भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर, अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पर दबाव बना रहा है कि पाकिस्तान को दिए जा रहे कर्ज की समीक्षा की जाए। पाकिस्तान का कहना है कि भारत का यह कदम, राजनीति से प्रेरित है। भारत दुनियाभर की वैश्विक संस्थाओं से अपील कर रहा है कि पाकिस्तान को दिए जा रहे कर्ज की वे समीक्षा करें। 

पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को राजनीतिक करार दिया है। पाकिस्तान यह भी आरोप लगा रहा है कि भारत उसे दुनिया में अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि IMF के साथ 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट प्रोग्राम ठीक चल रहा है और उस पर आंच नहीं आएगी। पाकिस्तान ने दावा किया है कि देश को 1.3 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त मदद भी मिली है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज पर निर्भर है। चीन से लेकर सऊदी अरब तक से पाकिस्तान कर्ज ले चुका है। पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था ही कर्ज भरोसे है। IMF से मिल रही मदद से पाकिस्तान का सरकारी काम-काज चल रहा है। अब अगर इस कर्ज की ही समीक्षा हुई और पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर घिरा तो वहां की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर सकती है।

यह भी पढ़ें: लोन पर कितनी निर्भर है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था? डेटा से समझें

क्यों छिड़ी है ऐसी बहस?
IMF की अगली बैठक 9 मई, 2025 को होने वाली है। बैठक में अब पाकिस्तान के आर्थिक कार्यक्रम की समीक्षा होगी। भारत इस बैठक में पाकिस्तान की फंडिंग पर सवाल उठाना चाहता है। पाकिस्तान का कहना है कि यह भारत की साजिश है। भारत वैश्विक तौर पर इस समीक्षा के लिए दबाव बनाना चाहता है।

पाकिस्तानी सेना के साथ शहबाज शरीफ।

कितने कर्ज में है पाकिस्तान?
पाकिस्तान के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश पर कुल 256 बिलियन डॉलर का सार्वजनिक कर्ज है। भारतीय आंकड़ों में यह रकम करीब 21 लाख करोड़ के आसपास है। यह पाकिस्तान की कुल अर्थव्यवस्था का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है। पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 7.3 लाख करोड़ है, वहीं घरेलू कर्ज 14.3 लाख करोड़ रुपये है। पाकिस्तान के कुल कर्ज का 10 फीसदी हिस्सा IMF ने ही दिया है। 

यह भी पढ़ें: तनाव के बीच अब कैसा है भारत-पाकिस्तान का ट्रेड? आंकड़ों से समझें


क्या होगा अगर ऐक्शन हो तो?

IMF अगर आर्थिक सहायत की समीक्षा करता है और कड़े कदम उठाता है तो उसके 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट पोग्राम प्रभावित हो सकता है। भारतीय अंकों में यह आंकड़ा 63.39 हजार करोड़ रुपये के आसपास है। पाकिस्तान को अब भी IMF से फंड की तलाश है क्योंकि दूसरे देश, पाकिस्तान को कर्ज देने से बच रहे हैं। अब अगर पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान पर कोई ऐक्शन होता है तो ऐसा हो सकता है कि पाकिस्तान को IMF कर्ज की अगली किस्त न जारी करे।

 

IMF पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर का एक्सेंटेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम के जरिए कर्ज दे रहा है। साल 2024 में 1 बिलियन डॉलर की पहली किस्त पाकिस्तान को मिल चुकी है पाकिस्तान को अगले 6 बिलियन डॉलर, आने वाले 37 महीनों में दिए जाएंगे। अगर पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की रडार पर आता है, ग्रे लिस्ट में रखा जाता है तो IMF ऐक्शन ले सकता है।

आर्थिक अस्थिरता बढ़ जाएगी
पाकिस्तान का कर्ज ही 256 बिलियन डॉलर है। विदेशी मुद्रा भंडार महज 8 बिलियन डॉलर है। अब अगर IMF से मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान के खरीदने की क्षमता प्रभावित होगी। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होगा, कर्ज चुकाने की क्षमता भी रुक जाएगी। पाकिस्तान में प्रभावी उद्योग न के बराबर हैं जो देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संभाल लें। गृह युद्ध और आर्थिक मंदी जैसी स्थितियां पहले ही पाकिस्तान में हैं। ऐसे में अगर IMF ऐक्शन लेता है तो वहां की अर्थव्यवस्था डगमगा सकती है। पाकिस्तान किसी तरह से जिस आर्थिक स्थिरता तक पहुंचा है, वह अस्थिर हो सकती है। 

यह भी पढ़ें: IMF, FATF से UNSC तक, पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया को लामबंद कर रहा भारत

महंगाई बेलगाम हो सकती है
पाकिस्तान में पाकिस्तानी रुपये का अवमूल्यन हो सकता है। उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी। जो सामान विदेश से खरीदे जाते हैं, उनकी कीमत बढ़ जाएगी। पाकिस्तान में तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ जाएंगी। पाकिस्तान में साल 2023 में अचानक भीषण महंगाई बढ़ी थी। वहां 38 फीसदी तक उत्पादों के दाम बढ़ गए थे। अगर IMF का ऐक्शन हुआ तो फिर से श्रीलंका जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है। 

बिजली को तरस जाएगा पाकिस्तान
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान ऊर्जा सेक्टर के भारी कर्ज को कम करने के लिए बैंकों से 4.47 बिलियन डॉलर का लोन लेने की बातचीत कर कर रहा है। भारतीय अंकों में यह रकम 444 करोड़ रुपये के आसपास है। पाकिस्तान को यह कर्ज ऊर्जा क्षेत्र की खामियों को दुरुस्त करने के लिए हर हाल में चाहिए। IMF बेलआउट पैकेज रोके तो इस सेक्टर पर भी असर आ सकता है। गैस की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।

पाकिस्तान में श्रीलंका जैसा विरोध प्रदर्शन हो सकता है 
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बदहाल करने में वहां के कर्ज का भी हाथ है। जो संस्थाएं कर्ज देती हैं, वे कड़ी शर्तें भी रखती हैं। पाकिस्तान इन वैश्विक शर्तों की वजह से पहले ही खराब स्थिति में है। द डॉन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान की गरीबी दर, 40 फीसदी तक 2026 में पहुंच जाएगी। अगर ऐसे में IMF भी झटका दे दे तो हालात और खराब हो जाएंगे। बीते साल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इसे लेकर खूब विरोध प्रदर्शन हुए थे। कुछ ऐसा ही हाल श्रीलंका में भी हुआ था। अगर पाकिस्तान IMF में चूका तो यही स्थिति हो सकती है। 

यह भी पढ़ें: भारत ने एयरस्पेस बंद किया तो भी पाकिस्तान पर क्यों नहीं पड़ेगा असर?


दिवालिया होने का डर मंडराएगा

पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 7.3 लाख करोड़ है, वहीं घरेलू कर्ज 14.3 लाख करोड़ रुपये है। पाकिस्तान को बाहरी कर्ज कम से कम 208 हजार करोड़ रुपये चुकाना है। अगर IMF कर्ज नहीं देगा तो अमेरिका, साऊदी अरब, यूएई और चीन जैसे देशों से कर्ज मांगना होगा। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने इन्हीं देशों से सबसे ज्यादा कर्ज भी लिया है। अगर IMF मदद देने से पीछे हटेगा तो बाहरी कर्ज का भुगतान टलेगा। पाकिस्तान भुगतान नहीं करेगा तो दिवालिया होने की कगार पर पहुंच जाएगा।