नेपाल में जेन-ज़ी आंदोलन एक ऐसे मोड़ पर पहुंच चुका है कि अंतरिम सरकार बनने की मुहिम शुरू हो गई है। पिछले चार दिनों से चल रहे इस आंदोलन में जब मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया तो कुछ लोगों के नाम सामने आने लगे जिन्हें अंतरिम सरकार के मुखिया के रूप में प्रोजेक्ट किया जाने लगा।

 

इस मामले में सबसे पहला नाम बालेंद्र शाह का उठा जो कि काठमांडू के मेयर हैं। उसके बाद नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम उभरा। जेन-ज़ी का कहना था कि उनकी छवि काफी अच्छी रही है और वह कानून की जानकार भी हैं इसलिए वह लोकतंत्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

 

यह भी पढ़ेंः तोड़फोड़, आगजनी के बाद शांत होगा नेपाल? पूरे देश में लागू हुआ कर्फ्यू

सुशीला कार्की का नाम आया सामने

जेन-ज़ी नेता ओजस्वी ने कहा, '...अभी हमें एक अंतरिम सरकार की ज़रूरत है, जिसके लिए हमने सुशीला कार्की का नाम प्रस्तावित किया है... हम उन्हें इसलिए चुनना चाहते हैं क्योंकि वह इस राष्ट्र के निर्माण में हमारी मदद करेंगी... दूसरा, मौजूदा संसद को भंग करना। तीसरा, देश में क़ानून-व्यवस्था बनाए रखना...'

 

आगे उन्होंने कहा, 'जेन-ज़ी में हमारे पास कोई नेता नहीं है, यह रातों-रात शुरू हुआ... हमारे पास कोई नेता नहीं है, हम सब जेन-ज़ी हैं, हम सब नेता हैं...अभी हम संसद को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं... हम अपने संविधान को भंग करने या किसी भी तरह से उसे रद्द करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हो सकता है कि अभी संविधान में कुछ बदलाव करने की ज़रूरत हो। लेकिन इसके अलावा, संविधान बरकरार रहेगा क्योंकि संविधान का होना ज़रूरी है... आगे बढ़ते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम कोई भी ऐसा कदम न उठाएं जो गैरकानूनी हो, अवैध हो...अभी हमें एक अंतरिम सरकार की ज़रूरत है, जिसके लिए हमने सुशीला कार्की का नाम प्रस्तावित किया है...दूसरा, मौजूदा संसद को भंग करना। तीसरा, देश में क़ानून-व्यवस्था बनाए रखना...सुशीला कार्की इस बारे में बहुत सकारात्मक सोच है। हमारे देश को पहली महिला प्रधानमंत्री मिल रही है, जो एक बहुत अच्छी बात है... हम उन्हें इसलिए चुनना चाहते हैं क्योंकि वह इस राष्ट्र के निर्माण में हमारी मदद करेंगी...'

 

 

राष्ट्रपति ने जारी किया पत्र

इस बीच नेपाल के राष्ट्रपति ने एक पत्र जारी कर कहा, 'आदरणीय नेपाली भाइयों और बहनों, मैं देश की वर्तमान कठिन परिस्थिति से संवैधानिक दायरे में रहकर, लोकतंत्र की रक्षा और देश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हूं। मैं सभी पक्षों से अपील करता हूं कि वे आश्वस्त रहें कि समस्या का शीघ्रातिशीघ्र समाधान निकाला जा रहा है ताकि आंदोलनकारी नागरिकों की मांगों पर ध्यान दिया जा सके और देश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने में संयम के साथ सहयोग करें।'

 

 

 

कॉन्फ्रेंस में हो गया बवाल

हालांकि, इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक अशांति का माहौल देखने को मिला। कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के दौरान ही आपस में न सिर्फ असंतोष का भाव दिखा बल्कि किसी एक वक्ता को पीछे करके दूसरे नेता बोलते हुए दिखे।

 

इस दौरान नेपाल के जेन-ज़ी नेता सूदन गुरुंग स्टेज पर आकर काफी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू गिरने लगे। मीडिया को संबोधित करने के लिए जैसे ही वह स्टेज पर आए उनकी आंखों से आंसू बहने लगा। लोगों ने उनको पानी पीने को दिया।

 

 

जेल से भागे कैदी

इस दौरान नेपाल की 25 से ज्यादा जेलों से 15 हजार से ज्यादा कैदी भाग गए। सबसे बड़ी घटना जुवेनाइल रिफॉर्म सेंटर में हुई, जहां पुलिस ने अफरा-तफरी के दौरान गोलीबारी की थी, जिसमें 5 नाबालिग कैदी मारे गए थे। इस सेंटर में कुल 228 नाबालिग कैदी थे, जिनमें से 122 भाग गए।

 

काठमांडू में दो बड़ी जेलों से बड़े पैमाने पर कैदियों के भागने की खबरें हैं। अकेले सुंधरा स्थित जेल से लगभग 3,300 कैदी तो ललितपुर की नक्खू जेल से 1,400 कैदी भाग गए। काठमांडू के दिल्लीबाजार जेल में कैदियों ने आग लगाकर भागने की कोशिश की लेकिन सुरक्षाबलों ने इसे नाकाम कर दिया। हालांकि, नेपाली सेना के मोर्चा संभालने से पहले कई कैदी नारेबाजी करते हुए वहां से भागने में कामयाब रहे थे।

 

यह भी पढ़ें- बवाल के बाद चर्चा में हैं बालेंद्र शाह, क्या यही बनेंगे नेपाल के PM?

कई नेताओं के साथ हुई हिंसा

विरोध प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों ने नेताओं के घरों पर भी हमला किया। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर पर हमला करके प्रदर्शनकारियों ने उन्हें पीटा। सुरक्षाबलों के आने पर किसी तरह उनकी जान बच बाई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इसी तरह से एक दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के घर पर प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी। इस घटना में उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। इस दौरान नेपाल के वित्त मंत्री को रोड पर दौड़ाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

 

प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ नेताओ पर हमला किया बल्कि शहर में वाहनों और बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचाया। कुछ लोगों ने देश के सबसे बड़े होटल हिल्टन होटल में भी आग लगा ली। हिंसा की वारदातों को देखते हुए देश के कई स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट पर भी बैन कर दिया।

कैसे शुरू हुआ आंदोलन

खबरों के मुताबिक यह आंदोलन सोशल मीडिया पर बैन लगने की वजह से शुरू हुआ। दरअसल, सरकार ने इन्स्टाग्राम, फेसबुक सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया था। इसके बाद देश में जेन-ज़ी सड़कों पर आ गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। हालांकि, सरकार का कहना था इन प्लेटफॉर्म्स ने देश के कानून के मुताबिक रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया था, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि सरकार युवाओं की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।