कोलोराडो के बोल्डर शहर में 1 जून को उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक यहूदी कार्यक्रम के दौरान अचानक आग लग गई। बताया जा रहा है कि एक शख्स ने 'फ्री फिलिस्तीन' चिल्लाते हुए वहां मौजूद लोगों पर आग से हमला कर दिया। हमलावर की पहचान 45 साल के मोहम्मद सबरी सोलिमान के रूप में हुई है। नवर फील्ड ऑफिस के स्पेशल एजेंट इंचार्ज मार्क मिचलेक के मुताबिक, मोहम्मद सबरी ने यहूदी प्रदर्शनकारियों के सामने 'फ्री फिलिस्तीन' के नारे लगाए और फिर उन पर आग लगाने वाला हथियार चला दिया। इससे पहले वॉशिंगटन डीसी में स्थित कैपिटल यहूदी म्यूजियम के बाहर 22 मई की रात अज्ञात हमलावर ने इजरायली कर्मचारियों की हत्या कर दी थी। संदिग्ध की गिरफ्तारी के दौरान वह बार-बार  'आजाद, आजाद फिलिस्तीन' के नारे लगा रहा था। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से सर्कुलेट हो रहा है, जिसमें वह तेज-तेज से 'Free Palestine' के नारे लगा रहा है।

 

अमेरिका की खास 'प्रोजेक्ट एस्तेर' रणनीति

अगर आपने दोनों घटनाओं को ध्यान से देखा हो, तो हमलावरों ने हमला करते वक्त फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाए और माहौल को और ज्यादा हिंसक बना दिया। ऐसे हालात में अमेरिका को अपना 'प्रोजेक्ट एस्तेर' लागू करना पड़ता है ताकि हालात काबू में रखे जा सकें। अब आप सोच रहे होंगे कि यह प्रोजेक्ट एस्तेर आखिर है क्या? और अमेरिका इसे हर बार फिलिस्तीन से जुड़े आंदोलनों को रोकने के लिए क्यों इस्तेमाल करता है?

 

दरअसल, जब भी अमेरिका को लगता है कि कोई आंदोलन उसकी नीतियों या हितों के खिलाफ जा सकता है खासकर जब बात फिलिस्तीन की हो तो वो इस प्रोजेक्ट के जरिए हालात को अपने मुताबिक मोड़ने की कोशिश करता है। सीधी भाषा में कहें, तो प्रोजेक्ट एस्तेर अमेरिका की एक खास रणनीति है, जो वो तब इस्तेमाल करता है जब उसे लगता है कि फिलिस्तीन के समर्थन में उठ रही आवाजें उसके लिए खतरा बन सकती हैं।

 

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प्रोजेक्ट एस्तेर और इसका मकसद क्या?

दरसल, पिछले साल अमेरिका के एक बड़े दक्षिणपंथी थिंक टैंक, हेरिटेज फाउंडेशन, ने फिलिस्तीन समर्थक आंदोलन को कमजोर करने के लिए एक प्लान तैयार किया था, जिसे 'प्रोजेक्ट एस्तेर' कहा गया। उस समय इस पर किसी का ज्यादा ध्यान नहीं रहा लेकिन अब, इस दस्तावेज की काफी चर्चा हो रही है। कई एक्टिविस्ट और मीडिया संस्थान इसकी जांच कर रहे हैं।

 

इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसी और बयान इस प्लान से मेल खाते नजर आ रहे हैं। प्रोजेक्ट एस्तेर एक नीति दस्तावेज को तैयार करने का मकसद अमेरिका में फिलिस्तीन के समर्थन में चल रहे आंदोलनों को रोकना है। यह दस्तावेज अक्टूबर 2024 में जारी किया गया, ठीक उस दिन जब इजरायल पर हमास के हमले की पहली बरसी थी (7 अक्टूबर 2023)। इसे 'यहूदी विरोधी भावना से निपटने की राष्ट्रीय रणनीति'कहा गया है। 

 

प्रोजेक्ट एस्तेर का मकसद है कि अगले 24 महीनों में हमास से जुड़े समर्थन नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। सीधे शब्दों में कहें तो इस पहल का इरादा है हमास को मदद देने वाले लोगों, समूहों और संसाधनों की जड़ तक पहुंचकर उन्हें बंद करना है। 

 

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इस योजना में 19 खास लक्ष्य

प्रोजेक्ट एस्तेर फिलिस्तीनी अधिकारों के आंदोलन को कमजोर करना चाहता है। इस दस्तावेज में बताया गया है कि फिलिस्तीन के हक में आवाज उठाने वालों को कई तरीकों से निशाना बनाया जाए। जैसे कि उन्हें कानूनी पचड़ों में फंसाना, राजनीतिक और आर्थिक दबाव डालना। इस योजना में 19 खास लक्ष्य तय किए गए हैं, जिन्हें 'मनचाहा असर' कहा गया है। इनमें शामिल बातों के तहत:

 

  • जो लोग फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं, खासकर अगर वह अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, उन्हें यूनिवर्सिटी में दाखिला न मिलने देना।
  • सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के समर्थन में जो पोस्ट आते हैं, उन्हें 'यहूदी विरोधी' कहकर हटवाने की कोशिश करना।
  • सरकार को ऐसे सबूत देना कि फिलिस्तीन के समर्थन में काम कर रहे लोग किसी अपराध में शामिल हैं।
  • फिलिस्तीन के हक में होने वाले प्रदर्शनों को परमिट न देना, यानी उन्हें होने ही न देना।
  • यह भी कहा गया है कि इजरायल के समर्थकों को फिलिस्तीन समर्थक संगठनों की जासूसी करनी चाहिए। उनके खिलाफ प्राइवेट जांच करनी चाहिए, ताकि कोई गड़बड़ी मिले तो उसे उजागर कर उनकी छवि खराब की जा सके।
  • दस्तावेज में साफ लिखा है कि 'हमें कानूनी जंग लड़नी चाहिए'- यानी विरोधियों को कोर्ट में घसीटने की रणनीति अपनाई जाए ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके।
  • सीधे शब्दों में कहें तो, यह योजना फिलिस्तीन समर्थक आवाजों को हर मोर्चे पर दबाने और बदनाम करने की कोशिश करती है।

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क्या ट्र्रंप बनाएगी पॉलिसी?

नेशनल इंटेलिजेंस के पूर्व निदेशक डैन कोट्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि अब अमेरिका उन लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाना शुरू कर रहा है जो आतंकवाद को किसी भी रूप में समर्थन देते हैं - चाहे वो कानूनी, वित्तीय या अन्य तरीके से हो। कॉलेजों में जो फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं, ट्रंप प्रशासन उनसे सख्ती से निपट रहा है और यही रवैया प्रोजेक्ट एस्तेर की सोच से मेल खाता है।

 

उदाहरण के तौर पर, जो विदेशी छात्र इजरायल की आलोचना करते हैं, उनके वीजा रद्द किए जा रहे हैं। प्रोजेक्ट एस्तेर ने भी ऐसा ही सुझाव  दिया था कि जो छात्र वीजा नियमों का उल्लंघन करें, उनकी पहचान की जाए। इसके अलावा, प्रोजेक्ट एस्तेर ने 'कैनरी मिशन' नाम की वेबसाइट का जिक्र किया है, जो फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले छात्रों की पहचान करके उन्हें बदनाम करने का काम करती है। शक है कि ट्रम्प प्रशासन इन वेबसाइट्स और अन्य इज़राइल समर्थक संगठनों पर भरोसा करके ऐसे छात्रों को अमेरिका से बाहर निकालने की योजना बना रहा है।