प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यूनाइटेड किंगडम (यूके) के दौरे पर जा रहे हैं। उनका यह दौरा दो दिन का होगा। विदेश मंत्रालय ने बताया कि यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के न्योते पर प्रधानमंत्री जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरे में पीएम मोदी यूके के किंग चार्ल्स III के साथ भी मुलाकात करेंगे।
पीएम मोदी का यह दौरा इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इस दौरान भारत-यूके के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर साइन हो सकते हैं। दोनों देशों के बीच इस साल 6 मई को FTA को लेकर समझौता हुआ था। यह असल में एक तरह का समझौता होता है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के साथ आयात-निर्यात बढ़ाने के लिए टैक्स या टैरिफ कम कर देते हैं या खत्म कर देते हैं।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की यूके की यह तीसरी यात्रा है। पीएम मोदी इससे पहले नवंबर 2015, अप्रैल 2018 और नवंबर 2021 में यूके का दौरा कर चुके हैं।
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क्यों खास है पीएम मोदी का यह दौरा?
यूके में कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी का यूके का यह पहला दौरा है। पिछले साल हुए चुनाव में लेबर पार्टी ने 650 में से 412 सीटें जीत ली थी। इसके साथ ही यूके की सत्ता में 14 साल बाद लेबर पार्टी की वापसी हुई थी। चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने कीर स्टार्मर को कॉल कर बधाई दी थी और उन्हें भारत आने का न्योता दिया था।
कीर स्टार्मर और पीएम मोदी के बीच कई बार मुलाकात हो चुकी है। पिछले साल 18 नवंबर को ब्राजील में G20 समिट से इतर पीएम मोदी और कीर स्टार्मर ने मुलाकात की थी। 22 अफ्रैल को पहलगाम अटैक के बाद पीएम मोदी और कीर स्टार्मर के बीच फोन पर भी बात हुई थी।
इस साल 6 मई को भारत और यूके के बीच FTA को लेकर सहमति बन गई थी। पीएम मोदी और कीर स्टार्मर ने फोन पर बात कर इसका ऐलान किया था। पिछले महीने ही कनाडा में G7 समिट के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई थी।
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भारत और यूके में कैसे हैं रिश्ते?
भारत और यूके के बीच सालों पुराने रिश्ते हैं। कारोबार के लिहाज से भी दोनों के बीच अच्छे रिश्ते हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत और यूके के बीच पांच साल में कारोबार दोगुना हो गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में भारत से यूके को 60,245 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट हुआ था। 2024-25 तक यह बढ़कर 1.23 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। इसी तरह 2020-21 में भारत का यूके से 36,611 करोड़ रुपये का इम्पोर्ट था, जो 2024-25 तक बढ़कर 72,882 करोड़ रुपये पहुंच गया।
भारत सबसे ज्यादा कपड़े यूके को बेचता है। भारत के कुल टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का 5% यूके को जाता है। इसके अलावा, यूके जितनी भी ज्वैलरी खरीदता है, उसमें से 10% भारत से ही जाती है। वहीं, यूके से भारत इंडस्ट्रियल मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल, डिफेंस इक्विपमेंट और व्हिस्की और स्कॉच भी खरीदता है।
इतना ही नहीं, भारत में निवेश करने वाला यूके छठा बड़ा देश है। सितंबर 2024 तक यूके ने भारत में 35 अरब डॉलर का निवेश कर दिया था। भारत भी मार्च 2024 तक यूके में 19 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। यूके में 971 भारतीय कंपनियां हैं, जिनसे 1 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इसी तरह भारत में भी 667 ब्रिटिश कंपनियां हैं, जो 5 लाख लोगों को नौकरियां देती हैं।
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FTA से क्या फायदा होगा?
पीएम मोदी के इस दौरे में दोनों देशों के बीच FTA पर साइन होने की उम्मीद है। इस समझौते के तहत 2023 तक दोनों देशों के बीच 2030 तक द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाकर 60 अरब डॉलर तक ले जाने का टारगेट है। इस समझौते में एक खास बात यह भी है कि भारतीय कामगारों को काम पर रखने वाली ब्रिटिश कंपनियों को अगले तीन साल सोशल सिक्योरिटी कंट्रीब्यूशन देने से भी छूट दी गई है।
इस समझौते के तहत भारत से आने वाले 99% सामान पर यूके टैरिफ खत्म कर देगा। इसके बदले में भारत भी यूके से आने वाले 90% प्रोडक्ट्स पर टैरिफ खत्म करेगा। इसके अलावा, कई सारे उत्पादों पर टैरिफ भी कम कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए स्कॉच व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटाकर 75% कर दिया जाएगा।
दोनों देश लगभग तीन साल FTA को लेकर बातचीत कर रहे थे। तब जाकर मई में दोनों के बीच सहमति बनी थी। समझौते पर दस्तखत होने के बाद भारत के कपड़ा, चमड़ा और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी तरफ ब्रिटेन से आने वाली व्हिस्की, ऑटोमोबाइ और उसके पार्ट्स और मेडिकल इक्विपमेंट में कमी आएगी।
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ब्रिटेन में भारतीय कितने हैं?
यूके में भारतीयों की अच्छी-खासी आबादी है। 2021 की जनगणना के मुताबिक, यूके में 18 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। यह यूके की कुल आबादी का 2.6 फीसदी है।
यूके की अर्थव्यवस्था में भी भारतीयों का अहम योगदान है। यूके में रहने वाले भारतीय वहां की अर्थव्यवस्था में लगभग 6 फीसदी का योगदान देते हैं।
Grant Thornton और FICCI की मार्च 2022 की रिपोर्ट बताती है कि यूके में 65 हजार से ज्यादा कंपनियां हैं, जिनके मालिक भारतीय हैं। इनमें से 654 कंपनियों का सालाना टर्नओवर 1 लाख डॉलर यानी 86 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इन कंपनियों का कंबाइंड रेवेन्यू लगभग 40 अरब डॉलर है। यह कंपनियां सालाना 1 अरब डॉलर से ज्यादा का कॉर्पोरेट टैक्स जमा करती हैं।
