भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत सबसे अधिक चर्चा में है। खबर आ रही है कि यहां के कलात जिले के मंगूचर शहर पर बलूच विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है। यह कोई पहली बार नहीं है, जब बलूच लड़ाकों ने किसी शहर पर कब्जा किया है। शहरों और सरकारी कार्यालयों पर कब्जा करना बलूच विद्रोहियों की पुरानी रणनीति का हिस्सा है। मगर अधिकांश लोग बलूच विद्रोह के नाम पर सिर्फ बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी BLA का ही नाम जानते हैं। आज हम बलूच विद्रोह में शामिल उन सभी संगठनों की बात करेंगे, जिन्होंने पाकिस्तान सेना की नाक में दम कर रखा है।
तीन देशों में फैले बलूच लोग
बलूचिस्तान पाकिस्तान का दक्षिण-पश्चिमी प्रांत है। पाकिस्तान के अलावा ईरान और अफगानिस्तान में भी बलूच लोगों की आबादी है। इस पूरे क्षेत्र को ग्रेटर बलूचिस्तान कहा जाता है। यह प्रदेश भले ही प्राकृतिक संशोधनों से भरपूर है, मगर यहां के लोग पिछड़ेपन का शिकार हैं। पाकिस्तान सेना की दमनकारी नीतियों ने लोगों में विद्रोह की भावना को बढ़ाया।
कब शुरू हुआ बलूच विद्रोह का पहला चरण?
बलूचिस्तान विद्रोह की शुरुआत 1948 में पाकिस्तान में विलय के साथ हुई। कलात के खान मीर अहमद यार खान ने पाकिस्तान के दबाव में 27 मार्च 1948 में विलय पर सहमति जताई थी। मगर अहमद यार खान के भाई अब्दुल करीम को यह निर्णय मंजूर नहीं था। उन्होंने बलूचिस्तान के झालावां क्षेत्र से पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का बिगुल बजा दिया। ऐसा माना जाता है कि बलूच विद्रोह का पहला चरण यहीं से ही शुरू हुआ। 1947 तक बलूचिस्तान एक आजाद मुल्क था। वहां खारन, कलात, मकरान और लास बेला नाम से चार रियासतें थीं।
बलूचिस्तान में शुरुआत से ही पाकिस्तान विरोधी भावनाओं का बोलबाला रहा है। मगर पाकिस्तान की सेना जबरन लोगों को गायब करने लगी। इसका नतीजा यह हुआ कि बलूचिस्तान में कई हथियार बंद गुट उभरने लगे। आइए जानते हैं बलूचिस्तान के सभी विद्रोही गुटों के बारे में...
बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए)
1996 में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के नाम से पहला अलगाववादी समूह बना। इसकी स्थापना हर्बयार मर्री ने की थी। असलम बलूच उर्फ असलम अचू बीएलए का पहला कमांडर बना। असलम को बीएलए के गुरिल्ला युद्ध का जनक कहा जाता है। हालांकि, साल 2018 में असलम को बीएलए से निकाल दिया गया। बाद में दिसंबर 2018 में उसकी अफगानिस्तान के कंधार में हत्या हो गई।
बलूच लिबरेशन आर्मी-आजाद (BLA-A)
मूल बीएलए को ही बीएलए-ए के नाम से जाना जाता है। यह संगठन बीएलए-जे और बीएलएफ से कमजोर है। मगर पाकिस्तान की सेना को तबाह कर रखा है। 2024 में इस संगठन ने अपने हमलों को और तेज कर दिया। संगठन का दावा है कि उसने 2020 में 6, 2021 में 20, 2022 में 46-50, 2023 में 38 और 2024 में 154 हमलों को अंजाम दिया। 2025 में संगठन ने ऑपरेशन कलात शुरू किया। इसके तहत मंगूचर शहर पर कब्जा किया। 3 मार्च 2025 को बीएलए-ए ने पहली बार आत्मघाती हमले को अंजाम दिया।
बीएलए-जे
बीएलए से अलग होने के बाद असलम ने ही बीएलए-जियंद (बीएलए-जे) नाम से एक अलग संगठन खड़ा किया। इस संगठन ने 2019 में 50, 2020 में 64, 2021 में 88, 2022 में 188, 2023 में 247 और 2024 में 302 हमले किए। इस संगठन ने 2022 में 3, 2023 में 2 और 2024 में छह आत्मघाती हमलों को भी अंजाम दिया। यह संगठन पाकिस्तान सेना के अलावा चीनी नागरिकों को निशाना बनाता है। मौजूद समय में बलूचिस्तान का सबसे घातक अलगाववादी संगठन है।
बीएलए-जे की 4 अहम इकाइयां
- मजीद ब्रिगेड: यह ब्रिगेड आत्मघाती हमलों को अंजाम देता है।
- स्पेशल टैक्टिकल ऑपरेशंस स्क्वाड: यह यूनिट खुफिया आधारित ऑपरेशन को अंजाम देती है। जासूसी और हत्या करने में महारत।
- फतेह क्वाड: यह स्क्वाड बलूचिस्तान के पहाड़ी इलाकों में पाकिस्तान सेना के खिलाफ गुरिल्ला हमलों को अंजाम देता है।
- जेफिर इंटेलिजेंस रिसर्च एंड एनालिसिस ब्यूरो: यह यूनिट हमले से पहले की खुफिया जानकारी जुटाती है।
पिछले साल नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर बम धमाका और जफर एक्सप्रेस हाईजैक को बीएलए-जे ने ही अंजाम दिया था। इसके अलावा बीएलए-जे ने ऑपरेशन दारा-ए-बोलन के तहत पिछले साल माच और आसपास के इलाके में कई दिनों तक कब्जा भी जमा लिया था।
बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ)
बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट की स्थापना साल 2023 में हुई। इसके नेता का नाम अल्लाह नजर है। यह बलूच विद्रोह का दूसरा सबसे ताकतवर अलगाववादी संगठन है। बीएलएफ ने 2021 में 176, 2022 में 162, 2023 व 2024 में 284 हमले किए। 2025 में अब तक 128 हमले करने का दावा किया। यह संगठन बीएलए-जे के साथ मिलकर काम करता है।
बलूच नेशनलिस्ट आर्मी (बीएनए)
इसकी स्थापना जनवरी 2022 में गुलजार इमाम और सरफराज बंगुलजई ने की थी। मौजूदा समय में यह समूह बीएनए (अनवर), बीएनए (बिबर्ग) और बीएनए (सरफराज) में बंट चुका है। अप्रैल 2023 में बीएनए में विभाजन हुआ। अनवर चाकर ने बीएनए-अनवर के नाम से नया संगठन खड़ा किया। संगठन ने 2022 में 34 और 2023 से 2025 तक सिर्फ 20 हमलों को अंजाम दिया। यह गुट सिर्फ पाकिस्तान में हमला करता है।
बीएनए (बीबर्ग)
बीएनए (बिबर्ग) भी पहले बीएनए का हिस्सा रहा है। 2024 में इस गुट की स्थापना हुई। यह संगठन पाकिस्तान और ईरान में हमलों को अंजाम देता है। बीएनए (बीबर्ग) ने सितंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच 30 से अधिक हमले को अंजाम दिया। इसी साल जनवरी महीने में गुट ने 'ऑपरेशन गेरोक' शुरू किया। इसके तहत ईरानी सुरक्षा बलों के संचार टावरों, वाहनों और ड्रोनों को तबाह किया। 12 अप्रैल को ईरान में आठ पाकिस्तानी मजदूरों की हत्या की जिम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी।
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बलूच नेशनलिस्ट आर्मी (सरफराज)
अप्रैल 2023 में गुलजार इमाम की गिरफ्तारी के बाद बीएनए (अनवर) से अलग होकर बीएनए (सरफराज) नाम से अलग संगठन बना।
बलूच रिपब्लिकन आर्मी (BRA)
2006 में यह संगठन अकबर बुगती की मौत के बाद उभरा। 2016 में संगठन में पड़ी खाई की वजह से निष्क्रिय हो गया था। मगर पिछले साल अक्तूबर से सक्रिय है। माना जाता है कि ब्रह्मदाग बुगती का संबंध इस संगठन से है।
बलूच रिपब्लिकन आर्मी (बीबाग्र)
2018 में बीआरए से अलग होकर गुलजार इमाम ने बीआरए (बीबाग्र) नाम से नया गुट बनाया। दरअसल, मतभेद के बाद गुलजार को बीआरए से अलग निकाल दिया गया था। हालांकि 2022 में इमाम ने सरफराज के साथ बीएनए का गठन किया। इसके बाद बीआरए (बीबाग्र) को भंग कर दिया गया था।
बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (BRG)
बीआरजी की स्थापना साल 2012 में हुई थी। बख्तियार खान डोमकी ने अपनी पत्नी और बेटी की कराची में हत्या के बाद इस गुट का गठन किया। इसने 2022 में 26, 2023 में 28 और 2024 में 18 हमले किए। 2025 में सिर्फ तीन महीने में 10 हमलों को अंजाम दिया।
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सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी (SRA)
इसकी स्थापना 2010 में हुई थी। इसकी कमान सैयद अशगर शाह के पास है। एसआरए एक सिंधी अलगाववादी संगठन है। यह संगठन सिंध प्रांत में सक्रिय है और बलूच लड़ाकों के साथ मिलकर काम करता है।
यूनाइटेड बलूच आर्मी (UBA)
बीएलए के संस्थापक हर्बयार मर्री और मेहरान मर्री के बीच मतभेद के कारण 2012 में यूबीए का जन्म हुआ। 2022 से 2024 के बीच इस गुट ने 30 हमलों का दावा किया।
बलूच राजी आजोही संगर (BRAS)
यह अलगाववादी संगठनों का एक गठबंधन है। इसकी स्थापना 2018 में की गई थी। बीएलए-जे, बीएलएफ, बीआरजी, एसआरए और बीएनए (अनवर) इस गठबंधन का हिस्सा हैं। इस गठबंधन के तहत ये सभी अलगाववादी गुट पूरे पाकिस्तान में कोऑर्डिनेटड हमलों को अंजाम देते हैं।
बलूचिस्तान में 5000 लोग लापता
माना जाता है कि बलूचिस्तान में 5000 से अधिक लोग लापता हैं। पाकिस्तान की सरकार ने जबरन गायब के मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया। इस आयोग ने भी जनवरी 2024 तक जबरन गायब के 2752 मामले दर्ज किए। 20 साल पहले पाकिस्तान आर्मी ने यह सिलसिला जारी किया था, जो आज तक चालू है। बलूचिस्तान में महिलाएं और बच्चे जबरन गायब करने के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।