तुर्की ने कुछ वर्षों में अपनी सैन्यशक्ति में काफी इजाफा किया है। खासकर ड्रोन तकनीक में। अपने पड़ोसियों से लेकर भारत-पाकिस्तान संघर्ष तक में वह दखल देने लगा है। ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पाकिस्तान की सेना ने भारत के खिलाफ तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया था। आर्मेनिया के खिलाफ उसने खुलकर अजरबैजान का साथ दिया था।

 

फिलिस्तीन समेत तमाम मुद्दों में इजरायल और तुर्की के बीच 36 का आंकड़ा है। अब तुर्की को घेरने की रणनीति बन रही है। तीन देश एक गठबंधन तले आ रहे हैं। यह गठबंधन सैन्य गठबंधन होगा, जिसका मुख्य लक्ष्य तुर्की की बढ़ती सैन्य ताकत से निपटना है।

 

तुर्की के खिलाफ तैयार हो रहे सैन्य गठबंधन में इजरायल, ग्रीस और साइप्रस शामिल होंगे। तीनों ही देशों के किसी न किसी मुद्दे पर तुर्की से नहीं बनती है। अब यही देश 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है' वाली रणनीति में काम करने में जुटे हैं। ग्रीस और इजरायल के बीच पहले ही मजबूत रणनीतिक संबंध हैं। मगर अब ग्रीस के सैन्य अधिकारी और विश्लेषक तेल अवीव के साथ घनिष्ठ सैन्य सहयोग बनाने के प्लान पर जुटे हैं। कहा जा रहा है कि इजरायल ने भी इस प्लान पर दिलचस्पी दिखाई है। यह सभी देश तुर्की के मावी वतन प्लान के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। इसके तहत तुर्की ग्रीस और साइप्रस के हिस्सों पर अपना दावा ठोकता है।

 

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तीनों सेनाएं होंगी गठबंधन का हिस्सा

प्रस्ताव के मुताबिक तुर्की के खिलाफ 2500 सैनिकों का एक गठबंधन तैयार करना है। इसमें ग्रीक और इजरायल के एक-एक हजार और साइप्रस के 500 सैनिक शामिल होंगे। यह गठबंधन फोर्स त्वरित एक्शन लेने में सक्षम होगी। इन जवानों की साइप्रस के रोड्स और कार्पाथोस द्वीप से इजरायल के नौसैनिक जहाज व सैन्य अड्डों तक तक में तैनाती होगी। प्लान के मुताबिक इजरायल और ग्रीस एयरफोर्स की एक-एक स्वाड्रन भी इसका हिस्सा होगी।  

तुर्की की आक्रामकता से निपटना लक्ष्य

गठबंधन सेना को ग्रीस एक पनडुब्बी और फ्रिगेट देगा। इजरायल एक वारशिप को शामिल करेगा। इनका काम समुद्र में पाइपलाइन, बिजली और इंटरनेट लाइन की सुरक्षा करनी होगी। यह बल अकेले और जरूरत पड़ने पर एक साथ गश्त करेंगे। कुछ समय पहले बाल्टिक सागर में पड़ी केबल के टूटने का मामला सामने आया था। 

 

वहीं लाल सागर में हूती विद्रोही लगातार इजरायल, अमेरिका और अन्य देशों के मालवाहक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। काला सागर में रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी है। अमेरिका समुद्र में ही वेनेजुएला के नावों और तेल टैंकरों का अपना निशाना बना रहा है। मतलब यह है कि मौजूदा समय में दुनियाभर के समुद्र रणक्षेत्र में बदल चुके हैं।

 

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मावी वतन का तैयार हो रहा जवाब

इजरायल के सैन्य विश्लेषक शाई गैल का कहना है कि ग्रीस-इजरायल क्विक रिस्पॉन्स फोर्स किसी के खिलाफ गठबंधन नहीं है। यह रणनीतिक कमी को पूरा करने वाला एक गठबंधन है। साइप्रस के रोड्स से इजरायल तक पाइपलाइन और बिजली के तार एक ऐसे समुद्र में खुले पड़े हैं, जिसे कुछ पक्ष अपना 'मावी वतन' कहते हैं।

क्या है तुर्की का मावी वतन प्लान?

तुर्की 'मावी वतन' शब्द का इस्तेमाल करता है। तुर्की की इस रणनीति में उसके समुद्री हित शामिल है। 2019 में तुर्की ने मावी वतन नाम से एक सैन्य अभ्यास किया था। एक साल बाद यानी 2020 में तुर्की के राष्ट्रपति के संचार निदेशालय ने यूट्यूब पर मावी वतन राष्ट्रगान रिलीज किया। यह राष्ट्रगान तुर्की के राष्ट्रीय गान से काफी हद तक मिलता-जुलता है। 

 

2020 में ही तुर्की के युद्धपोत ग्रीस के समुद्री क्षेत्र में जा घुसे और यहां हाइड्रोकार्बन संसाधनों का सर्वेक्षण किया। मावी वतन शब्द का पहली बार जिक्र 2006 में किया गया। मगर नया विवाद 2019 में उस वक्त शुरू हुआ, जब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन दो बार मावी वतन का नक्शा जारी किया। इसमें ग्रीस के जलक्षेत्रों को तुर्की के हिस्से में दिखाया गया था।