप की सबसे बड़ी सेना बनाने का एलान किया है।
- नॉर्वे सभी बड़े भवनों में शेल्टर बनाने को अनिवार्य करने जा रहा है।
- पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया बारूंदी सुरंगें बिछाएंगे।
- रूस के खतरे से निपटने के लिए स्कैंडिनेविया और बाल्टिक देशों ने सेना भर्ती शुरू की।
- स्वीडन और फिनलैंड अपने नागरिकों को यह बता रहे हैं कि हमले की स्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देनी है।
- यूरोपीय आयोग ने लोगों से अपने पास 72 घंटे की जीवन रक्षक किट रखने की अपील की।
- जर्मनी अपने नागरिकों को बता चुका है कि युद्ध होने पर क्या करना है और क्या नहीं।
सैन्य खर्च बढ़ाने में जुटे यूरोपीय देश
डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो के सभी सदस्यों से जीडीपी का 5 फीसदी खर्च करने को कहा था। उन्होंने यह भी कहा कि वह रूस को उन सभी नाटो देशों पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जो भुगतान नहीं करेंगे। ट्रंप की इसी चेतावनी के बाद यूरोपीय देश रक्षा खर्च बढ़ाने लगे हैं। पोलैंड अब अपने जीडीपी का 4.7 फीसदी तक खर्च करने लगा है। एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया ने भी 5 फीसदी तक खर्च का लक्ष्य रखा है। स्वीडन और फ्रांस 3.5 और फिनलैंड 3 प्रतिशत खर्च सेना पर करेंगे।
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क्या यूरोप पर हमला कर सकता है रूस?
जर्मनी के सेना प्रमुख जनरल कार्स्टन ब्रेउर का दावा है, 'रूस नाटो के सदस्य देशों पर अगले चार वर्षों के भीतर हमला कर सकता है। उन्होंने कहा कि रूस हर साल सैकड़ों टैंकों का निर्माण कर रहा है। इनका इस्तेमाल 2029 तक या उससे पहले नाटो के बाल्टिक सदस्य देशों पर किया जा सकता है।' मार्च महीने में नाटो के महासचिव मार्क रूटे भी कह चुके हैं कि रूस 2030 तक यूरोप पर हमला कर सकता है। द इंडिपेंडेंट से बातचीत में रक्षा विशेषज्ञ फ्रांसिस टुसा ने कहा, 'अगर कीव हारता है तो रूस बाल्टिक देशों, फिनलैंड या पोलैंड पर हमला करके आगे बढ़ने की कोशिश कर सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह तीन से पांच साल के भीतर हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो नाटो के पास हस्तक्षेप करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।'