ईरान और इजरायल के बीच लड़ाई शनिवार, 21 जून को नौवें दिन में पहुंच गई है। दोनों देशों के बीच लगातार हवाई हमले हो रहे हैं और रुकने का कोई नाम नहीं है। इजरायल लगातार ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों और इंडस्ट्रियल एरिया पर मिसाइलें बरसा रहा है, वहीं ईरान की तरफ से एक हमला इजरायल के एक अस्पताल पर भी हुआ है, जिसमें काफी नुकसान हुआ है। सबसे दुखद बात यह है कि अब दोनों तरफ हमले रिहायशी इलाकों तक पहुंच चुके हैं और आम लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या अमेरिका इस जंग में कूदेगा? व्हाइट हाउस का कहना है कि बातचीत की गुंजाइश को देखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो हफ्तों में फैसला लेंगे कि अमेरिका इसमें शामिल होगा या नहीं। CNN World की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इशारा किया है कि ईरान को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा- हो सकता है दो हफ्तों के अंदर ही फैसला हो जाए।
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2 हफ्तों में होगा फैसला
न्यू जर्सी में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, 'मैं उन्हें एक टाइम लिमिट दे रहा हूं। देखेंगे क्या होता है लेकिन ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते का वक्त है।' यह पहली बार है जब ट्रंप ने खुद इस टाइमलाइन पर खुलकर बात की है। इससे पहले उनके प्रेस सचिव ने एक बयान पढ़कर बताया था कि ट्रंप कूटनीतिक रास्ता अपनाने के लिए समय देना चाहते हैं। हालांकि, ट्रंप ने यह भी साफ कर दिया कि वह ईरान के खिलाफ जमीन पर सैनिक भेजने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मैं ग्राउंड फोर्स यानी जमीनी सेना की बात नहीं करूंगा। यह आखिरी ऑप्शन होता है।'
इजरायल को अमेरिका की होगी जरूरत
जब उनसे पूछा गया कि क्या इज़रायल अकेले ईरान की परमाणु साइट्स को तबाह कर सकता है, तो ट्रंप ने कहा, 'उनके पास सीमित ताकत है। वे कुछ कर सकते हैं लेकिन बहुत अंदर तक नहीं जा सकते। उन्हें हमारी जरूरत पड़ सकती है या फिर हो सकता है जरूरत ही न पड़े।' कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका के पास जो खास 'बंकर बस्टर' हथियार हैं, वही ईरान की गहराई में छिपी परमाणु साइट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आखिर में ट्रंप ने कहा, 'मैं हमेशा से शांति का समर्थक रहा हूं लेकिन कभी-कभी शांति लाने के लिए सख्ती दिखानी पड़ती है।'
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ईरान के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
वहीं, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने जिनेवा में यूके, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों से मुलाकात में इजरायल के हमलों पर उनकी चुप्पी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ईरान ज़ायोनी हमलों के खिलाफ आत्मरक्षा का हक रखता है और आगे भी ऐसा करता रहेगा। अराघची ने यह भी साफ किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और यूएन की निगरानी में चल रहा है। अगर हमले रुकते हैं और इजरायल को उसकी हरकतों के लिए जवाबदेह ठहराया जाता है, तो ईरान बातचीत के लिए तैयार है।
ईरान के हमले में 33 लोग घायल
ईरान के हमले में शुक्रवार को उत्तरी इज़रायल के हाइफ़ा में 33 लोग घायल हो गए। ये जानकारी शहर के अस्पतालों ने CNN को दी है। रामबाम अस्पताल के मुताबिक, एक शख्स की हालत गंभीर है, दो की हालत मध्यम और 16 लोग हल्की चोटों के साथ भर्ती हैं। वहीं, जियोन मेडिकल सेंटर ने बताया कि उनके यहां 14 लोगों को मामूली चोटें आई हैं। इजरायल की इमरजेंसी सेवा MDA ने बताया कि पिछले हफ्ते से अब तक 685 लोग घायल हुए हैं, जब इज़रायल ने 'राइजिंग लॉयन' नाम का अभियान शुरू किया और ईरान ने जवाब में मिसाइलें दागीं। इनमें से ज्यादातर 643 लोग हल्के रूप से घायल थे। इस पूरे संघर्ष में अब तक इजरायल में 24 लोगों की जान जा चुकी है।
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इजरायल ने लोगों से सुरक्षित जगह जाने को कहा
इजरायल की सेना ने बताया है कि ईरान से दागी गई मिसाइलों का पता चल गया है और उन्हें रोकने के लिए उनकी सुरक्षा सिस्टम एक्टिव हो गई है। लोगों से कहा गया है कि वे सुरक्षित जगहों पर चले जाएं और जब तक अगली सूचना न मिले, वहीं रहें। सेना ने यह भी कहा कि खतरा टालने के लिए मिसाइलों को रोकने और ज़रूरत पड़ने पर जवाबी कार्रवाई की जा रही है। इजरायली सेना (IDF) ने शनिवार को बताया कि उन्होंने ईरान पर नए हमले शुरू किए हैं। सेना के मुताबिक, वायुसेना ने ईरान के बीच हिस्से में मिसाइल रखने और दागने वाली जगहों को निशाना बनाया है।